कोरोना को दी मात: डॉक्टरों ने छोड़ दी थी उम्मीद, पर रंग लाई ‘जिद’  

Corona was defeated: The doctors had given up hope, but the stubbornness brought color
कोरोना को दी मात: डॉक्टरों ने छोड़ दी थी उम्मीद, पर रंग लाई ‘जिद’  
कोरोना को दी मात: डॉक्टरों ने छोड़ दी थी उम्मीद, पर रंग लाई ‘जिद’  

डिजिटल डेस्क, नागपुर। सकारात्मक सोच और दृढ़ इच्छा शक्ति से बड़ी से बड़ी बीमारी को मात दी जा सकती है। कोरोना संक्रमण की चपेट में आने पर भी घबराने की जरूरत नहीं। यह उन कोरोना विजेताओं की कहानी है जो अतिगंभीर स्थिति में पहुंच गए थे, वे उस वक्त भी घबराए नहीं, सकारात्मक सोच रही और अंत में कोरोना को हराकर ही माने। भास्कर ऐसे ही योद्धाओं के अनुभवों को यहां साझा कर रहा है। 

90 दिन तक ऑक्सीजन पर रहा, मगर सोच लिया था-मुझे ठीक होना ही है
21 नवंबर को कोरोना पॉजिटिव हुआ। चार-पांच दिन घर पर ही आइसोलेट था। तबीयत खराब होने लगी, तो 28 नवंबर को निजी हॉस्पिटल में एडमिट हुआ। 25 दिन बाद रिपोर्ट निगेटिव आई। फिर फिजियोथैरेपी शुरू हुई, लेकिन तबीयत को देखते हुए फिर एक निजी हॉस्पिटल में शिफ्ट किया गया। दोनों हॉस्पिटल मिलाकर 45 दिन आईसीयू में रहा। घर आने के बाद भी डेढ़ महीने ऑक्सीजन लगी रही। लेवल 90 था। लंग्स में भी इंफेक्शन था, लेकिन अस्पताल और घर में पूरी तरह सकारात्मक सोच रखी। मैने तय कर लिया था कि मुझे ठीक होना ही है। करीब 100 दिन मोबाइल स्विच ऑफ किए रखा। अब पूरी तरह ठीक हूं।   प्रफुल्ल पारेख (59) सदर निवासी 

80 प्रतिशत तक इंफेक्शन, डॉक्टर ने मेरी रिकवरी देखकर कहा-मिरेकल
28 जनवरी को कोरोना पॉजिटिव हुई। 40 दिन तक हॉस्पिटल में थी। बुखार कम नहीं हो रहा था। ऑक्सीजन लेवल 75-80 प्रतिशत था। लंग्स में 70-80 प्रतिशत इंफेक्शन था। रेमडेसिविर,फेबिफ्लू,प्लाज्मा भी दिया गया। पति और बेटा भी पॉजिटिव थे। पति मेरे वार्ड के बगल में ही थे। ब्लड शुगर, हार्ट प्रॉब्लम, बहुत सारी समस्याएं हो गईं थीं। दृढ़ इच्छाशक्ति और सकारात्मक सोच से आखिरकार कोरोना को मात दी। मेरी पोती का चेहरा बार-बार सामने आ रहा था। डॉक्टर ने मेरी रिकवरी देखकर कहा कि मिरेकल रिकवरी है। आज अगर मैं स्वस्थ हूं, तो इसका पूरा श्रेय परिवार को है।{पद्मश्री सारडा (55), धंतोली निवासी    

80 तक आ गया ऑक्सीजन लेवल, एक किडनी थी, फिर भी कोरोना को हराया
दो वर्ष  कैंसर से परेशान रही। एक किडनी तक निकालनी पड़ी थी। 27 मार्च को कोरोना पॉजिटिव होने के बाद 4 दिन तक घर में ही आइसोलेट रही।  ऑक्सीजन लेवल 80 तक आ गया था, इसलिए 31 मार्च को निजी अस्पताल में भर्ती कराया गया। डॉक्टर ने कहा कि एक किडनी होने के कारण बॉडी रिएक्ट करने में प्रॉब्लम होगी, लेकिन घबराई नहीं। हमेशा सकारात्मक रहीं। दो वर्ष पहले कैंसर को मात दी थी, अब कोरोना को मात देना था। 10 दिन बाद ही स्वस्थ होकर घर लौटी। दृढ़ शक्ति से बड़ी से बड़ी बीमारी को मात दी जा सकती है, बशर्ते नकारात्मक विचार दूर रखें।   - मेघा भांदक्कर (56), जीजामाता नगर, खरबी चौक निवासी   
 

Created On :   4 May 2021 5:45 AM GMT

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