महाराष्ट्र : भाजपा में असंतुष्टों की कमी नहीं, आशीष का कांग्रेस में प्रवेश लंबित

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महाराष्ट्र : भाजपा में असंतुष्टों की कमी नहीं, आशीष का कांग्रेस में प्रवेश लंबित
महाराष्ट्र : भाजपा में असंतुष्टों की कमी नहीं, आशीष का कांग्रेस में प्रवेश लंबित

डिजिटल डेस्क, नागपुर। अपने बल पर राज्य में सत्ता में लौटने के प्रयास में जुटी भाजपा को अपने ही असंतुष्ट विधायकों को संभालने के लिए मशक्कत करनी पड़ रही है। काटोल से विधायक पद का इस्तीफा दे चुके आशीष देशमुख लंबे समय से खुले तौर पर पार्टी व पार्टी नेताओं के विरोध में बोलने लगे थे, लेकिन पार्टी की ओर से उनपर कोई कार्रवाई नहीं की जा सकी। फिलहाल आशीष का कांग्रेस में प्रवेश भी लंबित है। कहा जा रहा है कि पार्टी छोड़ने पर आशीष जैसी स्थिति न होने की आशंका के कारण ही कुछ विधायक मौन साधे हुए हैं, अन्यथा वे भीतरी तौर पर अपनी कसमसाहट व्यक्त कर चुके हैं। प्रदेश स्तर पर भाजपा ने कुछ असंतुष्टों पर दबाव लाने के लिए चौंकाने वाले निर्णय लिए हैं। 

महामंडलों के अध्यक्षों की नियुक्ति के समय शिवसेना व राकांपा के विधायक को मौका देकर अपने दल के असंतुष्टों को विधानसभा चुनाव में संभावित उम्मीदवारी को लेकर नया संकेत दिया है। लिहाजा असंतुष्टों का मौन कायम हैं। भाजपा के 5 से 6 असंतुष्ट विधायकों में सबसे पहले एकनाथ खडसे व आशीष देशमुख का नाम गिनाया जाता रहा है। मंत्री पद खोने के बाद खडसे भाजपा में बागी नेता बने हुए हैं। भाजपा उन्हें न तो मंत्री बनवा पर रही है न ही पार्टी से बाहर का रास्ता दिखा पा रही है। भाजपा के विधायकों की यह भी शिकायत रहती है कि उन्हें विधानसभा या विधानपरिषद में अपने निर्वाचन क्षेत्र के सवाल तक नहीं उठाने दिए जाते हैं। जनहित से जुड़े सार्वजनिक विषयों के सवालों में भी पहले ही देखा जाने लगता है कि उससे सरकार को कोई नुकसान ताे नहीं होगा। सवाल नहीं उठाने देने की शिकायत नागपुर जिले से भी मिलते रही है। नागपुर में कानून व्यवस्था व बिजली आपूर्ति के मामले में विधायक सुधाकर कोहले व कृष्णा खोपड़े आवाज उठाते रहे हैं। एसएनडीएल के विरोध में प्रदर्शन को भाजपा विधायकों का समर्थन मिलता रहा है जबकि ऊर्जामंत्री चंद्रशेखर बावनकुले कई मामलों पर पार्टी विधायकों को लेकर असंतोष जताते रहे हैं। 

विधायकों के असंतोष पर कृष्णा खोपड़े ने तो एक बार खुलकर प्रदेश भाजपा को खरी खरी सुनायी थी। नागपुर के ही शिक्षक सहकारी बैंक सभागृह में कार्यकर्ता सम्मेलन में प्रदेश अध्यक्ष रावसाहब दानवे से कहा था कि कुछ मंत्री पार्टी के विधायकों को भी नजरअंदाज करने लगे हैं। विधायकों की कोई बात सुनना तो दूर उन्हें अनदेखा कर लेफ्ट-राइट की पोजीशन में आगे निकल जाते हैं। शहर के ही विधायक विकास कुंभारे कह चुके हैं कि हलबा समाज के आरक्षण के संरक्षण को लेकर वे इस्तीफा देने को तैयार है। उधर मंत्री व अधिकारियों के प्रति असंतोष जतानेवालों की संख्या बढ़ती ही जा रही है। अकोला के सांसद संजय धाेत्रे के भांजे रणधीर सावरकर गृह राज्यमंत्री रणजीत पाटील को घेरने का कोई मौका नहीं छोड़ते हैं। सावरकर अकोला के विधायक हैं। वे गन लाइसेंस से लेकर जमीन आबंटन मामले में मंत्री पाटील पर भ्रष्टाचार के आरोप लगा चुके हैं। भंडारा जिले के तुमसर से विधायक चरण वाघमारे निर्माण कार्य विभाग को लेकर कभी खुश नहीं रहे हैं। सावर्जनिक निर्माण कार्य विभाग के मंत्री चंद्रकांत पाटील राज्य में दूसरे क्रमांक के मंत्री माने जाते हैं। विधायक वाघमारे शांत स्वभाव के माने जाते हैं। पर पाटील के मामले में आक्रामक हो जाते हैं। 

निकाय संस्था के अधिकार व योजनाओं के मामले में नागपुर के चिटणवीस सेंटर में हुई बैठक में वे मुख्यमंत्री के सामने निर्माण कार्य विभाग के प्रति असंतोष जता चुके हैं। उनका कहना है कि केवल बड़े शहर की सड़कें सुधारना ही काफी नहीं होगा। तुमसर जैसे क्षेत्रों की स्थिति देखना होगा जहां नगरपरिषदों के पास अधिकार तो है पर काम नहीं। सार्वजनिक निर्माण कार्य विभाग का सहयोग नहीं मिल रहा है। इस विभाग के विराेध में श्री वाघमारे मुख्यमंत्री को पत्र भेजते रहते हैं। मराठवाड़ा के भाजपा िवधायक प्रशांत बंब तो अधिकारियों के विरोध में रहकर सरकार पर भी उंगली उठाने से नहीं चूकते हैं। हालांकि बंब पर ही यह भी अारोप लगा है कि वे अधिकारियों को ब्लैकमेल करने लगते हैं। लेकिन निर्माण कार्य विभाग के सचिव सी.पी जोशी के विरोध में आवाज उठाते हुए विधायक बंब भाजपा के लिए कई बार बागी की मुद्रा में आ जाते हैं।

Created On :   6 Oct 2018 10:33 AM GMT

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