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त्रिशंकु विधानसभा का प्रभाव : विधायकों को बांटा दलबदल कानून

डिजिटल डेस्क, भोपाल। वर्तमान विधानसभा में सत्तारुढ़ कांग्रेस के 114 और मुख्य विपक्षी दल भाजपा के 109 विधायक हैं तथा बहुमत के लिये आंकड़ा 116 होना चाहिये। ऐसे में वर्तमान विधानसभा त्रिशंकु यानि हंग असेम्बली है। सत्तारुढ़ कांग्रेस ने दो बसपा, एक सपा व चार निर्दलीयों के समर्थन का दावा किया हुआ है, जिससे उसकी सरकार बची रहे। इस मामले में वह जमकर सचेत है तथा विपक्ष की भाजपा भी कांग्रेस एवं अन्य दलों व निर्दलीयों में असंतोष और उनके टूटने का इंतार कर रही है। दोनों ही मुख्य राजनैतिक दल फूंक-फूंक कर कदम रख रहे हैं। 7 जनवरी से प्रारंभ विधानसभा के पहले सत्र में कोई दल बदल न हो इसलिये सभी विधायकों को विधानसभा सचिवालय के माध्यम से संसदीय कार्य प्रक्रिया से संबंधित साहित्य, सदस्य निर्देशिका, विधानसभा प्रक्रिया तथा कार्य संचालन संबंधी नियमावली, स्पीकर के स्थाई आदेश, संविधान के उपबंध बांटने के साथ ही उन्हें विशेष रुप से दल परिवर्तन के आधार पर निर्हरता के बारे में उपबंध तथा मप्र विधानसभा सदस्य दल परिवर्तन के आधार पर निर्हरता नियम 1986 की प्रतियां भी दी गई हैं। विधानसभा सचिवालय ने सभी नवागत विधायकों को परिपत्र जारी कर कहा है कि वे विधानसभा के सूचना कार्यालय में रखे रजिस्टर में हस्ताक्षर करें और उक्त सभी साहित्य एवं नियमों वाला बैग प्राप्त करें।
तब नहीं होगी निर्हरता
दलबदल कानून एवं नियमों में उल्लेख है कि यदि किसी दल के एक तिहाई सदस्य दल बदल करते हैं तो उनकी विधानसभा सदस्यता खत्म नहीं होगी। मसलन कांग्रेस के 114 सदस्यों में से 38 तथा भाजपा के 109 सदस्यों में से 36 विधायक दल बदल करते हैं तो उन पर पर निर्हर होने का खतरा नहीं रहेगा। बसपा के दो सदस्य हैं तथा इनमें एक सदस्य भी दलबदल करता है तो उस पर भी निर्हरता का कानून लागू नहीं होगा। यही स्थिति सपा के एकमत्र सदस्य की भी रहेगी। निर्दलीय भी दल बदल कर सकते हैं। लेकन प्रमुख राजनैतिक दल कांग्रेस एवं भाजपा में से क्रमश: 38 एवं 36 सदस्यों से कम विधाक दल बदल करेंगे तो उन पर दलबदल का कानून लागू हो जायेगा और वे विधायक पद के अयोग्य हो जायेंगे।
इनका कहना है
सभी नवागत विधायकों को दल परिवर्तन के आधार पर निर्हरता के बारे में उपबंध तथा मप्र विधानसभा सदस्य दल परिवर्तन के आधार पर निर्हरता नियम 1986 की प्रतियां वितरित की जा रही हैं। दलबदल कानून के तहत किसी दल के एक तिहाई सदस्य दल बदल करते हैं तो वे उक्त कानून एवं नियम के तहत अयोग्य नहीं होंगे। - पीएन विश्वकर्मा, अपर सचिव, मप्र विधानसभा
Created On :   3 Jan 2019 12:17 PM IST