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नए पाठ्यक्रमों को शुरू करने में रुचि नहीं ले रहे कॉलेज

डिजिटल डेस्क, नागपुर। राष्ट्रसंत तुकड़ोजी महाराज नागपुर विश्वविद्यालय ने अपने सभी संलग्नित कॉलेजों के लिए कई नए पाठ्यक्रम ऑफर किए हैं। इन पाठ्यक्रमों को आज की जरूरत और नवाचार को ध्यान में रख कर डिजाइन किया गया है। लेकिन फिर भी स्थानीय कॉलेज इन पाठ्यक्रमों को अपने यहां शुरू करने से परहेज कर रहे हैं। यही कारण है कि यूनिवर्सिटी के कई अच्छे पाठ्यक्रम महज कागजी योजना बन कर ही सिमट गए हैं। दरअसल नागपुर यूनिवर्सिटी ने वर्ष 2019-24 के पांच वर्षीय प्रॉस्पेक्टिव प्लाॅन में कई नए पाठ्यक्रम शुरू करने का निर्णय लिया गया था। इसमें कई डिप्लोमा, अंडरग्रेजुएट और पोस्ट ग्रेजुएट पाठ्यक्रमों का समावेश है। इसमें बीएससी एलएलबी (फॉरेंसिक साइंस), बीबीए एलएलबी, बीएससी फाइनेंस, एमएससी फाइनेंस, सोशल सर्विस आर्गेनाइजेशन मैनेजमेंट, डिप्लोमा इवेंट मैनेजमेंट, स्कूल मैनेजमेंट, ट्रायबल स्टडीज, वाटर मैनेजमेंट जैसे ढेरों पाठ्यक्रम शामिल हैं, लेकिन अब तक ये पाठ्यक्रम कॉलेजों में शुरू नहीं हो सके हैं।
नए पाठ्यक्रमों की सफलता पर शक
मुख्य कारण है कि कॉलेज अब भी बीए, बीएससी, बी.कॉम जैसे पारंपरिक पाठ्यक्रमों को ही थामे बैठे हैं, इन पाठ्यक्रमों में आसानी से विद्यार्थी प्रवेश ले लेते हैं। वहीं उक्त नए पाठ्यक्रमों की सफलता और लोकप्रियता पर कॉलेजों को शक है। कॉलेजों में असमंजस है कि ये पाठ्यक्रम शुरू करने के बाद विद्यार्थी प्रवेश लेंगे या नहीं? यही कारण है कि विवि अपनी पांच वर्षीय योजना में पिछड़ता नजर आ रहा है। जानकारों की मानें तो बीते एक वर्ष से जारी कोरोना संक्रमण से जो परिस्थितियां उभरी हैं, उसमें शायद ही कोई कॉलेज नए पाठ्यक्रम शुरू करने का रिस्क लेंगे। हालांकि विवि ने ये पाठ्यक्रम रोजगार की दृष्टि से भी ऑफर किए थे। इसमें टाइगर टूरिज्म, फ्लाय एेश यूटिलाइजेशन, बांबू टेक्नोलॉजी, स्पोर्ट्स मेडिसिन, ऑनर्स इन सायकोलॉजी, कॉमर्स, स्पोर्स्ट्स मैनेजमेंट, एमए इन इंवायरमेंट इकोनॉमिक्स जैसे कई पाठ्यक्रमों का समावेश है। यूनिवर्सिटी को उम्मीद थी कि स्थानीय रोजगार के अवसरों को देखते हुए पाठ्यक्रम शुरू करने से फायदा होगा। लेकिन अब तक विवि की योजना सफल नहीं हो सकी है।
पारंपरिक पाठ्यक्रमों को ही प्राथमिकता
यह बात सही है कि प्रॉस्पेक्टिव प्लाॅन में प्रस्तावित नए पाठ्यक्रमों को कॉलेजों की ओर से प्रतिसाद नहीं मिल सका है। कॉलेज अब भी ज्यादा डिमांड वाले पारंपरिक पाठ्यक्रमों को ही प्राथमिकता दे रहे हैं। कॉलेजों को नए पाठ्यक्रमों का स्कोप समझ कर आगे आने की जरूरत है। - डॉ. सुभाष चौधरी, कुलगुरु नागपुर विश्वविद्यालय
Created On :   20 April 2021 4:27 PM IST