राष्ट्रीय सुरक्षा की कीमत पर निर्माण कार्य की अनुमति नहीं दी जा सकती-हाईकोर्ट 

Construction work cannot be allowed at the cost of national security – High Court
राष्ट्रीय सुरक्षा की कीमत पर निर्माण कार्य की अनुमति नहीं दी जा सकती-हाईकोर्ट 
19 मंजिला इमारत के निर्माण का मामला राष्ट्रीय सुरक्षा की कीमत पर निर्माण कार्य की अनुमति नहीं दी जा सकती-हाईकोर्ट 

डिजिटल डेस्क , मुंबई। राष्ट्रीय सुरक्षा की कीमत पर निर्माण कार्य से जुड़ी गतिविधि की अनुमति नहीं दी जा सकती है। बांबे हाईकोर्ट ने मुंबई के मझगांव डॉक (रक्षा क्षेत्र) इलाके में 19 मंजिला इमारत के निर्माण की अनुमति देने से इनकार करते हुए उपरोक्त बात कही। न्यायमूर्ति आरडी धानुका व न्यायमूर्ति कमल खाता की खंडपीठ ने कहा कि यह सुनिश्चित करना जरुरी है कि किसी रक्षा क्षेत्र के पास कोई रिकॉर्डिंग, फोटोग्राफी व उससे जुड़ी संवेदनशील ऐसी किसी सूचना स्थानांतरण न हो,जो किसी भी दुश्मन के लिए उपयोगी हो और देश की संप्रभुता और अखंडता को प्रभावित कर सके। इसलिए राष्ट्र की सुरक्षा की कीमत पर निर्माण कार्य की अनुमति नहीं दी जा सकती है। 

खंडपीठ ने कहा कि मौजूदा मामले में प्रस्तावित इमरात का इस्तेमाल मझगांव डॉक की संपत्ति और गतिविधियों की जासूसी के लिए किए जाने की संभावना है,जो आधिकारिक गोपनीयता अधिनियम के प्रावधानों के तहत एक अपराध है। इस तरह खंडपीठ ने इस मामले में डेवलपर को किसी प्रकार की राहत देने से इनकार कर दिया और उसकी याचिका को खारिज कर दिया। खंडपीठ ने कहा कि सार्वजनिक हित निजी हित की तुलना में अधिक प्रबल होता है। खंडपीठ ने कहा कि कोर्ट इस तथ्य को नजरअंदाज नहीं कर सकता कि वास्तव में समय बदल गया है। आतंकवाद बढ़ रहा है। आतंकवाद के प्रमुख और अपरंपरागत खतरे के स्रोत के रूप में उभरने के साथ पिछले एक दशक में राष्ट्र की सुरक्षा के लिए खतरे की प्रकृति में एक बड़ा बदलाव आया है। इस तरह के खतरों का आकलन बढ़ गया है ऐसे में उनके खिलाफ आवश्यक एहतियाती कदम उठाए जाने चाहिए।

खंडपीठ के यह फैसला कई किराएदारों की ओर से दायर याचिका पर सुनवाई के बाद सुनाया है जिन्होंने एक अनुबंध के तहत अपनी जगह डेवलपर को पुनर्विकास के लिए दी थी। इसके तहत मझगांव डॉक इलाके में 19 मंजिली इमारत बननी थी। जिसमें से 12 मंजिल तक के मकान किराएदारों को सौपे जाने थे। जबकि शेष सात मंजिल के मकान बेचे जाने थे। जिस जगह पर यह इमारत बननी थी उसे आधिकारिक गोपनीयता अधिनियम के तहत "निषिद्ध क्षेत्र" घोषित किया गया था। शुरुआत में मुंबई महानगरपालिका ने निर्माण कार्य की मंजूरी दी थी लेकिन बाद में मनपा ने इमारत के सात मंजिल निर्माण के बाद डेवलपर  को काम रोकने के संबंध में नोटिस जारी किया था। इसके अलावा केंद्र सरकार के प्राधिकरण ने भी इमारत के निर्माण पर आपत्ति जताई थी। 

मनपा व केंद्र सरकार के प्राधिकरण के इस रुख के बाद किराएदारों व डेवलपर ने हाईकोर्ट में याचिका दायर की थी। सुनवाई के दौरान खंडपीठ ने पाया कि रक्षा क्षेत्र के निकट चार मंजिली इमारत के निर्माण की अनुमति है। इसलिए यह नहीं कहा जा सकता है कि निर्माण कार्य पर पूरी तरह से रोक है। इस दौरान खंडपीठ ने केंद्र सरकार की ओर से पैरवी कर रहे एडिशनल सालिसिटर जनरल अनिल सिंह ने कहा कि यदि रक्षा क्षेत्र में 19 मंजिला इमारत के निर्माण की अनुमति दी गई तो इसका जासूसी के लिए भी उपयोग किया जा सकता है। जो राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए खतरा हो सकता है। वहीं याचिकाकर्ता गोरखनाथ नाखवा व अन्य की ओर से पैरवी कर रहे वकील ने कहा कि निर्माण कार्य की अनुमति न मिलना उनके मौलिक अधिकार का हनन है। इस तरह खंडपीठ ने मामले से जुड़े सभी पक्षों को सुनने के बाद डेवलपर व किराएदारों की याचिका को खारिज कर दिया। 

Created On :   10 Dec 2022 6:59 PM IST

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