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कोरोना के चलते जमानत मांगी , कोर्ट ने किया इंकार

डिजिटल डेस्क,मुंबईं। बॉम्बे हाईकोर्ट ने कहा है कि जैसे जेल के बाहर लोगों को जीवन का अधिकार है वैसे ही जेल के भीतर बंद कैदियों को भी जीवन जीने का हक है। लिहाजा राज्य सरकार आर्थर रोड जेल की स्थिति को सुधारने व वहां बंद कैदियों को कोरोना के संक्रमण से बचाने के लिए उचित नीतिगत निर्णय लें। हाईकोर्ट ने आर्थररोड जेल में बंद आरोपी अली अकबर श्रॉफ के अंशकालिक जमानत आवेदन को खारिज करते हुए उपरोक्त बात कही।
न्यायमूर्ति भारती डागरे के सामने श्रॉफ के जमानत आवेदन पर सुनवाई हुई। इस दौरान आरोपी के वकील आबाद पोंडा ने कहा कि आर्थररोड जेल में 77 कैदी व 26 जैलकर्मी कोरोना बाधित पाए गए हैं। जहां तक बात उनके मुवक्किल की है तो वह मधुमेह, सायनस, हाइपरटेंशन व उच्च रक्तचाप से पीड़ित हैं। अध्ययन के मुताबिक मधुमेह से पीड़ित जल्द कोरोना संक्रमण के चपेट में आते हैं। वर्तमान में आर्थर रोड जेल के जो हालात हैं उससे मेरे मुवक्किल आसानी से कोरोना संक्रमण का शिकार हो सकते हैं। इसलिए उन्हें अंशकालिक जमानत पर रिहा किया जाए।
इन दलीलों को सुनने के बाद न्यायमूर्ति ने कहा कि निसंदेह जेल में कोरोना का संक्रमण है। लेकिन जेल की स्थिति को देखना राज्य सरकार व नीति निर्माताओं का काम है। इसलिए सरकार जेल में कोरोना के संक्रमण को नियंत्रित करने के बारे में उचित नीतिगत निर्णय ले।यदि जेल में 100 से अधिक कोरोना संक्रमित हैं तो यह जेल प्रशासन की जिम्मेदारी है कि वह जेल में बंद कैदियों को कोरोना के संक्रमण से बचाने के लिए उचित इंतजाम करे।
न्यायमूर्ति ने कहा कि हमेशा जेल प्रशासन से आशा व अपेक्षा रहती है कि जेल में विकट परिस्थिति के दौरान वह संवेदनशील रुख अपनाए और कैदियों की सुरक्षा के लिए उचित कदम उठाए। क्योंकि कैदी को भी जेल के भीतर स्वास्थ्य व सुरक्षित वातावरण में जीने का अधिकार हैं। जैसे बाहर लोगों को जीवन का अधिकार है वैसे ही कैदियों भी जेल में जीवन का हक है। इसलिए जेल के हालात सुधारने के लिए सरकार नीतिगत निर्णय ले। न्यायमूर्ति ने कहा कि फिलहाल जमानत के लिए आग्रह करने वाले आरोपी के स्वास्थ्य में कोई गंभीर परेशानी नहीं दिख रही है। इसलिए जमानत आवेदन को खारिज किया जाता है।
Created On :   9 May 2020 5:27 PM IST