- Home
- /
- चीन ने समझा,अब उसके जैसा खयाल रखने...
चीन ने समझा,अब उसके जैसा खयाल रखने वाले समझ जाएं , हम कोई कच्चे नहीं

डिजिटल डेस्क, नागपुर। राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ के सरसंघचालक डॉ.मोहन भागवत ने सरकार और भारतीय सेना की सराहना करते हुए कहा है कि चीन को हमारी ताकत अच्छी तरह समझ में आ गई है। उसके खिलाफ भारत तनकर खड़ा हुआ तो विश्व भर से उसे डांट मिलने लगी। चीन ने भारत को समझा, अब उसके जैसा खयाल रखनेवाले समझ जाएं। हम कोई कच्चे नहीं हैं। हर मामले में भारत मजबूत हो रहा है। सरसंघचालक ने यह भी कहा कि चीन की प्रतिक्रिया को लेकर अस्पष्टता है। ऐसे में भारत को सामरिक बल व आर्थिक मामले में और सक्षम होना होगा। भारत को चीन से बड़ा होना होगा। देश में राजनीतिक व सामाजिक तनाव फैलाने के प्रयासों का जिक्र करते हुए सरसंघचालक ने कहा-यहां की विविधता को लेकर भी लोग भ्रम फैला रहे हैँ। स्पर्धा और शत्रुता में अंतर को समझना होगा।
रेशमबाग स्थित महर्षि व्यास सभागृह में संघ का विजयादशमी उत्सव कार्यक्रम हुआ। इसी अवसर पर सरसंघचालक बोल रहे थे। संबोधन के आरंभ में सरसंघचालक ने कोरोना संकट और उसके परिणाम का जिक्र करते हुए कहा कि अन्य देशों की तुलना में भारत में कोरोना से कम नुकसान हुआ है। उन्होंने कहा-कोरोना संकट के समय ही चीन का संकट भी सबने देखा। हमारी सेना की अटूट देशभक्ति व अदम्य वीरता , हमारे शासनकर्ताओं का स्वाभिमानी रवैया एवं हम सब भारत के लोगों के दुर्दम्य नीत धैर्य का परिचय चीन को पहली बार मिला है। पूरी दुनिया ने देखा है कि कैसे चीन भारत के क्षेत्र में अतिक्रमण कर रहा है। चीन का विस्तारवादी व्यवहार सब देख रहे है। चीन कई देशों ताइवान, वियतनाम,यूएस, जापान और भारत से लड़ रहा है। लेकिन भारत की प्रतिक्रिया ने चीन को परेशान कर दिया है।
मनो की सांप्रदायिक आंच मन में रह गई
सरसंघचालक ने कहा कि कुछ लोगों ने देश में सांप्रदायिक आग फैलाने का प्रयास किया लेकिन मनों की सांप्रदायिक आंच मन के मन में रह गई। हमने देश में तनाव पैदा करनेवाले सीएए विरोधों को देखा। नागरिकता संशोधन कानून किसी भी भारतीय को देश से अलग करने के लिए नहीं है। लेकिन आरंभ से ही भ्रम फैलाया जाता रहा। इससे पहले की इस पर आगे चर्चा की जा सके, इस साल कोरोना पर ध्यान केंद्रित किया गया। कोरोना ने इन विषयों को ढंक दिया। समाज में अत्याचार, विषमता नहीं होना चाहिए। शासन की जिम्मेदारी है कि वह इस तरह की गतिविधि का तत्काल रोकें। लेकिन समाज को उकसानेवाली वृत्ति से भी सभी को सचेत रहना होगा। कुछ लोग आपस में झगड़ा लगाने लगते हैं। राजनीति में स्पर्धा होती है। होनी भी चाहिए। लेकिन राजनीति कोई युद्ध नहीं है। उसमें कोई शत्रु नहीं होता है। समाज व संघ के बारे मं भ्रम फैलानेवालों से सावधान रहें।
संघर्ष प्रगति नहीं केवल अन्याय निवारण के लिए,मतभेद के बाद भी सब साथ चल सकते हैं
राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सरसंघचालक डॉ.मोहन भागवत से समाज में पारिवारिक भावना के उभार का आव्हान करते हुए कहा है कि भारतीय विचार ने भी कभी संघर्ष को प्रगति का तत्व नहीं माना है। अन्याय निवारण के अंतिम साधन के रुप में ही संघर्ष मान्य है। मतभेद के बाद भी सब साथ मिलकर चल सकते हैँ। श्रीलंका, ब्रम्हदेश,बांग्लादेश, नेपाल जैसे देशों को साथ लेकर भारत आगे बढ़ सकता है। संघ के विजयादशमी उत्सव में सरसंघचालक ने अंतरराष्ट्रीय, राष्ट्रीय के साथ सामाजिक विषयों पर मार्गदर्शन किया। उन्होंने कहा घर में पानी बचाकर, प्लास्टिक का उपयोग त्यागकर, आंगन में बागवानी व वृक्षारोपण के कार्यक्रम चलाकर हर व्यक्ति सहज व प्रेरक बन सकते हैँ। सप्ताह में एक बार हम अपने परिवार में श्रद्धानुसार भजन व उपासना के साथ घर के भोजन का आनंद लें। विविध विषयों पर चर्चा करें। वोकल फार लोकल स्वदेशी संभावनाओं वाला उत्तम प्रारंभ है। स्व व स्वदेशी का सही पालन हो। कृषि नीति का हम निर्धारण करते हैं तो उस नीति से हमारा किसान अपने बीज स्वयं बनाने के लिए स्वतंत्र होना चाहिए। भारतीय किसान आवश्यक खाद, रोग प्रतिकारक दवाइयां व कीटनाशक स्वयं बनाता रहा है। हिंदू शब्द के वैश्विक, सभी अर्थों को कल्पना में समेटकर संघ चलता है। संघ जब हिंदुस्थान हिंदू राष्ट्र है इस बात का उच्चारण करता है तो उसके पीछे कोई राजनीतिक अथवा सत्ता केंद्रित संकल्पना नहीं होती है।
स्वतंत्रता के बाद धैर्य, आत्मविश्वास व सामूहिकता की अनुभूति अनेकों ने पहली बार पाई है। अपने समाज की एकरसता का, सहज करुणा व शील प्रवृत्ति का, संकट में परस्पर सहयोग के संस्कार का, जिन सब बातों को सोशल कैपिटल ऐसा अंग्रेजी में कहा जाता है, उस अपने सांस्कृतिक संचित सत्त्व का सुखद परिचय इस संकट में हम सभी को मिला है। "2019 में, अनुच्छेद 370 निष्प्रभावी हो गया। फिर सुप्रीम कोर्ट ने 9 नवंबर को अयोध्या में राम मंदिर को लेकर अपना फैसला सुनाया। संपूर्ण देश ने फैसले को स्वीकार कर लिया। पांच अगस्त 2020 को राम मंदिर निर्माण की शुरुआत हुई। हमने इस दौरान भारतीयों के धैर्य और संवेदनशीलता को देखा है।"
Created On :   26 Oct 2020 4:24 PM IST