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जनता की समस्याओं पर नहीं हुई चर्चा, हंगामे की भेंट चढ़ी जिपं सामान्य प्रशासन समिति की बैठक

भास्कर ब्यूरो सीधी। जिला पंचायत में आयोजित बैठक फिर हंगामे की भेंट चढ़ गई है। बैठक में केवल पालन प्रतिवेदन तक ही बात शुरू हो सकी किंतु सदस्यों की उत्तेजना के बाद माहौल बिगड़ा तो एजेण्डे पर किसी तरह की चर्चा नही हुई। जिला पंचायत की इसके पहले भी आयोजित होने वाली बैठकों में हंगामा होता रहा है।
बैठक में पास प्रस्ताव से हटकर किया जाता है कार्य
सामान्य प्रशासन समिति की बैठक में अबकि वन समिति की सभापति श्रीमती ऊषा गोपाल पटेल गुस्से में देखी गई है। बताया जाता है कि जैसे ही पालन प्रतिवेदन प्रस्तुत किया गया वैसे ही सदस्य द्वारा कड़ा विरोध जताते हुये कहा गया कि पिछली बैठकों में जो भी प्रस्ताव दिये गये थे उसके इतर प्रस्ताव लिखकर पालन प्रतिवेदन प्रस्तुत किया जाता है। मतलब यह कि सदस्य कहते कुछ और हैं और अधिकारी करते कुछ और हैं। इसीलिये वह नाराज हुईं तो सामने रखी फाइल को जोर से झटक दिया जिस कारण पानी की बाटल यहां-वहां जाकर गिर गई। इसके पहले मनोज भारती कृषि स्थाई समिति के सभापति द्वारा अपने समिति के सचिव को बदलने संबंधी पूर्व में लाये गये प्रस्ताव के पालन पर चर्चा छेड़ी थी। जिस पर बैठक में मौजूद अति.सीईओ जिला पंचायत ने बताया कि प्रस्ताव को सदस्य सीधे शासन को भेज सकते हैं और जिला सीईओ भी चाहें तो सचिव की बदली कर सकते हैं। उन्होंने जब नियम कायदे की बात बताई तो डीडीए ने भी प्रतिरोध शुरू किया जिस पर तत्काल नियमावली प्रस्तुत की गई। बैठक के दौरान इन्हीं दो सदस्यों के गर्मागर्म बहस और टेबिल पर रखी सामग्री को फेंकने से माहौल गर्म हुआ तो अति. मुख्य कार्यपालन अधिकारी भी दवा लेने का बहाना कर बैठक से निकल लिये तो दूसरे अधिकारी भी बिगड़े माहौल से तत्काल ही किनारा कर लिये।
नहीं हुईएजेंडे पर चर्चा
जानकारों के मुताबिक सामान्य प्रशासन समिति की बैठक के लिये जो एजेण्डा निर्धारित किया गया था उस पर चर्चा नही हो पाई है। बैठक का माहौल खराब होने के बाद अधिकारियों ने रवानगी ले ली तो बाद में समिति के सदस्यों ने भी बैठक को समाप्त कर दिया। बता दें कि इसके पहले भी जिला पंचायत की जितनी भी बैठकें आयोजित हुई हैं उसमें हंगामा जरूर हुआ है। हंगामे के कारण बैठक किसी ठोस नतीजे पर नहीं पहुंच पाई है। जिला पंचायत सदस्य और अधिकारियों के बीच लंबे समय से ठनी रहने के कारण जनहित के कार्य भी प्रभावित हो रहे हंै। इस सब के बीच अधिकारियों और सदस्यों के बीच सामंजस्य बैठाने की कोई पहल भी नहीं कर पा रहा है। कुल मिलाकर हर महीने या दूसरे महीने बैठक तो आयोजित हो रही है पर कोई नतीजा नहीं निकल रहा है।
Created On :   12 April 2018 2:06 PM IST