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भीमा-कोरेगांव हिंसा कोई घटना नहीं बल्कि एक बड़ी साजिश का हिस्सा थी : सीएम फडणवीस
डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। भीमा कोरेगांव युद्ध की 200वीं सालगिरह पर आयोजित कार्यक्रम के दौरान निहत्थे लोगों पर दूसरे समूह द्वारा किए गए पथराव के बाद हुई हिंसा की घटना को मुख्यमंत्री देवेन्द्र फडणवीस ने एक बड़ी साजिश का हिस्सा बताया है। उन्होंने कहा कि हिंसा जैसी वह कोई घटना नही थी। इस घटना के बाद सरकार ने कई छापेमारी की और पता लगाया कि जिनको हिरासत में लिया गया वह नक्सलियों के साथ मिलकर इस तरह की कई घटनाओं को अंजाम देने वाले थे। इसके हमारे पास सबूत भी है।
मुख्यमंत्री ने कहा कि कई सूडो लिबरल्स (छद्म उदारवादी) सुप्रीम कोर्ट गए थे, लेकिन फैसला सरकार के ही पक्ष में आया। उन्होने कहा कि जिन्होने संविधान के खिलाफ काम किया उनके खिलाफ हमने कार्रवाई की। मुख्यमंत्री ने यह बात शनिवार को यहां आयोजित 16वीं हिन्दुस्तान टाइम्स लीडरशीप समिट में यह बात कहीं। गौरतलब है कि भीमा-कोरेगाव हिंसा मामले में महाराष्ट्र सरकार की एक जांच रिपोर्ट में यह खुलासा हुआ था कि शुरुआती हिंसा के पीछे राज्य के हिंदूवादी नेता संभाजी भिडे और मिलिंद एकबोटे का हाथ था। इसके बाद पुणे पुलिस द्वारा कई जगहों पर की गई छापेमारी में पांच व्यक्तियों को हिरासत में लिया गया था। जिसके खिलाफ इतिहासकर रोमिला थापर सहित अन्य ने सुप्रीम कोर्ट में दस्तक दी थी।
सुप्रीम कोर्ट ने मामले पर गत सप्ताह सुनवाई के दौरान बहुमत के फैसले में एसआईटी से जांच कराने की मांग खारिज करते हुए उनकी नजरबंद की अवधि को और 4 हफ्ते बढा दी थी। साथ ही कहा था कि इस मामले में गिरफ्तारी सिर्फ इसलिए नही हुई, क्योंकि असहमति थी। वहीं जस्टिस चंद्रचूड़ ने बहुमत से विपरीत पक्ष रखते हुए कहा था कि गिरफ्तार आरोपियों का नक्सलियों से कोई लिंक नही पाया गया। पुणे पुलिस का इस मामले में बर्ताव सही नही रहा। बता दें कि इस फैसले के बाद यह खबर भी आई कि सरकार ने भीमा कोरेगाव मामले में भिडे के खिलाफ दंगे के कई मामलों को वापस ले लिया है।
Created On :   6 Oct 2018 2:24 PM GMT