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मेडिकल कॉलेज का जनवरी में होना था कार्य पूर्ण, अभी 30 फीसदी बाकी

डिजिटल डेस्क शहडोल । मेडिकल कॉलेज की कक्षाएं इसी सत्र प्रांरभ कराने की योजना पर भवन निर्माण की मंथर गति बाधक बन सकती है। निर्माण की लागत 208 करोड़ से बढ़कर 230 करोड़ हो जाने के बाद तय समय सीमा में निर्माण पूरा नहीं हो सका। शासन की घोषणा के अनुसार भवन को जनवरी 2018 में बनकर तैयार होना था। लेकिन अभी भी 20 से 30 फीसदी कार्य होना बाकी है। मप्र शासन चिकित्सा विभाग द्वारा भर्ती प्रक्रिया भी चालू कराई जा चुकी है। लेकिन जिस प्रकार से निर्माण चल रहा है उसे देखते हुए नहीं लगता कि इस सत्र से मेडिकल की कक्षाएं संचालित हो सकेंगी।
संभागीय मुख्यालय से 5 किलोमीटर दूर स्थित ग्राम कुदरी में 42 एकड़ क्षेत्रफल में 500 सीटर मेडिकल कॉलेज भवन निर्माण का ठेका डीवी प्रोजेक्ट लिमिटेड को मिला हुआ है। एजेंसी ने जनवरी 2016 में निर्माण शुरु किया था। जिसे दो वर्ष में यानि जनवरी 2018 में कार्य पूर्ण कर मेडिकल कौंसिल ऑफ इंडिया के हैण्डओवर करना था। वर्तमान में हालांकि भवन निर्माण 90 फीसदी तथा अन्य संरचनाओं के कार्य 70 प्रतिशत पूर्ण होने का दावा किया जा रहा है।
इसलिए बना रिवाइज स्टीमेट
शासन की घोषणा के बाद मेडिकल कॉलेज संचालन के लिए वांछित भवनों के लिए जो स्टीमेट तैयार किया गया था उसके लिए 208 करोड़ रुपये के बजट की व्यवस्था की गई थी। लेकिन निर्माण में गति आने के साथ कई ऐसी संरचनाओं को जोड़ा गया जो जरूरी समझा गया। 500 सीटर मेडिकल कॉलेज के अनुरूप कुछ नये भवन तथा अन्य संसाधनों को जोड़ा जाकर रिवाइज स्टीमेट तैयार कराकर बजट 230 करोड़ का किया गया। निर्माण एजेंसी का कहना है कि इसी कारण कार्य पूर्ण होने में कुछ विलंब हो रहा है।
अभी तक इतना हुआ कार्य
भवन निर्माण 90 प्रतिशत पूरा हुआ है। इसमें एकेडमिक भवन, हॉस्पिटल भवन, जनरल वार्ड, आईसीयू, डीन कार्यालय, प्रयोगशाला भवन, पीएम हाउस, स्टाफ रूम, बालक-बालिका हॉस्टल, शॉपिंग सेंटर, आवासीय भवन आदि के निर्माण पूरे हो चुके हैं। इंटीरियर रोड लगभग 4 किलोमीटर का निर्माण प्रगति पर है। परिसर के भीतर सीसी रोड बनाए जा रहे हैं। बन चुके भवनों की फिनिसिंग अभी होना है। किस भवन में किस रंग की पुताई होनी है इसका निर्धारण अभी नहीं हो सके हैं। आडिटोरियम निर्माण का कार्य भी कराया जा रहा है, जो अधूरा है।
वाटर हार्वेस्टिंग का जिक्र नहीं
मेडिकल कॉलेज जैसे बड़े भवन निर्माण में वाटर हार्वेस्टिंग की अनदेखी की गई है। पता चला है कि रिवाइज स्टीमेट में भी इसे शामिल नहीं किया गया है। जबकि नियमानुसार किसी भी प्रकार के भवन निर्माण की मंजूरी के लिए वाटर हार्वेस्टिंग को अनिवार्य किया गया है ताकि बरसात का पानी ब्यर्थ बहने की बजाय जमीन के अंदर ही चला जाये। हालांकि सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट एसडीपी की स्थापना की जा रही है। जिसमें वेस्ट पानी का रिवाइकल के बाद दोबारा उपयोग किया जा सके।
जून तक कर देेंगे हैण्डओवर
-कार्य शुरु होने के बाद कई निर्माण शामिल कर स्टीमेट रिवाईज किया गया। कार्य प्रगति पर है, मई-जून तक पूरा कर हैण्डओवर करने का प्रयास होगा।
मोहित कटारे, एचआर निर्माण एजेंसी
Created On :   16 March 2018 2:33 PM IST