जिला परिषद में ताले में बंद टैब, आनलाइन नियोजन में हो रही परेशानी

Closed tabs under lock in Zilla Parishad, problems in online planning
जिला परिषद में ताले में बंद टैब, आनलाइन नियोजन में हो रही परेशानी
जिला परिषद में ताले में बंद टैब, आनलाइन नियोजन में हो रही परेशानी

डिजिटल डेस्क, नागपुर। वित्तीय वर्ष 2016 में जिला परिषद सदस्यों को ऑनलाइन कामकाज के लिए टैब दिए गए थे। फिर चुनाव से पहले सदस्यों से टैब वापस ले लिए गए। नए सदस्यों का चुनाव हुए एक वर्ष से अधिक समय हो गया है, लेकिन अभी तक उन्हें टैब वितरित नहीं किए गए हैं। सदस्यों से लिए गए टैब ताले में बंद हैं। कोरोना के चलते सभी बैठकों का ऑनलाइन आयोजन किया जा रहा है। आवश्यकता के समय सदस्यों के पास लैपटॉप या टैब नहीं रहने से बैठकों में शामिल होने में असुविधा हो रही है।

सेस फंड से खरीदे गए थे टैब : तत्कालीन जिला परिषद अध्यक्ष निशा सावरकर के कार्यकाल में जिला परिषद के सेस फंड से टैब खरीदे गए थे। इसके लिए ग्राम विकास व जलसंधारण विभाग से मंजूरी ली गई। 40 हजार रुपए कीमत के ब्रांडेड कंपनी के 58 टैब 21 लाख रुपए में खरीदे गए। सदस्यों को टैब चलाने का प्रशिक्षण भी दिया गया।

टेक्नोसेवी करने की पहल : केंद्र सरकार ने डिजिटल इंडिया का नारा लगाया। उसी की तर्ज पर जिला परिषद सदस्यों को टेक्नोसेवी करने की जिला परिषद ने पहल की थी। सरकार की योजनाएं ग्रामीण स्तर पर पहुंचाने के उद्देश्य से सदस्यों को टैब दिए गए।

भूमिका समझ से बाहर : ऑनलाइन बैठक में सहभागी होने के लिए सदस्यों को टैब की आवश्यकता है। उनके पास सुविधा नहीं रहने से बैठक में सहभागी होने के लिए पंचायत समिति में जाना पड़ रहा है। सदस्यों के टैब ताले में बंद रखने की जिला परिषद प्रशासन की भूमिका समझ से बाहर है।
 

Created On :   24 May 2021 3:07 PM IST

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