सरल सेवा के माध्यम से 154 पीएसआई सेवा में होंगे शामिल, रिक्त पद नहीं भरने पर हाईकोर्ट नाराज   

CM Devendras major announcement regarding the 154 PSI police sub-inspectors
सरल सेवा के माध्यम से 154 पीएसआई सेवा में होंगे शामिल, रिक्त पद नहीं भरने पर हाईकोर्ट नाराज   
सरल सेवा के माध्यम से 154 पीएसआई सेवा में होंगे शामिल, रिक्त पद नहीं भरने पर हाईकोर्ट नाराज   

डिजिटल डेस्क, मुंबई। अनुसूचित जाति-जनजाति के 154 पीएसआई  पुलिस उपनिरीक्षकों के संबंध में मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने बड़ी घोषणा की है। मुख्यमंत्री ने कहा कि पदोन्नति नहीं सरल सेवा के माध्यम से 154 पीएसआई  को सेवा में शामिल किया जाएगा। मंत्रालय में पत्रकारों से बातचीत में मुख्यमंत्री ने कहा कि सभी पीएसआई ने ट्रेनिंग ली थी। लेकिन मैट के फैसले के कारण उनकी बहाली नहीं हो पाई। सरकार का मानना है कि उनकी पदोन्नति नहीं हुई थी, बल्कि नियमित परीक्षा पास करने के बाद पीएसआई की ट्रेनिंग ली है। इसलिए सभी को नौकरी में शामिल किया जाएगा। 

क्या है मामला
पदोन्नति में आरक्षण को गैरकानूनी ठहराते हुए मैट ने अनुसूचित जाति-जनजाति के 154 पीएसआई की नियुक्ति रोक दी थी। मैट ने सभी को पुराने पदों पर नियुक्त करने या नियुक्ति के लिए प्रतीक्षारत रखने को कहा था। दरअसल मामले में पदोन्नति में आरक्षण का दावा करते हुए मंदार पाटील, संतोष राठौड, एमएस राडीये समेत करीब सवा सौ उम्मीदवारों ने फैसले को मैट में चुनौती दी थी। दावा किया गया था कि इससे सामान्य वर्ग के उम्मीदवारों के साथ अन्याय हो रहा है। सरकार का आदेश उच्च न्यायालय के फैसले का उल्लंघन है। उस पर सुनवाई करते हुए मैट के अध्यक्ष न्यायमूर्ति एएच जोशी और सदस्य प्रवीण दीक्षित ने सरकारी नौकरी में पदोन्नति में आरक्षण का कानून न होने का हवाला देते हुए 154 पीएसआई की नियुक्तियों पर रोक लगा दी थी।  अब मुख्यमंत्री देवेन्द्र फडणवीस की इस घोषणा से अब इन सभी पीएसआई को लाभ मिलने की उम्मीद व्यक्त की जा रही है।

इधर रिक्त पद नहीं भरने पर हाईकोर्ट नाराज 
परिवहन विभाग में तकनीकी कर्मियों की नियुक्ति को लेकर अदालत के निर्देशों का पालन नहीं करने पर बॉम्बे हाईकोर्ट ने   नाराजगी जताई। हाईकोर्ट ने कहा कि सरकार हमारे सामने उन अधिकारियों की सूची पेश करे जो अदालत के निर्देश का पालन नहीं करने के लिए जिम्मेदार हैं। हाईकोर्ट ने कहा कि हमने सरकार की जरूरत के हिसाब से एक हजार से अधिक तकनीकी कर्मियों की नियुक्ति का निर्देश 2013 में जारी किया था। पांच साल बीत जाने के बावजूद न नियुक्ति हुई और न ही  वाहनों के फिटनेस टेस्ट के लिए मुंबई में जरूरी चार ट्रैक का निर्माण हुआ। न्यायमूर्ति अभय ओक व न्यायमूर्ति एमएस सोनक की खंडपीठ ने सामाजिक कार्यकर्ता श्रीकांत कर्वे की ओर से दायर जनहित याचिका पर सुनवाई के दौरान यह बात कही। सुनवाई के दौरान परिवहन विभाग के प्रधान सचिव की ओर से पैरवी कर रहे वरिष्ठ अधिवक्ता प्रसाद ढाकेपालकर ने कहा कि प्रधान सचिव ने जून 2018 में अपना कार्यभार संभाला है। वे खुद यह देखेंगे कि अदालत के निर्देशों का पालन किया जाए। पर इसके लिए उन्हें थोड़ा वक्त दिया जाए। खंडपीठ ने फिलहाल मामले की सुनवाई 25 अक्टूबर तक के लिए स्थगित कर दी है। 

Created On :   24 Oct 2018 8:54 AM GMT

और पढ़ेंकम पढ़ें
Next Story