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फीस न जमा करने पर ऑनलाइन क्लास से निकाले जा रहे बच्चे

डिजिटल डेस्क, मुंबई। बॉम्बे हाईकोर्ट ने राज्य सरकार से जानना चाहा है कि क्या उसने कोरोना के दौरान स्कूल की बढ़ी हुई फीस से जुड़ी शिकायतों को देखने के लिए कमेटी का गठन किया है। कोर्ट ने कहा कि बड़ी संख्या में फीस के विवाद से जुड़े मामले अदालत में आ रहे हैं। जबकि ऐसे मामले कमेटी के सामने निपटारे के लिए जाने चाहिए। न्यायमूर्ति नीतिन जामदार व न्यायमूर्ति सीवी भडंग की खंडपीठ ने एक अभिभावक की ओर से दायर याचिका पर सुनवाई के दौरान यह बात कही।
अभिभावक ने याचिका में दावा किया है कि स्कूल की बढ़ी हुई फीस का भुगतान न करने के चलते उसके दो बच्चों को ऑनलाइन क्लास से दूर कर दिया गया है। अभिभावक के मुताबिक स्कूल उनसे ज्यादा बढ़ी हुई फीस मांग रहा है। जबकि मझगांव इलाके में स्थित डायमंड जुबली स्कूल की ओर से पैरवी कर रहे वकील ने कहा कि स्कूल ने फीस में बढ़ोतरी नहीं की है। वह साल 2019 में निर्धारित फीस ले रहा है। स्कूल ने फीस के साथ मिसलेनियस (अन्य) के रुप में लिए जाने शुल्क भी नहीं लिया है। इसके साथ ही स्कूल ने एक निश्चित रकम भरने पर रियायत की भी घोषणा की है। इसके बावजूद याचिकाकर्ता ने बिल्कुल भी फीस नहीं भरी है।
इन दलीलों को सुनने के बाद खंडपीठ ने कहा कि स्कूल बच्चों को ऑनलाइन क्लास में शामिल करें। पर इससे पहले याचिकाकर्ता (अभिभावक) को चार दिन के भीतर कोर्ट को लिखित आश्वासन देना पड़ेगा कि यदि याचिकाकर्ता कोर्ट में सफल नहीं होते है तो वे स्कूल की सारी फीस का भुगतान करेंगे। यदि याचिकाकर्ता यह आश्वासन देते हैं तो स्कूल बच्चों को ऑनलाइन क्लास में शामिल करें। इस बीच खंडपीठ ने सरकारी वकील से पूछा कि क्या सरकार ने स्कूल की बढ़ी हुई फीस के विवाद से जुड़े मुद्दे को देखने के लिए सेवानिवृत्त न्यायाधीश की अध्यक्षता में कमेटी का गठन किया है। क्या इस बारे में शासनादेश जारी किया गया है। क्योंकि अदालत में इस तरह के काफी पहुंच रहे हैं। इस पर सरकारी वकील पूर्णिमा कंथारिया ने कहा कि उन्हें इस बारे जवाब देने के लिए समय दिया जाए।सरकारी वकील के आग्रह को देखते हुए खंडपीठ ने याचिका पर सुनवाई 24 जून 2021 तक के लिए स्थगित कर दी।
Created On :   12 Jun 2021 6:42 PM IST