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तीन सालों से एक जैसे नंबर पाकर हैरान हुए स्टूडेंट्स, प्रशासनिक व्यवस्था पर उठ रहे सवाल

डिजिटल डेस्क, नागपुर। तीन सालों से एक जैसे नंबर पाकर स्टूडेंट्स हैरान है। जी-तोड़ मेहनत के बावजूद नौकरी से वंचित रहने वाले स्टूडेंट्स प्रशासनिक व्यवस्था पर सवाल उठा रहे हैं। इनका कहना है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी बार-बार कौशल विकास पर जोर दे रहे हैं, लेकिन प्रशासनिक व्यवस्था कौशल विकास के नाम पर शिक्षित युवाआें के "कौशल’ को दबाने का कोई मौका नहीं छोड़ रहा है। आईटीआई पास होने के बाद दो साल तक रेलवे में अप्रेंटिसशिप (प्रशिक्षण) कर चुके 9 युवा ऐसे हैं, जिन्हें बार-बार एक ही अंक देकर अनुत्तीर्ण किया जा रहा है। इन युवाआें ने राज्य से लेकर केंद्रीय प्रशासन तक गुहार लगाई, लेकिन किसी ने इन पर ध्यान नहीं दिया।
इंसाफ की लगा रहे गुहार
भविष्य खतरे में देख ये युवा इंसाफ के लिए इधर-उधर भटक रहे हैं। युवाआेें को देश का भविष्य कहा जाता है, लेकिन इनका भविष्य सरकारी मशीनरी की भेंट चढ़ रहा है। नागपुर जिले के मयूर भवसागर, सौरभ मेश्राम, निखिल शेरकर, समित उराडे, प्रफुल नेवारे, स्वप्निल सेलोकर, अमोल नितनवरे, अश्विनी खेमसकर व राहुल नारनवरे ऐसे युवा हैं, जो आईटीआई पास करने के साथ ही दक्षिण पूर्व मध्य रेल, मोतीबाग में दो साल तक अप्रेंटिसशिप भी कर चुके हैं। सरकारी नौकरी के लिए इन्हें केंद्र सरकार के कौशल विकास मंत्रालय के तहत आने वाले रीजनल डायरेक्टर ऑफ अप्रेंटिसशिप ट्रेनिंग (आरडीएटी) मुंबई द्वारा ली जाने वाली लिखित परीक्षा पास होना अनिवार्य है।
इस तरह मिले अंक : मयूर भवसागर ने 2015, 2016 व 2017 में आरडीएटी द्वारा कंडक्ट की गई लिखित परीक्षा दी आैर हर बार उसे 28 ही अंक मिले। इसी तरह अमोल नितनवरे ने 2016 व 2017 में परीक्षा दी आैर दोनों बार उसे 30 अंक ही मिले। सौरभ मेश्राम ने भी 2016, 2017 में लिखित परीक्षा दी आैर उसे दोनों बार 4-4 अंक ही मिले। निखिल शेरकर, समित उराडे, प्रफुल नेवारे, स्वप्निल सेलोकर, अश्विनी खेमसकर व राहुल नारनवरे भी आरडीएटी, मुंबई द्वारा कंडक्ट की गई परीक्षा दी आैर हर बार एक समान ही अंक मिले। निखिल को 29-29 व राहुल को 30-30 ही अंक मिले।
पुनर्मूल्यांकन की मांग की खारिज
इन युवाआें ने उत्तर पत्रिका की पुन: जांच व पुनर्मूल्यांकन की मांग की, जिसे खारिज कर दिया। आरडीएटी मुंबई द्वारा कंडक्ट की गई लिखित परीक्षा सरकारी आईटीआई में ली जाती है। इन युवाआें ने नागपुर के सरकारी आईटीआई, आरडीएटी मुंबई, राज्य सरकार के निदेशालय व्यावसायिक शिक्षण व प्रशिक्षण (डीवीईटी) मंुबई में लिखित निवेदन देकर उत्तीर्ण पत्रिका की पुन: जांच करने व बार-बार एक ही नंबर मिलने की जांच करने की मांग की। इन होनहार युवाआें