सागर विवि नियुक्ति घोटाला, कुलपति प्रो. गजभिए सहित 3 के खिलाफ चलेगा मुकदमा

court case against VC among three in appointment scandal in sagar university
सागर विवि नियुक्ति घोटाला, कुलपति प्रो. गजभिए सहित 3 के खिलाफ चलेगा मुकदमा
सागर विवि नियुक्ति घोटाला, कुलपति प्रो. गजभिए सहित 3 के खिलाफ चलेगा मुकदमा

डिजिटल डेस्क  जबलपुर । डॉ. हरीसिंह गौर केंद्रीय विश्वविद्यालय के परफार्मिंग आर्ट विभाग में हुई नियम विरुद्ध नियुक्ति के आरोपों में फंसे तत्कालीन कुलपति प्रो. एनएस गजभिए सहित तीन के खिलाफ मुकदमा चलेगा। सोमवार को हाईकोर्ट के जस्टिस एसके सेठ और जस्टिस अनुराग श्रीवास्तव की युगलपीठ ने सीबीआई की विशेष अदालत द्वारा तय किए गए आरोपों को चुनौती देने वाली तीनों आरोपियों की पुनरीक्षण याचिका खारिज कर दी। अपने विस्तृत फैसले में युगलपीठ ने कहा है कि प्रथम दृष्टया आरोपियों के खिलाफ सबूत मौजूद हैं, ऐसे में आरोपियों की पुनरीक्षण याचिका सुनवाई योग्य नहीं है।
यह पुनरीक्षण याचिका डॉ. हरिसिंह गौर विवि के पूर्व कुलपति प्रो. एनएस गजभिए, जूलॉजी विभाग के शिक्षक प्रो. उमाशंकर गुप्ता तथा परफॉर्मिंग आर्ट विभाग के डॉ. राकेश सोनी की ओर से दायर की गई थी। याचिका में सीबीआई की जबलपुर में स्थित विशेष अदालत द्वारा 29 जुलाई 2016 को तय किए गए आरोपों को चुनौती दी गई थी। प्रकरण के अनुसार सागर की हरि सिंह गौर विवि को 15 जनवरी 2009 को केन्द्रीय विवि का दर्जा मिला था और डॉ. गजभिए 2 मार्च 2009 को उसके पहले कुलपति बने थे। विवि में खाली पड़े पदों को भरने की कवायद डॉ. गजभिए ने शुरु की। विवि में करीब 179 विभिन्न पद भरे जाना थे। नियुक्ति प्रक्रिया के दौरान डॉ. गजभिए विवि के कुलपति और प्रो. उमाशंकर गुप्ता चयन समिति के अध्यक्ष थे। इन 179 में से एक पद पर डॉ. राकेश सोनी की सहायक प्रोफेसर पद पर हुई नियुक्ति पर विवाद उठा, जिसके चलते मामला सीबीआई तक पहुंचा। सीबीआई ने 15 मई 2014 को तीनों आरोपियों के खिलाफ मामला दर्ज करके विशेष अदालत में चालान पेश किया था। विशेष अदालत द्वारा तय किए गए आरोपों को चुनौती देकर यह पुनरीक्षण याचिका दायर की गई थी, जो सुनवाई के बाद युगलपीठ ने खारिज कर दी।
एफआईआर को चुनौती देने वाली याचिका भी खारिज-वहीं इसी नियुक्ति घोटाले को लेकर सीबीआई द्वारा दर्ज एफआईआर को चुनौती देने वाली आरोपियों की दूसरी पुनरीक्षण याचिका भी हाईकोर्ट ने खारिज कर दी है। जस्टिस एसके सेठ और जस्टिस अनुराग श्रीवास्तव की युगलपीठ ने कहा है कि इस मामले में आरोपियों के खिलाफ प्रथम दृष्टया पर्याप्त सबूत हैं और इस स्टेज पर हाईकोर्ट अपने पुनरीक्षण के अधिकारों का इस्तेमाल नहीं कर सकता।

 

Created On :   12 Feb 2018 7:25 PM IST

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