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कृत्रिम पैरों की मदद से चल फिर सकेंगें 500 लोग, चंदा जुटा रहे छात्र-छात्राएं

डिजिटल डेस्क, मुंबई। मुंबई की स्कूल के बच्चों ने चंदा जमा कर ऐसी मिसाल पेश की जो समाज को नई दिशा दे सकती है। कृत्रिम अंगों की राह देख रहे विदर्भ के सैकड़ों गरीबों को जल्द ही यह तोहफा मिल सकता है क्योंकि मुंबई के एक स्कूल के बच्चे उसके लिए चंदा जुटा रहे हैं। माहिम स्थित बॉम्बे स्कॉटिश स्कूल के 156 बच्चे अब तक 45 लाख रुपए से ज्यादा की रकम जुटा चुके हैं। विद्यार्थियों के अभिभावक और जान पहचान वालों के साथ-साथ अनजान लोग भी इस काम के लिए दान दे रहे हैं। यह मुहिम गैरसरकारी संगठन फ्रीडम ट्रस्ट चलाने वाले डॉक्टर सुंदर सुब्रमण्यम के दिमाग की उपज है।
भास्कर से बातचीत में डॉ. सुंदर ने बताया कि हम लोगों की मदद के लिए क्राउड फंडिग का सहारा लेते हैं। इससे पहले जरूरतमंदों को कृत्रिम अंग उपलब्ध कराने के लिए बालाजी मंदिर ट्रस्ट और हैदराबाद के एक स्कूल की मदद ली गई थी। इसके बाद माहिम के स्कूल के बच्चों की मदद से पैसे जुटाए जा रहे हैं। डॉ. सुंदर ने बताया कि इस बार मिलने वाली रकम से हमने विदर्भ और आसपास के इलाकों के विकलांगों को कृत्रिम अंग उपलब्ध कराने का फैसला किया है। क्राउड फंडिंग की मदद से ट्रस्ट के जरिए अब तक देशभर में हजारों विकलांगों के कृत्रिम अंग दे चुका है। डॉ. सुंदर कहते हैं कि यह देखना बेहद सुखद होता है कि अपने हाथ या किसी और के सहारे आने वाला व्यक्ति अपने पैरों पर खड़ा होकर वापस जाता है।
माप लेकर बनाए जाते हैं अंग
कृत्रिम अंग के लिए दान जुटाने में फ्यूलएड्रीम वेबसाइट की मदद ली जा रही है। फ्यूलएड्रीम के संस्थापक रंगनाथ थोटा ने बताया कि यह संस्था लोगों को कम दाम में कृत्रिम अंग तो उपलब्ध कराती ही है। यह लोगों के माप का होता है। पैसे इकठ्ठा होने के बाद संस्था के लोग वर्धा, यवतमाल में जाएंगे और विकलांगों का माप लेंगे इसके बाद चेन्नई में कृत्रिम अंग तैयार किए जाएंगे। अंग लगाने के एक महीने बाद भी एनजीओ की टीम इस बात की जांच करेगी कि किसी को कोई परेशानी तो नहीं है।
बदल सकती है 500 लोगों की जिंदगी
इस मुहिम के जरिए करीब 50 लाख रुपए जुटाए जाने की उम्मीद है। एक कृत्रिम अंग की कीमत 10 हजार रुपए होती है। ऐसे में जुटाई गई रकम से 500 गरीब विकलांग फिर से अपने पैरों पर खड़े हो सकेंगे।
150 फीसदी ज्यादा फंडिंग
यह मुहिम 19 नंवबर तक चलनी है। स्कूल के हर विद्यार्थी को 20 हजार रुपए जुटाने का लक्ष्य दिया गया था। अनुमान था कि इसके जरिए कुल 29 लाख 20 हजार रुपए जुटा लिए जाएंगे। लेकिन रविवार तक 44 लाख 61 हजार रुपए से ज्यादा की रकम जुटाई जा चुकी थी। ग्यारहवीं कक्षा में पढ़ने वाली मरियम मोजायन ने सबसे ज्यादा 1 लाख 47 हजार रुपए जुटाएं हैं। ज्यादातर बच्चों ने अभिभावकों और उनके जान पहचान के लोगों से मदद मांगी इसके अलावा सोशल मीडिया की मदद ली गई जिसके बाद कई अनजान लोगों ने भी मदद की। अब तक देशभर से करीब 1500 लोग इस नेक काम के लिए दान कर चुके हैं।
Created On :   12 Nov 2018 11:44 AM IST