मेडिकल जांच में मिले हैं पुरुष के गुणसूत्र, हाईकोर्ट से नहीं मिली राहत
![Chromosomes of male have been found in medical examination, no relief from High Court Chromosomes of male have been found in medical examination, no relief from High Court](https://d35y6w71vgvcg1.cloudfront.net/media/2023/02/chromosomes-of-male-have-been-found-in-medical-examination-no-relief-from-high-court_730X365.jpg)
डिजिटल डेस्क, मुंबई। बॉम्बे हाईकोर्ट ने एक ऐसी महिला पुलिसकर्मी को राहत देने से इनकार कर दिया है जो सर्जरी के जरिए स्त्री से पुरूष बनना चाहती थी। हाईकोर्ट ने कहा कि महिला पुलिसकर्मी पहले महाराष्ट्र न्यायाधिकरण (मैट) के सामने अपनी बात रखें। इस तरह हाईकोर्ट ने महिला पुलिस कर्मी को राहत देने से मना कर दिया। अपनी लैंगिकता को लेकर सामाजिक तानों से परेशान होकर नांदेड़ में जन्मी महिला पुलिसकर्मी ने लिंग परिवर्तन से जुडी सर्जरी का निर्देश दिए जाने की मांग को लेकर हाई कोर्ट में याचिका दायर की थी। महिला पुलिसकर्मी ने याचिका में दावा किया था कि वह समाज में अर्थपूर्ण जीवन जीना चाहती है। ऐसे में उसे लिंग परिवर्तन से जुड़ी सर्जरी से वंचित करना उसे संविधान से मिले मौलिक अधिकार का उल्लंघन है। इसलिए उसे सर्जरी के लिए एक माह की छुट्टी देने व कॉन्स्टेबल की नियुक्ति से जुड़े नियमों के तहत सर्जरी के संबंध में निर्देश दिया जाए। बीए पास महिला पुलिसकर्मी के मुताबिक उसका जन्म लड़की के रुप में हुआ था। पिता के निधन के बाद अनुकंपा नियुक्ति के आधार उसे साल 2012 पुलिस दल में पुलिस नाइक के पद पर नौकरी मिली थी।
याचिका के मुताबिक महिला पुलिसकर्मी भले ही लड़की के रुप में जन्मी थी लेकिन उसके मन में लगातार पुरूष होने की भावना आ रही थी। पहचान के द्वंद्व से परेशान होकर जब डॉक्टर की सलाह पर महिला पुलिसकर्मी ने निजी लैब में मेडिकल जांच कराई तो उसके शरीर में पुरुष के गुणसूत्र की पुष्टि हुई। इसके बाद महिला पुलिसकर्मी ने सेंट जॉर्ज अस्पताल में मेडिकल जांच कराई वहां पर भी उसके शरीर में पुरूष के गुणसूत्र पाए गए। याचिका के अनुसार मेडिकल रिपोर्ट के निष्कर्ष के आधार पर महिला पुलिसकर्मी ने नांदेड़ के पुलिस अधीक्षक के पास लिंग परिवर्तन से जुड़ी सर्जरी की अनुमति के आग्रह को लेकर पत्र लिखा। पुलिस अधीक्षक ने कहा कि इस मामले में राज्य पुलिस महानिदेशक कार्यालय से मार्गदर्शन लेना पड़ेगा। क्योंकि लिंग परिवर्तन को लेकर नियमों का अभाव है। लिहाजा पुलिस महानिदेशालय स्तर पर ही इस विषय पर फैसला लिया जा सकता है। पुलिस अधीक्षक से मिले इस जवाब के बाद महिला पुलिसकर्मी ने राज्य पुलिस महानिदेशालय से संपर्क किया लेकिन जनवरी 2023 में उसे वहां से कोई सकारात्मक जवाब नहीं मिला इसलिए महिला पुलिसकर्मी ने हाईकोर्ट में याचिका दायर की थी।
कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश एस वी गंगापुरवाला व न्यायमूर्ति एसवी मारने की खंडपीठ के सामने इस याचिका पर सुनवाई हुई। इस दौरान सरकारी वकील पूर्णिमा कंथारिया ने कहा कि याचिकाकर्ता को सीधे हाईकोर्ट आने की बजाय पहले उसे मैट के पास अपनी बात रखनी चाहिए थी। कानून के हिसाब से याचिकाकर्ता के पास पहले मैट के पास जाने का विकल्प मौजूद है। वहीं याचिकाकर्ता के वकील डॉ सैय्यद एजाज नकवी ने खंडपीठ से याचिका पर मैरिट के आधार पर सुनवाई करने का आग्रह किया। किंतु खंडपीठ ने कहा कि याचिकाकर्ता पहले उपलब्ध कानूनी विकल्प का इस्तेमाल कर मैट के सामने अपनी बात रखे। इस तरह से खंडपीठ ने याचिकाकर्ता को कोई राहत नहीं दी और उसकी याचिका को समाप्त कर दिया।
Created On :   11 Feb 2023 1:42 PM GMT