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गडकरी सहित पुत्रों को राहत, कंपनियां खोलकर हेराफेरी के लगे थे आरोप
डिजिटल डेस्क, नागपुर। केंद्रीय भूतल परिवहन एवं राजमार्ग मंत्री नितिन जयराम गडकरी और उनके संबंधियों पर नागपुर में कंपनियां बनाकर धोखाधड़ी करने के आरोप लगे है। इस मामले में पुलिस या डिप्टी रजिस्ट्रार ऑफ सोसायटीज द्वारा कार्रवाई न होने से नाराज शिकायतकर्ता भगवानदास शंकरलाल राठी और अजय वसंत महाजन ने नागपुर जेएमएफसी कोर्ट की शरण लेकर आरोपियों पर एफआईआर दर्ज कराने के आदेश जारी करने की प्रार्थना की थी। इसमें नितिन गडकरी के साथ निखिल नितिन गडकरी, सारंग नितिन गडकरी, विद्या मुंडले, राजेश बागडी, किशोर तोताडे, सारस्वत बैंक, डिप्टी रजिस्ट्रार ऑफ सोसायटी, अपराध शाखा को प्रतिवादी बनाया था, लेकिन मामले में सभी पक्षों को सुनने के बाद कोर्ट ने उनकी याचिका खारिज कर दी है। जिससे गडकरी व अन्य को फिलहाल राहत मिली है। इस मामले में याचिकाकर्ता के अधिवक्ता शशिभूषण वहाने ने भास्कर से बातचीत में कहा कि वे कोर्ट के फैसले का सम्मान करते हैं, लेकिन उनकी याचिका में कई तथ्यों पर गौर नहीं किया गया। वे इस मामले में पुनर्विचार याचिका दायर करेंगे, जरूरत पड़ी तो सर्वोच्च न्यायालय तक लड़ाई लड़ेंगे।
शिकायत पर नहीं हुई कार्रवाई
वर्ष 2016 में याचिकाकर्ता ने सूचना के अधिकार में प्राप्त दस्तावेज से जानकारी प्राप्त करके जिला डिप्टी रजिस्ट्रार के पास कंपनी द्वारा धोखाधड़ी की शिकायत दर्ज कराई। जिसमें दावा किया गया कि गडकरी ने कंपनी बंद करके संबंधित जमीन पूर्ति सोलार सिस्टम प्रा.लिमिटेड और जेएमटी माइनिंग एंड पॉवर लि. के नाम पर हस्तांतरित करा दी है। इसके बाद कंपनियों के नाम पर संचालकों ने प्लॉट गिरवी रखकर सारस्वत को-ऑपरेटिव बैंक से 42 करोड़ का लाेन भी उठा लिया। इस पूरे मामले में याचिकाकर्ता ने पहले डिप्टी रजिस्ट्रार और फिर अपराध शाखा के पास शिकायत की लेकिन कोई कार्रवाई नहीं हुई, जिसके बाद उन्होंने कोर्ट की शरण ली थी।
और बंद हो गई कंपनी
याचिकाकर्ता के अनुसार नितिन गडकरी पॉलिसैक इंडस्ट्रियल को-ऑपरेटिव लिमिटेड के संस्थापक हैं। उनके महल स्थित निवास से कंपनी संचालित होने का पंजीयन रजिस्ट्रार ऑफ सोसायटीज के पास है। 1998 में स्थापित इस कंपनी के नाम पर गडकरी ने एमआईडीसी हिंगना में 4950 वर्ग मीटर का प्लाॅट क्रमांक जे-17 1 रुपए की वार्षिक लीज पर 99 वर्ष के लिए प्राप्त किया था। राज्य सरकार से 25 लाख रुपए का अनुदान भी लिया था। वर्ष 2003 तक नितिन गडकरी कंपनी की कार्यकारिणी की बैठकों में भी शामिल होते थे। इस कंपनी के कुल 1330 शेयर होल्डर भी थे। लेकिन वर्ष 2003 के बाद से अचानक कंपनी का कामकाज बंद हो गया, उसकी प्रगति या किसी भी बारे में कोई जानकारी सामने नहीं आने दी गई।
Created On :   16 Feb 2019 10:12 AM GMT