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एनएचएआई को मुआवजा बढ़ाकर दिया जाए

डिजिटल डेस्क, नागपुर। उच्च न्यायालय की नागपुर खंडपीठ ने जामठा, गवसी (मानापूर) और परसोडी को जमीन अधिग्रहण के बदले में मुआवजा बढ़ा कर देने का आदेश दिया है। न्यायमूर्ति ए. एस. चांदूरकर और जी. ए. सनप की खंडपीठ ने निचली अदालत के आदेश पर भी रोक लगा दी है। इस मामले में हाईकोर्ट ने आर्बिट्रेटर के आदेश का पालन करने का निर्देश एनएचएआई को दिया है।
यह है मामला : राष्ट्रीय महामार्ग प्राधिकरण ने जून 2010 में हाईवे के निर्माण के लिए जमीन अधिग्रहण की प्रक्रिया आरंभ की थी। इस दौरान सरकारी दाम पर जमीन का मुआवजा तीनों गांवों के नागरिकों को दिया गया था। हालांकि मुआवजे की रकम को लेकर नागरिक संतुष्ट नहीं हुए थे। ऐसे में अतिरिक्त विभागीय आयुक्त को आर्बिटेटर के रूप में नियुक्त किया गया था। आर्बिट्रेटर ने गांव वालों और एनएचएआई के पक्ष को सुनने के बाद सरकारी मूल्यांकन कर्ता की रिपोर्ट के आधार पर जमीन का मुआवजा बढ़ाकर देने का आदेश पारित किया था। आर्बिट्रेटर के आदेश के विरोध में राष्ट्रीय महामार्ग प्राधिकरण ने जिला न्यायालय में गुहार लगाई थी। जिला न्यायालय ने आर्बिट्रेशन अधिनियम 1996 की धारा 34 को को रद्द करते हुए एनएचएआई के मुआवजे को सही माना था। जिला न्यायालय के आदेश को गांव वालों ने उच्च न्यायालय में चुनौती दी थी।
इन्होंने की पैरवी : वरिष्ठ अधिवक्ता श्रीरंग भांडारकर, मनीष शुक्ला, ए. एस. जायस्वाल, आर. पी. जोशी ने तीनों गांवों के करीब 20 से अधिक याचिकाकर्ताओं की ओर से पैरवी की। न्यायालय ने दोनों पक्षों को सुनने के बाद निचली अदालत के आदेश को रद्द करते हुए आर्बिट्रेटर के निर्णय को सही मानकर मुआवजा बढ़ोतरी का आदेश एनएचएआई को दिया है। एनएचएआई की ओर से अधिवक्ता ए. एम. घरे और राज्य सरकार की ओर से सरकारी अधिवक्ता एस. एस. जाचक ने पैरवी की।
Created On :   27 Nov 2021 3:05 PM IST