मानव प्लाज्मा की तकनीक से कोरोना का इलाज होगा आसान

Corona treatment will be easier with human plasma technology
मानव प्लाज्मा की तकनीक से कोरोना का इलाज होगा आसान
मानव प्लाज्मा की तकनीक से कोरोना का इलाज होगा आसान

डिजिटल डेस्क, मुंबई।   जिस कोरोना से निपटने के लिए पूरी दुनिया हाथ पैर मार रही है उससे निपटने के लिए देश की ही एक संस्था एंटीबॉडी बनाने के करीब है। हालांकि अभी संस्था को सरकार और कुछ विदेशी विशेषज्ञों से मदद की दरकार है। लेकिन सरकार कठिन चुनौती के इस दौर में भी लीक से हटकर सोचने और मदद करने को तैयार नहीं है।
कर्नाटक के गुलबर्गा में स्थित विनोदबदगु फार्मास्यूटिकल प्राइवेट लिमिटेड के प्रमुख डा. विनोद बदगु ने  बताया कि उनकी कंपनी कोरोना से लड़ने के लिए एंटीबॉडी बनाने के करीब है। इसके अलावा हमने मानव प्लाज़्मा से जुड़े उत्पादों में काफी हद तक महारत हासिल कर ली है। फिलहाल केरुलकर प्रतिष्ठान के प्रशांत केरुलकर से काफी मदद मिली है लेकिन हमें सरकार से मदद और प्रोत्साहन की जरूरत है। डॉ विनोद ने कहा कि मैंने खुद इस मामले में केन्द्रीय स्वास्थ्य मंत्री हर्ष वर्धन से बात की उन्होंने मदद का भरोसा दिया लेकिन अभी तक सरकार से कोई मदद नहीं मिली। 

उन्होंने कहा कि फिलहाल देश में ठीक हो रहे कोरोना संक्रमित मरीजों की संख्या काफी ज्यादा है इसका फायदा उठाकर हम भारी मात्रा में एंटीबॉडी बना सकते है। जिससे बड़ी संख्या में लोगों के इलाज में मदद मिल सकती है। डॉ विनोद ने बताया कि कोरोना से ठीक होने वाले मरीजों में उससे लड़ने के लिए एंटीबॉडी तैयार होती है। इसे निकालकर कोरोना संक्रमित मरीजों के शरीर में डाला जा सकता है। इससे उनके शरीर में भी कोरोना से लड़ने की क्षमता पैदा हो जाएगी। उन्होंने बताया कि फिलहाल देश में जरूरत की 15 से 20 फीसदी ही मानव प्लाज्मा तैयार किया जा सकता है। इसके अलावा हम वैक्सीन के मामले में भी दूसरे देशों पर निर्भर है। हमने मानव प्लाज्मा बनाने के लिए नई तकनीक विकसित की थी लेकिन सरकार ने इसे मंजूरी नहीं दी और पुराने तरीके से ही काम करने को कहा। मानव प्लाज्मा से फिलहाल 12 से ज्यादा उत्पाद तैयार होते है। लेकिन देश में एल्ब्युमिन और इंट्रावेनस इममुनोग्लोबुलीन जैसे उत्पाद ही बनाये जा सकते हैं। बाकी 10 उत्पाद विदेश से आयात करने पड़ते हैं। जीवनरक्षक वैक्सीन और मानव प्लाज्मा से जुड़े उत्पादों के लिए भारत आयात पर निर्भर है। डॉ. विनोद का दावा है कि अगर सरकार से मदद और प्रोत्साहन मिले तो इस मामले में आत्मनिर्भरता हासिल की जा सकती है।  

Created On :   29 April 2020 6:53 PM IST

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