गरीब बस्तियों के बच्चे नहीं घूमेंगे आवारा, बच्चियां नहीं होंगी दुराचार का शिकार

Children will not waste there times,girsl will not become victim
गरीब बस्तियों के बच्चे नहीं घूमेंगे आवारा, बच्चियां नहीं होंगी दुराचार का शिकार
गरीब बस्तियों के बच्चे नहीं घूमेंगे आवारा, बच्चियां नहीं होंगी दुराचार का शिकार

डिजिटल डेस्क,नागपुर। मां-बाप के काम पर जाने के बाद बच्चे बस्तियों में यूं ही ‘आवारा’ नहीं घूमेंगे। न ही कोई लड़की दुराचार का शिकार होगी। उनके लिए शिक्षा की भी समुचित सुविधा उपलब्ध कराई जाएगी और यह सब होगा अटल संगोपन केंद्र के जरिए। महिला एवं बाल विकास मंत्रालय द्वारा शुरू किए जाने वाले अटल संगोपन केंद्र में नवजात शिशुओं को पर्याप्त आहार देने की भी व्यवस्था की जाएगी। 

छोटी उम्र में आन पड़ती है बड़ी जिम्मेदारी
बस्तियों में रहने वाली लड़कियों को अपनी पढ़ाई उस उम्र में छोड़नी पड़ जाती है, जिस उम्र में उनके लिए पढ़ना बेहद आवश्यक है। वजह इसके पीछे बहुत सामान्य है, मजदूरी करने वाले परिवारों में जैसे ही कोई नया मेहमान आता है तो उसे संभालने की जिम्मेदारी उस लड़की की हो जाती है। छो़टी लड़की, जिम्मेदारियों के कारण अचानक बड़ी हो जाती है। मजदूरी करने वाले माता-पिता चाहकर भी उसे नहीं पढ़ा पाते, क्योंकि उनके सामने मजबूरी यह आ जाती है कि अगर वे उसे पढ़ाने भेज देंगे तो घर पर उसके छोटे भाई-बहन का ख्याल कौन रखेगा, घर के छोटे बड़े काम कौन करेगा? क्योंकि माता-पिता तो खुद मजदूरी करने जाते हैं। परिणामस्वरूप युवावस्था की दहलीज पर कदम रख रही उस लड़की को कुदृष्टि का शिकार होना पड़ता है।  

वजह ऐसी है
स्तियों में रहने वाली 10-12 साल की लड़कियों में गुड टच, बैड टच में अंतर करने की समझ नहीं होती है, न ही वे आम लड़कियों की तरह शिक्षित होती हैं कि वे इन चीज़ों को समझ पाएं। इन्हीं कारणों का फायदा उठाकर कई बार इनके परिजन ही इनका यौन शोषण करते हैं। शिक्षा के अभाव के कारण पीड़ित शिकायत भी नहीं कर पाते। इसी समस्या के निवारण के रूप में महिला एवं बाल विकास मंत्रालय शुरू करने जा रहा है यह प्रकल्प।

ताकि सही पालन-पोषण हो
अधिकतर महिलाएं जो मजदूरी करती हैं, वे 4-5 माह में नवजात शिशुओं का स्तनपान छुड़वा देती हैं, जो कि शिशु के स्वास्थ्य की दृष्टि से सही नहीं है। ऐसे ही शिशु कुपोषण का शिकार होते हैं। इन बच्चों को पर्याप्त आहार देने के लिए एवं माता-पिता की गैर-मौजूदगी में उनका सही तरह से पालन-पोषण करने के लिए योजना का निर्माण किया गया है। महिलाएं अपने बच्चों की जरूरत के अनुसार आहार भी यहां छोड़ कर जा सकती हैं। 

योजना सफल होने  की उम्मीद
जब मैं नागपुर की बस्तियों में घूमी तो मुख्य रूप से मेरे सामने यही समस्याएं आईं। जब मैं योजना लेकर बस्ती में पहुंची, तो सभी लोग बहुत खुश थे क्योंकि वे बदलते जमाने के साथ अपने बच्चों को एक बेहतर जीवन देना चाह रहे हैं। जनजागरूकता के साथ ही यह योजना सफल हो पाएगी। कॉरपोरेटर्स से भी हमें सपोर्ट हैं। भविष्य में और भी केंद्र खोले जाएंगे।
-प्रगति पाटील, सभापति   महिला व बाल विकास समिति, मनपा

Created On :   27 Dec 2018 1:46 PM IST

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