PHD एंट्रेंस को लेकर उलझन, एग्जाम के बाद निकाली अधिसूचना

Confusion about PHD Entry, Notification issued after Examination
PHD एंट्रेंस को लेकर उलझन, एग्जाम के बाद निकाली अधिसूचना
PHD एंट्रेंस को लेकर उलझन, एग्जाम के बाद निकाली अधिसूचना

डिजिटल डेस्क, नागपुर।  राष्ट्रसंत तुकड़ोजी महाराज नागपुर विश्वविद्यालय ने हाल ही में अपनी पीएचडी प्रवेश परीक्षा (पेट) का पहला चरण पूरा करके नतीजे जारी किए हैं। लेकिन परीक्षा आयोजित करने के बाद विश्वविद्यालय ने एक अधिसूचना जारी करके परीक्षा के नियमों में कुछ बदलाव किया, जिस पर विवि से जुड़े शिक्षाविद ही सवाल उठा रहे हैं। 

नियमों में हो रहा बदलाव
बता दें कि नागपुर विश्वविद्यालय द्वारा बीते वर्ष से ही पीएचडी के नियमों में बदलाव किया जा रहा है। पुरानी प्रवेश परीक्षा का प्रारूप बदल कर पेट-1 और पेट-2 पैटर्न लागू किया गया। वर्ष वर्ष 2016 में विवि  ने नोटिफिकेशन जारी कर पूर्व में हुई सभी ‘पेट’ परीक्षाओं को रद्द कर दिया, साथ ही घोषणा की है कि जिन विद्यार्थियों ने पूर्व में ‘पेट’ परीक्षा उत्तीर्ण की, ‘पेट’ परीक्षा से गुजरना होगा। मगर हाईकोर्ट के दखल के बाद विवि को यह फैसला पीछे लेना पड़ा। मगर अपने यहां से होने वाली पीएचडी की गुणवत्ता बढ़ाने की मंशा रखते हुए विवि ने प्रवेश परीक्षा के नियमों को बेहद सख्त किया। नतीजा हुआ है कि इस वर्ष हुई पेट-1 परीक्षा में परीक्षा में कुल 280 अभ्यर्थी ही सफल हुए हैं। परीक्षा में 13.71 प्रतिशत परिणाम लगा है। ये अभ्यर्थी 10 फरवरी को होने वाली पेट-2 परीक्षा के लिए पात्र माने गए हैं। पेट-2 उत्तीर्ण करने वाले परीक्षार्थी पीएचडी पंजीयन के लिए पात्र माने जाएंगे। ऐसे में नियमों में लगातार होने वाले बदलाव के चलते इस वर्ष नागपुर विश्वविद्यालय में बेहद सीमित संख्या में पीएचडी रिसर्च होगी। 

यह है मामला
17 और 18 जनवरी को विश्वविद्यालय ने पेट-1 परीक्षा आयोजित की थी। इस परीक्षा में कुल 2 हजार 41 अभ्यर्थी शामिल हुए थे। 23 जनवरी को विश्वविद्यालय ने अपनी वेबसाइट पर अधिसूचना प्रकाशित कर परीक्षा के नियमों में बदलाव कर दिया। कुलगुरु के आदेशानुसार परीक्षा नियंत्रक डॉ.नीरज खटी के हवाले से यह आदेश जारी किया गया है। इसके अनुसार पेट-1 और पेट-2 में उत्तीर्ण होने के लिए 50 प्रतिशत अंक अनिवार्य किए गए। साथ ही आरक्षित श्रेणी के विद्यार्थियों के लिए यह अनिवार्यता 5 प्रतिशत से घटा कर 45 प्रतिशत की गई, जबकि इस तरह के किसी नियम का परीक्षा के पूर्व विवि द्वारा जारी अधिसूचना में कोई जिक्र नहीं था। 

विश्वविद्यालय अनुदान आयाेग के दिशा-निर्देशों के अनुसार ही परीक्षा में आरक्षित वर्ग के लिए 5 प्रतिशत की अतिरिक्त राहत दी जाती है। पेट परीक्षा के संदर्भ में भी यह नियम लागू होना स्वाभाविक था, इसलिए परीक्षा की मूल अधिसूचना में इसका जिक्र नहीं किया गया। मगर इसके बाद अभ्यर्थियों की ओर से लगातार इस नियम के बारे में पूछा जा रहा था, इसलिए हमने अलग से अधिसूचना जारी करके स्थिति स्पष्ट की है। 
- डॉ. सिद्धार्थ विनायक काणे, कुलगुरु, नागपुर विश्वविद्यालय

Created On :   31 Jan 2018 4:00 PM IST

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