कोर्ट ने कहा- सास-ससुर का घर खाली करे बहू

Court said- daughter-in-law should vacate the house of mother-in-law
कोर्ट ने कहा- सास-ससुर का घर खाली करे बहू
संयुक्त परिवार सिकुड़ने से बुजुर्गों की बढ़ी परेशानी  कोर्ट ने कहा- सास-ससुर का घर खाली करे बहू

डिजिटल डेस्क, मुंबई। बहू का दुष्ट आचरण बुजुर्ग सास-ससुर के हित में नहीं है। यह बात कहते हुए बांबे हाईकोर्ट ने बहू के क्रूर आचरण के चलते अपना घर होने के बावजूद किराए पर रह रहे 70 व 65 वर्षीय सास-ससुर को उनका घर सौंपने के निर्देश दिए हैं। जबकि बहू के भाई व माता-पिता को तत्काल घर खाली करने को कहा है। हाईकोर्ट ने साफ किया है कि  बहू को घर खाली करने का आदेश देनेवाले न्यायाधिकरण के फैसले में कोई कानूनी खामी नजर नहीं आती  है। इसलिए उसे  कायम  रखा जाता है। 

मामले से जुड़े तथ्यों पर गौर करने के बाद न्यायमूर्ति भारती डागरे ने पाया  कि  बुजुर्ग सास-ससुर अपने बहू व बेटे के झगड़े के बीच पीसना नहीं चाहते हैं। कई बीमारियों  से जूझ रहे सास-ससुर अपने जीवन के अंतिम पड़ाव को शांति पूर्ण ढंग से बीतना चाहते  हैं। लेकिन बहू के बुरे व्यवहार के चलते अपना घर होने के बावजूद उन्हें किराए के मकान में रहना पड़ रहा है। जबकि बहू फ्लैट में अपने भाई व माता-पिता  के साथ रह रही है। लिहाजा सास-ससुर ने बुजुर्गों के मामलों की सुनवाई के लिए बनाए गए न्यायाधिकरण के  सामने  शिकायत की थी।  न्यायाधिकरण ने मेंटेनेंस एंड वेलफेयर आफ पैरेंट एंड सीनियर सिटीजन एक्ट 2007 के प्रावधानों पर गौर करने  के  बाद 28 अप्रैल 2021 को बहू को घर खाली करने का निर्देश दिया। न्यायाधिकरण के इस आदेश को बहू ने याचिका दायर कर हाईकोर्ट  में चुनौती  दी थी। 

दोनों पक्षों को  सुनने के बाद न्यायमूर्ति ने कहा कि संयुक्त परिवार के सिकुड़ते दायरे के चलते बुजुर्गों की देखरेख समाज के सामने एक नई चुनौती बनकर उभरी है। इसलिए सरकार ने मेंटेनेंस एंड वेलफेयर आफ पैरेंट एंड सीनियर सिटीजन एक्ट 2007 पारित किया गया। ताकि बुजुर्गों व वरिष्ठ  नागरिकों के  हितों की रक्षा की जा सके। इस मामले में बुजुर्ग सास-ससुर को बहू के दुष्ट आचारण के चलते घर के बाहर जाना पड़ा है। यह सास-ससुर के हित में नहीं है। इस मामले में हमे न्यायाधिकरण के फैसले कोई खामी नजर नहीं आती है। 

मामले को लेकर न्यायमूर्ति  के कड़े रुख को देखते हुए बहू के वकील ने कहा कि मेरी मुवक्किल के माता-पिता व भाई तत्काल घर खाली  कर देंगे। चूंकि मेरे मुवक्किल का अपने पति के साथ घरेलू हिंसा कानून के तहत विवाद चल रहा है। इसलिए जब तक इस  विवाद का निपटारा नहीं हो जाता है तब तक सिर्फ कुछ दिनों तक मेरी मुवक्किल को सास-ससुर के साथ रहने  दिया जाए। इस आग्रह  के मद्देनजर न्यायमूर्ति ने बहू को घरेलू हिंसा से जुड़े मामले के निपटारे तक रहने का निर्देश दिया है। न्यायमूर्ति ने कहा  कि उनके इस आदेश की प्रति घरेलू हिंसा मामले की सुनवाई कर रही कोर्ट के सामने रखी जाए। न्यायमूर्ति ने अब इस  मामले की अगली सुनवाई 29 अक्टूबर  2021 को रखी है। 

Created On :   2 Oct 2021 5:18 PM IST

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