डेढ़ लाख से ज्यादा किसान 5500 का हुआ पंजीयन, किसानों तक नहीं पहुंच रही 'भावांतर योजना'

Corruption in bhawantar yojna of farmers in mp, Registration of Farmers
डेढ़ लाख से ज्यादा किसान 5500 का हुआ पंजीयन, किसानों तक नहीं पहुंच रही 'भावांतर योजना'
डेढ़ लाख से ज्यादा किसान 5500 का हुआ पंजीयन, किसानों तक नहीं पहुंच रही 'भावांतर योजना'
हाईलाइट
  • किसानों को उनकी उपज का उचित मूल्य दिलाने के लिये मप्र सरकार ने पायलेट आधार पर मप्र भावांतर भुगतान योजना 2018 नामक नई योजना का संचालन किया है।
  • जिसका उद्देश्य है कि किसान को कहीं भटकना न पड़े और उसके उपज मसूर
  • सरसो
  • चना
  • अरहर आदि का उचित मूल्य आसानी से मिल जाय।
  • मप्र भावांतर भुगतान योजना 2018 के तहत जिले की मात्र 5 हजार 500 किसानों ने अपना पंजीयन कराया है जो कि जिले के कुल किसानों का चार प्रतिशत हिस्सा है

डिजिटल डेस्क सीधी। जिले के १ लाख ३८ हजार २०७ किसानों में से ५५०० ने अभी तक भावांतर योजना में पंजीयन कराये हैं। इसके पहले भी प्रचार-प्रसार के अभाव में न तो ज्यादा संख्या में किसान पंजीयन कराये और न ही योजना का लाभ लेने आगे आ सके हैं। प्रदेश सरकार की महत्वाकांक्षी योजना विभागीय लापरवाही के चलते कागजों में अटकी हुई है।
किसानों को उनकी उपज का उचित मूल्य दिलाने के लिये मप्र सरकार ने पायलेट आधार पर मप्र भावांतर भुगतान योजना 2018 नामक नई योजना का संचालन किया है। जिसका उद्देश्य है कि किसान को कहीं भटकना न पड़े और उसके उपज मसूर, सरसो, चना, अरहर आदि का उचित मूल्य आसानी से मिल जाय। मप्र भावांतर भुगतान योजना 2018 के तहत जिले की मात्र 5 हजार 500 किसानों ने अपना पंजीयन कराया है जो कि जिले के कुल किसानों का चार प्रतिशत हिस्सा है। जिले में किसानों की कुल संख्या 1 लाख 38 हजार 207 बताई गई है। भावांतर योजना के तहत वर्ष 2017 में पंजीकृत किसानों की संख्या भी मात्र 8 हजार 947 दर्ज है। उल्लेखनीय है कि जिले में धान, गेहूं की तुलना में दलहन एवं तिलहन की खेती का रकवा ज्यादा है फिर भी किसान रबी फसलों में चना, सरसो, मसूर, अरहर जैसे उपज को बेचने भावांतर योजना से दूर हैें। जबकि उन्हें व्यापारियों के हाथों फसल बेचने पर फायदा की जगह नुकसान हो रहा है।
जानकारी का अभाव
जिले की सहकारी समितियों के माध्यम से किये जाने वाले पंजीयन हेतु प्रचार-प्रसार की कमी के चलते आम ग्रामीण किसान इस योजना से अनभिज्ञ है और अपना पंजीयन नही करा रहे हैं। ग्रामीण क्षेत्रों के किसानों का कहना है कि हमें मप्र भावांतर भुगतान योजना 2018 के संबंध में किसी तरह की कोई जानकारी नहीं मिल सकी है अन्यथा हम लोग भी इस योजना में अपना पंजीयन जरूर करवाते। कृषक दादूलाल ने बताया कि उन्हें नही पता कि भावांतर योजना क्या है और इस योजना से क्या लाभ सरकार दे रही है। उन्हें तो फसल बीमा की भी जानकारी नहीं है। कुल मिलाकर एक दो नहीं बल्कि हजारों किसान ऐसे हैं जिन्हें न तो भावांतर योजना और न ही फसल बीमा की जानकारी है। कृषि विभाग का मैदानी अमला केवल कागजी खानापूर्ति कर रहा है।
बिचौलियों के भंवर में किसान
जिला मुख्यालय, तहसील, ब्लाक आदि मुख्यालयों में दूर ग्रामीण क्षेत्रों से आने वाले किसान बिचौलियों के चक्कर में पड़कर अपने फसल की उपज औने-पौने दामों में बेच देते हैं जिससे बिचौलिये भरपूर लाभ कमाते हैं और अन्नदाता को अपने कृषि उपज का उचित मूल्य से काफी कम दाम मिल पाता है। ग्रामीण अंचलों में फैले बिचौलिये रबी की फसल अरहर की उपज को 25 से 30 रूपये प्रतिकिलो की दर से खरीदकर उसे 45 से 50 रूपये प्रतिकिलो की दर में बेंच रहे हैें। किसान अज्ञानता एवं कुछ समस्याओं के चलते फसल उपज को उन्हीं बिचौलियो के हाथों बेचने को मजबूर हैं।

Created On :   4 April 2018 1:39 PM IST

और पढ़ेंकम पढ़ें
Next Story