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व्याघ्र प्रकल्प में जल्द शुरू होगी वन्य प्राणियों की गणना

डिजिटल डेस्क, अमरावती। अमरावती जिला वन्य क्षेत्र के साथ ही संपूर्ण विदर्भ में सुरक्षा कारणों के चलते वन्यप्राणियों की गणना रुकी हुई है। पिछले कुछ वर्षों से प्राणी गणना न हो पाने के कारण व्याघ्र प्रकल्प में मौजूद वन्य जीवों की संख्या कितनी है और कौन सी प्रजाति के कितने प्राणी है। इसका कोई स्पष्ट आंकड़ा जिला वन विभाग कार्यालय में उपलब्ध नहीं है।
प्राणी गणना के संदर्भ में जानकारी लिए जाने पर पता चला कि वर्ष 2021 में 20 नवंबर को ताड़ोबा व्याघ्र प्रकल्प में की जा रही व्याघ्र गणना के दौरान एक बाघिन द्वारा महिला वन रक्षक पर हमला कर देने से प्राणी गणना की प्रक्रिया रोक दी गई। इसके बाद यह प्रक्रिया दोबारा शुरु ही नहीं हो सकी।किंतु वन्य क्षेत्र की सुरक्षा व प्राणियों की संपूर्ण संख्या की जानकारी प्राप्त करने के उद्देश से वनविभाग द्वारा जल्द ही नए सीरे से प्राणी गणना शुरु किए जाने की जानकारी है।
अमरावती जिले का मेलघाट व पोहरा वन्य परिक्षेत्र पूरे देश में सबसे प्रसिध्द व्याघ्र प्रकल्प है। इसके बावजूद यहां मौजूद बाघों तथा तेंदुओं सहित अन्य दुर्लभ प्राणियों की संख्या को लेकर कोई स्पष्ट आंकडे मौजूद नहीं है। वनविभाग के वरिष्ठ अधिकारियों ने बताया कि फिलहाल प्राणी गणना करने के लिए सक्षम यंत्रणा मौजद न होने के कारण इसे रोककर रखा गया है। राज्य सरकार द्वारा उपलब्ध कराए जानेवाली नई सुरक्षा सामग्री का उपयोग करते हुए प्राणी गणना शुरु किए जाने की तैयारी की जा रही है।
जल्द शुरू होगी प्रक्रिया
मेलघाट व्याघ्र प्रकल्प के साथ ही पोहरा वन्य परिक्षेत्र में दुर्लभ प्रणियों की गणना जल्द ही आरंभ की जाएगी। इसके लिए वन विभाग की ओर से विशेष दल गठित किए जा रहे हैं। - सुनील कालमेघे, वन्य सुरक्षाधिकारी
चार वर्ष में एक बार होती है गणना
वन्य जीवों की गणना प्रादेशिक वन विभाग द्वारा चार वर्ष में एक बार की जाती है। जबकि व्याघ्र प्रकल्प में यह गणना प्रत्येक वर्ष होती है। संपूर्ण एकत्रित की गई जानकारी देहरादून वन्यजीव विभाग को भेजी जाती है। जहां इनकी त्रुटियों को दूर किया जाता है।
Created On :   17 Feb 2022 1:43 PM IST