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"खराब लेखन' से कोर्ट नाराज, विशेष न्यायालय का फैसला खारिज

डिजिटल डेस्क, नागपुर। एट्रोसिटी से जुड़े एक मामले में आरोपियों की अग्रिम जमानत मंजूर करते वक्त विशेष निचली अदालत द्वारा खराब तरीके से लिखे गए फैसले की आलोचना करते हुए बॉम्बे हाईकोर्ट की नागपुर खंडपीठ ने निचली अदालत का फैसला खारिज कर दिया है। हाईकोर्ट ने पाया कि निचली अदालत ने अपने फैसले में न तो सरकारी पक्ष या फरियादी की दलीलों का जिक्र किया है और न ही आरोपियों की अग्रिम जमानत मंजूर करने के कारणों का उल्लेख किया है।
हाईकोर्ट ने कहा कि प्रत्येक जज को अपने दिए गए फैसले के लिए ठोस कारण देना जरूरी है, वह महज ऊपरी अदालतों के कुछ आदेशों का संदर्भ देकर खानापूर्ति नहीं कर सकते। इस निरीक्षण के साथ न्या.विनय जोशी की खंडपीठ ने वाशिम के अतिरिक्त सत्र न्यायालय के उस आदेश को खारिज कर दिया, जिसके तहत निचली अदालत ने नत्थू तड़स, विट्ठल तड़स और नागेश तड़स (सभी निवासी सावरगांव, वाशिम) को एट्रोसिटी मामले में अग्रिम जमानत प्रदान की थी।
तब हाईकोर्ट की शरण ली
आरोपियों के खिलाफ भगवान पडघन ने 6 जून को एट्रोसिटी व भादवि की विविध धाराओं के तहत एफआईआर दर्ज कराई थी। आरोपियों ने गिरफ्तारी से बचने के लिए विशेष न्यायालय में अग्रिम जमानत याचिका दायर की। निचली अदालत ने याचिका मंजूर करके उन्हें जमानत प्रदान की। इसके बाद फरियादी ने अग्रिम जमानत खारिज कराने के लिए हाईकोर्ट की शरण ली। हाईकोर्ट ने जब निचली अदालत द्वारा लिखे आदेश को पढ़ा, तो उसमें कई तकनीकी और न्यायिक खामियां निकलीं। निचली अदालत का फैसला खारिज करके पुनर्विचार के आदेश दिए गए हैं।
Created On :   12 Oct 2021 10:15 AM IST