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चीन को उसी की भाषा में जवाब देना चाहिए : रामदेव

डिजिटल डेस्क, मुंबई। योग गुरू बाबा रामदेव ने चीन पर तल्ख टिप्पणी करते हुए कहा है कि हम शांति की बात करते हैं। हम योग के मार्ग पर हैं लेकिन जो योग की बात नहीं समझता है, उसे युद्ध की भाषा में ही जवाब देना चाहिए। उन्होंने कहा कि सारी दुनिया में चीन तबाही का पर्याय देश बन गया है। हमें चीन को उसी की भाषा में जवाब देना चाहिए। रामदेव ने उदाहरण देते हुए कहा कि भेड़िए को कितनी भी घास दिखाओ वो शाकाहारी नहीं हो सकता ।
जैनाचार्य डॉ. लोकेश मुनि की संस्था अहिंसा विश्व भारती की तरफ से वर्ली के NSCI में विश्व शांति सम्मेलन का आयोजन किया गया। कार्यक्रम में बौद्ध धर्मगुरु दलाई लामा, केंद्रीय बिजली मंत्री पीयूष गोयल समेत कई हस्तियां मौजूद थीं। इस मौके पर रामदेव ने कहा कि चीन शांति की बात नहीं सुनता है। यदि चीन शांति, सद्भावना और अहिंसा की बात सुनता, तो बौद्ध धर्मगुरू दलाई लामा यहां पर नहीं होते। रामदेव ने कहा कि चीन का भारत के आर्थिक बाजार पर 20 लाख करोड़ रुपए का कब्जा है। इसलिए हमें स्वदेशी का संदेश देते हुए, चीन की वस्तुओं का बहिष्कार करना चाहिए।
सभी मजहबों के मूल तत्वों को पढ़ाया जाए
रामदेव ने कहा कि शिक्षा संस्थानों में सभी मजहबों का एक पाठ पढ़ाया जाना चाहिए। जिसमें हर मजहब के मूल तत्वों का उपदेश हो। उन्होंने कहा कि कोई यह पढ़ाए या नहीं, लेकिन हम जल्द ही इसके लिए एक Education Board बनाने वाले हैं।
दलाई लामा ने कहा- भारत गुरु, हम चेला
दलाई लामा ने कहा कि इतने सालों तक, भारत में रहने के बाद मैं कह सकता हूं कि भारत गुरू है और हम चेला। उन्होंने कहा कि देश में शांति और सद्भावना स्थापित करने का प्रयास सराहनीय है। इसके लिए सभी धर्मों के धर्मगुरु सक्रिय भूमिका निभाते हैं। उन्होंने कहा कि भारत और चीन को एक साथ मानव विकास के लिए काम करना चाहिए। दलाई लामा ने आगे कहा,‘भय से चिड़चिड़ेपन का जन्म होता है, चिड़चिड़ापन अंत में गुस्से में बदल जाता है। और गुस्सा हिंसा पैदा करता है।’
Created On :   14 Aug 2017 6:35 PM IST