नौनिहालों का टैलेंट निखार रहे पैरेंट्स, वीकेंट में करते हैं प्रैक्टिस

children are no longer limited to studies Glamors world specially attracts them
नौनिहालों का टैलेंट निखार रहे पैरेंट्स, वीकेंट में करते हैं प्रैक्टिस
नौनिहालों का टैलेंट निखार रहे पैरेंट्स, वीकेंट में करते हैं प्रैक्टिस

डिजिटल डेस्क, नागपुर।  आज के बच्चे सिर्फ पढ़ाई तक सीमित नहीं रह गए हैं। वे पढ़ाई के साथ-साथ तरह-तरह की एक्टिविटी में बढ़चढ़ कर हिस्सा ले कर नाम रोशन कर रहे हैं। ग्लैमर की दुनिया खास तौर से उन्हें आकर्षित करती है। इस क्षेत्र में पैसा और शोहरत होने से पैरेंट्स भी बच्चों को जाने के लिए प्रोत्साहित करते हैं।  इसलिए बेस्ट परफाॅर्मेंस के लिए बच्चों को  पहले थियेटर ज्वाइन करवा रहे हैं, ताकि वे एक्टिंग के हर गुण सीख सकें और बड़े होकर परफेक्ट हो जाएं। बच्चे वीकेंड में शहर की विभिन्न संस्थाओं में जाकर प्रैक्टिस करते हैं, ताकि वे ड्रामा के क्षेत्र में आगे बढ़ सकें। बच्चों के साथ-साथ पैरेंट्स भी मेहनत करते हैं और टीवी पर बच्चों को देखकर उत्साहित होते हैं। उन्हें लगता है कि उनके बच्चे को भी नेम-फेम कमाना चाहिए। वे हर छुट्टी पर बच्चे को ड्रामा क्लास छोड़ते हैं, जिससे उनकी तारतम्यता बनी रहे। बच्चों का मन किसी भी चीज से हटने में ज्यादा समय नहीं लगता है, इसलिए उन पर ध्यान देना जरूरी होता है।

बच्चों को डांट नहीं सकते 
बच्चों को रोल के लिए तैयार करना बहुत मुश्किल काम है। उन्हें बड़ों की तरह डांट नहीं सकते हैं। बच्चों के शॉट लेने के लिए उन्हें चॉकलेट या उनकी पसंदीदा चीजें भी देनी पड़ती हैं, जिससे वे खुश होकर अपना रोल अच्छी तरह से प्ले कर सकें। दर्शकों के लिए स्टेज पर परफाॅर्म करता हर व्यक्ति आर्टिस्ट होता है और उसके काम में परफेक्शन देखना चाहता है। बच्चाें का मन बहुत चंचल होता है। कभी वे अच्छे मूड में होते हैं, तो अच्छी एक्टिंग कर लेते है और फेस एक्सप्रेशन भी बढ़िया देते हैं, लेकिन उनका मूड खराब हो, तो उन्हें मनाने में मुश्किल हो जाती है। कभी-कभी तो उन्हें मनाने के लिए पूरी टीम को जुटना पड़ता है।  (शक्ति ठाकुर, कलाकार)

बच्चों का मूड अच्छा रखना जरूरी होता है
आज के बच्चों में टैलेंट बहुत है। वे बड़ों से भी बढ़िया एक्टिंग करते हैं। बस उनके मूड पर सब कुछ डिपेंड करता है, इसलिए प्रैक्टिस के दौरान बच्चों का मूड अच्छा रखना बहुत जरूरी होता है। हमारी क्लास में 5 से लेकर 15 वर्ष तक के बच्चे हैं, जो वीकेंड पर आकर प्रैक्टिस करते हैं। इससे उनकी पढ़ाई पर भी असर नहीं पड़ता है। हर बच्चे में अलग-अलग क्वालिटी होती है। सबकी रुचि भिन्न-भिन्न होती है। कई बच्चे तो इतना बढ़िया रोल प्ले करते हैं, कि बड़े आर्टिस्ट को भी पीछे छोड़ देते हैं। (प्रियंका ठाकुर, कलाकार)

एक्टिंग का शौक है
मेरे बेटे को एक्टिंग का बहुत शौक है। उसके स्कूल के टीचर्स हमेशा उसकी तारीफ करते हैं, पर मुझे लगता है कि इससे उसकी पढ़ाई पर असर न पड़े, इसलिए मैंने उस ओर ज्यादा ध्यान नहीं दिया। सभी ने मुझे समझाया कि वीकेंड में बच्चों की क्लास होती है, तो उसमें भेज सकते हैं। फिर मैंने उसे भेजा। अभी तक वो 2 स्टेज शो भी कर चुका है। जब उसे स्टेज पर परफॉर्म करते देखी, तो बहुत खुशी हुई। पढ़ाई के साथ बच्चों में दूसरी कला भी होती है। (अमिता शर्मा, पैरेंट्स)

विभिन्न कार्यक्रमों में हिस्सा लेती रहती है
बचपन से ही बेटी में एक्टिंग के गुण हैं। जब वो 3 वर्ष की थी, तबसे मिरर के सामने खड़े होकर एक्टिंग करती थी। इसलिए हमने उसे थियेटर में डालने के बारे में सोचा। समर में जहां भी कैम्प लगते थे, वहां उसे भेजा करते थे। अब वो 7 वर्ष की हो चुकी है। स्कूल में भी कई कार्यक्रमों में हिस्सा लेती है। अब वो एक्टिंग में परफेक्ट हो रही है। इसलिए अब उसे रेगुलर ड्रामा क्लास में डालना है। (श्वेता बंसल, पैरेंट्स)


 

Created On :   24 Sept 2018 1:37 PM IST

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