बुलेट ट्रेन  प्रोजेक्ट के लिए अधिग्रहित जमीन के बदले मिली मुआवजे की रकम कर योग्य नहीं

Compensation amount received in lieu of land acquired for bullet train project is not taxable
बुलेट ट्रेन  प्रोजेक्ट के लिए अधिग्रहित जमीन के बदले मिली मुआवजे की रकम कर योग्य नहीं
हाईकोर्ट ने कहा बुलेट ट्रेन  प्रोजेक्ट के लिए अधिग्रहित जमीन के बदले मिली मुआवजे की रकम कर योग्य नहीं

डिजिटल डेस्क, मुंबई।   बांबे हाईकोर्ट ने अपने एक आदेश में साफ किया है कि नेशनल हाई स्पीड रेल कार्पोरेशन लिमिटेड (एनएचएसआरसीएल) द्वारा ली गई जमीन के बदले दिए गए मुआवजे पर आयकर नहीं काटा जा सकता है।  मामला एनएचएसआरसीएल की ओर से मुंबई अहमदाबाद बुलेट ट्रेन प्रोजेक्ट के लिए भिवंडी में अधिग्रहित की गई जमीन से जुड़ा है। जिसे लेकर सीमा पाटिल ने हाईकोर्ट में याचिका दायर की थी। याचिका में पाटिल ने मांग की गई थी कि उसे मुआवजे के रुप में दी रकम में से कांटे गए टैक्स डिडक्सन एट सोर्स(टीडीएस) को वापस करने का निर्देश दिया जाए। 

न्यायमूर्ति एसवी गंगापुरवाला व न्यायमूर्ति एमजी सिविलिकर की खंडपीठ ने याचिका पर सुनवाई के बाद दिए गए आदेश में कहा कि याचिकाकर्ता की जमीन सार्वजनिक प्रोजेक्ट के लिए अधिग्रहित की गई हैं। हालांकि जमीन का अधिग्रहण निजी तौर पर किए गए मोलभाव पर किया गया हैं। ताकि सार्वजनिक प्रोजेक्ट का काम तेजी से किया जा सके। खंडपीठ ने मामले से जुड़े तथ्यों पर गौर करने के बाद कहा कि मौजूदा मामले में याचिकाकर्ता को जो मुआवजा दिया गया है उस पर आयकर नहीं काटा जा सकता है। इसलिए एनएचएसआरसीएल को याचिकाकर्ता को दिए गए मुआवजे पर टीडीएस नहीं काटना चाहिए था। क्योंकि इस मामले में जमीन बिक्री का जो करार हुआ है वह कर से मुक्त है और निजी तौर पर किए गए मोलभाव के बाद जमीन का अधिग्रहण हुआ हैं। 

 आयकर विभाग जरुरी सुधार करके याचिकाकर्ता को कर के रुप में काटी गई राशि को लौटाने की दिशा में कदम उठाए।  इससे पहले याचिकाकर्ता की ओर से पैरवी करनेवाले वकील देवेंद्र जैन ने दावा किया कि राइट टू फेयर कंपनसेशन एंड ट्रांसपरंसी इन लैंड एक्विजिशन संबंधी कानून के तहत किए जानेवाले अधिग्रहण के बाद मिलनेवाले मुआवजे को आयकर से मुक्त किया गया हैं। वहीं एनएचएसआरसीएल ने दावा किया था कि जमीन का अधिग्रहण दो पक्षकारों के बीच हुए अनुबंध के बाद किया गया है। यह अनिवार्य अधिग्रहण नहीं है। इसलिए इस मामले में नियमानुसार याचिकाकर्ता को कर देना पड़ेगा। इस तरह खंडपीठ ने मामले से जुड़े दोनों पक्षों को सुनने के बाद उपरोक्त फैसला सुनाया।
 

Created On :   10 Jun 2022 7:14 PM IST

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