विधायक व कांग्रेस नेता में तनातनी, सभा छोड़कर लौटे विधायक

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विधायक व कांग्रेस नेता में तनातनी, सभा छोड़कर लौटे विधायक

डिजिटल डेस्क, नागपुर। मंत्री की सभा में विधायक व कांग्रेस नेता के बीच तनातनी हुई। मामला इतना बिगड़ा कि विधायक सभा छोड़कर चले गए।  कामठी तहसील के विकास कार्यों की समीक्षा के समय यह वाकया हुआ। पशुपालन व युवा खेल मंत्री सुनील केदार की मौजूदगी में विधायक टेकचंद सावरकर व कांग्रेस के प्रदेश महासचिव सुरेश भोयर के बीच ‘शाब्दिक’ टकराव हुआ। दोनाें पक्ष ने एक दूसरे पर सभा का माहौल खराब करने का आरोप लगाया है। 

जनसमस्याओं पर चल रही थी चर्चा
कामठी नागपुर मार्ग पर राज रायल लाॅन में सुबह 10 बजे से सभा शुरू थी। सभा में 21 विभागों के अधिकारी कर्मचारी थे। 48 सरपंच व 10 से अधिक नगरसेवक थे। जनप्रतिनिधियों में कांग्रेस के पदाधिकारी अधिक थे। मंच पर प्रमुख अतिथि थे। मंच के सामने जनप्रतिनिधि बारी-बारी से अपनी बात रख रहे थे। करीब 11 बजे सावरकर व भोयर के बीच तनातनी हुई। बताया जा रहा है कि सावरकर सभा में बैठक व्यवस्था को लेकर नाराज थे। उनका आरोप था कि सरकारी कार्यों की समीक्षा के कार्यक्रम को कांग्रेस की सभा का स्वरूप दिया जा रहा है। मंच पर उन्हें जान-बूझकर कोने में बैठाया गया है। सावरकर ने अपनी बात रखने के लिए मंत्री केदार से निवेदन किया, लेकिन केदार ने उन्हें यह कहकर समझाने का प्रयास किया कि पहले अन्य जनप्रतिनिधियों को बोलने दिया जाए। उसी दौरान सावरकर ने तल्ख शब्दों में कुछ कहा तो भाेयर भड़क गए। उन्होंने सावरकर को चुप रहने को कहा। तनातनी ऐसी बढ़ी कि तहसीलदार अरविंद हिंगे को मध्यस्थता करनी पड़ी। बाद में सावरकर सभा छोड़कर चले गए। 

पहले भी हुआ है विवाद
इसके पहले भी विधायक सावरकर का कांग्रेस नेताओं के साथ सार्वजनिक तौर पर विवाद हुआ है। गत वर्ष जून में ही मौदा में पालकमंत्री नितीन राऊत की उपस्थिति में सभा के समय सावरकर भड़के थे। उनका आरोप था कि कांग्रेस के मंत्री व नेता जान-बूझकर अन्य दल के चुने हुए जनप्रतिनिधियों का अपमान कर रहे हैं। उस सभा में भी मंत्री केदार उपस्थित थे। आरोप लगाया गया कि मंत्री केदार राजनीतिक दबदबा दिखाने के लिए अक्सर सभाओं में जनप्रतिनिधियों का अपमान कराते हैं। कई बार जनप्रतिनिधियों को आमंत्रित नहीं किया जाता है। मंच पर जनप्रतिनिधि को स्थान देने के लिए पक्षपात करते हैं। कामठी की सभा से सावरकर मंत्री केदार की कार्यशैली का विरोध करते हुए लौटे। सभा में रामटेक के निर्दलीय विधायक आशीष जैस्वाल, जिप अध्यक्ष रश्मि बर्वे, जिप के सीईओ योगेश कुंभजकर भी थे। आशीष जैस्वाल मंत्री केदार के बगल में बैठे थे। सावरकर को आठवें क्रमांक की कुर्सी पर बैठाया गया था। 

विधानसभा में मुद्दा रखूंगा
कामठी की सभा में हुई घटना चुने हुए जनप्रतिनिधि का अपमान है। अधिकारियों ने जनप्रतिधियों के अधिकार संबंधी प्रोटोकाल का पालन नहीं किया। स्थानीय प्रशासन से शिकायत करूंगा। विधानसभा में मुुद्दा रखूंगा।
टेकचंद सावरकर, विधायक कामठी

विधायक को भी अनुशासन का पालन करना चाहिए
विधायक के व्यवहार को सबने देखा है। वे कार्यक्रम में विलंब से पहुंचे थे। अपनी बात रखने के लिए जल्दी में थे। मंत्री की समझाइश पर विधायक का जवाब अपमानजनक था। विधायक को भी अनुशाासन का पालन करना चाहिए। 
सुरेश भोयर, कांग्रेस महासचिव महाराष्ट्र

विधानसभा चुनाव में सावरकर व भोयर थे आमने-सामने
2019 के विधानसभा चुनाव में सावरकर व भोयर आमने-सामने थे। भाजपा ने तत्कालीन मंत्री चंद्रशेखर बावनकुले के स्थान पर सावरकर को उम्मीदवार बनाया था। सावरकर जिप की राजनीति में भी चर्चा में रहे हैं। जिप सदस्य रहे हैं। उनकी पत्नी निशा सावरकर जिला परिषद की अध्यक्ष रही है। सुरेश भोयर भी जिप के अध्यक्ष रहे हैं। वे भाजपा से बगावत कर कांग्रेस में शामिल हुए थे। कहा जा रहा है कि गुटबाजी की राजनीति को बढ़ावा देते हुए कांग्रेस व भाजपा के कुछ नेता जान-बूझकर कुछ जनप्रतिनिधियों को अपमानित करने का कार्य कर रहे हैं। 
 

Created On :   15 Jun 2021 1:58 PM IST

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