के निवेदन व शिकायतों का किसी ने भी जवाब नहीं दिया। इनकी शिकायतों व निवेदन को कचरे की टोकरी दिखाने का ही काम हुआ। केंद्र सरकार के अधीन आने वाला आरडीएटी मुंबई 100 अंकों की लिखित परीक्षा आयोजित करता है, जिसमें 40 अंक लेना जरूरी है। डीवीईटी के माध्यम से आईटीआई में यह परीक्षा ली जाती है। आईटीआई के इंस्ट्रक्टर उत्तर पत्रिका की जांच करते हैं। इन युवाआें का दावा है कि साजिश के तहत एक ही अंक देकर अनुत्तीर्ण किया जा रहा है। इन युवाआें ने चुनौती दी कि अगर हिम्मत है तो जांची हुईं उत्तर पत्रिकाएं हमे दिखाईं जाएं। हर बार अनुत्तीर्ण कर एक ही अंक देने वाले इंस्ट्रक्टर से लेकर सभी अधिकारियों पर कार्रवाई होनी चाहिए। लिखित के साथ जो प्रैक्टिकल परीक्षा ली गई, उसमें हर बार 8 विद्यार्थी उत्तीर्ण हुए हैं।
पढ़-लिखकर क्या पकौड़ा तलें
राज्य व केंद्रीय प्रशासन से मिल रहे इन कटु अनुभवों को देखते हुए इन युवाआें ने तंज कसा कि, क्या पढ़ लिखकर ‘पकौड़ा’ तलें। अगर पकौड़ा तलने को ही मजबूर किया जाए तो फिर कौशल विकास का क्या मतलब है। अप्रेंटिसशिप किए युवा चार बार ही परीक्षा दे सकते हैं। एक के तीन व बाकी 8 शिक्षित युवाआें के दो मौके प्रशासन की भेंट चढ़ चुके हैं।
भविष्य खराब करने वालों पर हो कड़ी कार्रवाई
लिखित परीक्षा में बार-बार एक जैसे अंक देकर अनुत्तीर्ण किया जा रहा है। प्रशासन ने हमारे साल बर्बाद कर दिए। हमारा भविष्य खराब करने वाले दोषी इंस्ट्रक्टर व अधिकारियों पर सख्त कार्रवाई होनी चाहिए। हमारे निवेदन व शिकायतों पर कार्रवाई तो दूर हमें जवाब तक नहीं मिला। हम आरडीएटी, डीवीइटी व आईटीआई प्रशासन के शिकार हो रहे हैं। उत्तर पुस्तिकाआें की पुन: जांच हुई, तो सच्चाई सामने आ जाएगी। हुनर की यहां कोई कद्र नहीं हो रही। यही चला तो नौकरी के लिए आवश्यक आयुसीमा भी खत्म हाे जाएगी।
-पीड़ित मयूर भवसागर, सौरभ मेश्राम, निखिल शेरकर,
सुमित उराडे, प्रफुल नेवारे, स्वप्निल सेलोकर
बार-बार एक ही अंक संदेह पैदा करता है
परीक्षा हम कंडक्ट करते हैं, लेकिन राज्य सरकार के अधीन आने वाले डीवीईटी के माध्यम से सारी प्रक्रिया पूर्ण होती है। आईटीआई के इंस्ट्रक्टर पेपरों की जांच करने के बाद अंक देते हैं आैर यह डाटा डीवीईटी मुंबई को भेजते हैं। यहां से अंकों की सूची हमें मिलती है। हम ऑनलाइन रिजल्ट जारी करते हैं। बार-बार एक ही अंक मिलना जरूर संदेह पैदा करता है। उत्तर पुस्तिकाआें की पुन: जांच या पुनर्मूल्यांकन होना चाहिए था। इनकी शिकायतों व निवेदनों पर गंभीरता से कार्रवाई होनी चाहिए थी। चूंकि सारी प्रक्रिया डीवीईटी आईटीआई के माध्यम से कराती है, इसलिए सीधे हमें दोष देना ठीक नहीं है। युवाआें का भविष्य चौपट नहीं होना चाहिए।
-चंद्रकांत डिग्गेवाडी, प्रशासनिक अधिकारी, आरडीएटी मुंबई
Created On :   24 Feb 2018 4:34 PM IST