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आरे मेट्रो कारशेड की जमीन को लेकर भिड़ी कांग्रेस-भाजपा

डिजिटल डेस्क, मुंबई। मेट्रो कारशेड की जमीन को लेकर जारी विवाद के बीच महाराष्ट्र प्रदेश कांग्रेस के प्रवक्ता सचिन सावंत ने राज्य के पूर्व मुख्यमंत्री व विधानसभा में विपक्ष के नेता देवेन्द्र फडणवीस पर निशाना साधा है। उन्होंने कहा है कि व्यावसायिक उद्देश्य के तहत मेट्रो कारशेड के लिए आरे की जमीन निर्धारित की गई थी और जानबूझकर कंजूरमार्ग में कारशेड के प्रस्ताव को उपेक्षित किया गया था। इसके साथ ही यह झूठ जनता में फैलाया गया था कि कंजूरमार्ग की जमीन के लिए निजी व्यक्तियों को पांच हजार करोड़ रुपए देने पड़ेंगे। भाजपा ने इन आरोपों को निराधार बताते हुए कहा है कि आरे की जमीन के व्यवसायिक इस्तेमाल का फैसला तत्कालीन मुख्यमंत्री पृथ्वीराज चव्हाण ने लिया था, जिसे फडणवीस सरकार ने रद्द किया था। प्रदेश कांग्रेस प्रवक्ता श्री सावंत ने कहा कि अब जनता के साथ कि गई इस धोखाधड़ी का खुलासा किया जाएगा।
उन्होंने कहा कि मेट्रो कारशेड के लिए 20 हेक्टर जमीन की जरूरत थी लेकिन इसके लिए 62 हेक्टेयर जमीन निर्धारित की गई थी। यह दर्शाता है कि शेष 42 हेक्टेअर जमीन का इस्तेमाल व्यावासिक उद्देश्य के लिए किया जाना था। उन्होंने कहा कि कांग्रेस लगातार पत्रकार परिषद के माध्यम से इस मामले में जनता के साथ कि गई धोखाधड़ी का खुलासा करेंगी। पत्रकारों को संबोधित करते हुए उन्होंने कहा कि फडणवीस सरकार ने आरे की जमीन के इस्तेमाल की पटकथा तैयार कर ली थी। इसके तहत जनता को दिखाने के लिए कुछ और भीतरी तौर पर कुछ और करने की योजना बनाई गई थी। उन्होंने कहा कि फडणवीस ने आरे में अतिरिक्त जगह किसके लिए रखी थी। उन्हें इसका उत्तर देना चाहिए।
पृथ्वीराज चव्हाण सरकार का था यह फैसला: शेलार
कांग्रेस के आरोपों के जवाब में भाजपा विधायक आशीष शेलार ने कहा कि आरे की जमीन के व्यवसायिक इस्तेमाल का फैसला कांग्रेस-राकांपा सरकार के वक्त तत्कालीन मुख्यमंत्री पृथ्वीराज चव्हाण ने लिया था। फडणवीस सरकार ने आरे की जमीन को लेकर अंतिम अधिसूचना प्रकाशित करते समय आरे की जमीन के व्यवसायिक इस्तेमाल का निर्णय रद्द कर दिया था। शेलार ने कहा कि भूखंड श्रीखंड खाने की योजना कांग्रेस की थी जिसे भाजपा सरकार ने नाकाम किया था। शेलार ने दावा किया कि तत्कालीन मुख्यमंत्री चव्हाण के कार्यकाल में आरे की 3 हेक्टेयर जमीन का परियोजना के लिए निधि जुटाने के लिए व्यवसायिक इस्तेमाल किये जाने के लिए एमएमआरडीए को हस्तांतरित करने का फैसला हुआ था। इससे कांग्रेस सरकार 1 हजार करोड़ जुटाना चाहती थी।
Created On :   7 Nov 2020 7:44 PM IST