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कोर्ट ने सरकार से दो सप्ताह में मांगा जवाब

डिजिटल डेस्क, मुंबई। बांबे हाईकोर्ट ने सार्वजनिक उपक्रम की नौकरी में तृतीयपंथियों को आरक्षण देने की मांग को लेकर दायर याचिका पर राज्य सरकार व महाराष्ट्र स्टेट इलेक्ट्रीसिटी ट्रांसमिशन कंपनी (महापारेषण) से जवाब मांगा है। मुख्य न्यायाधीश दीपांकर दत्ता व न्यायमूर्ति अमजद सैय्यद की खंडपीठ ने मामले को लेकर नोटिस जारी करते हुए सरकार व महापारेषण को दो सप्ताह के भीतर हलफनामा दायर करने का निर्देश दिया। खंडपीठ के सामने एक ट्रांसपर्सन( तृतीयपंथी) की ओर से दायर याचिका पर सुनवाई चल रही है।
अधिवक्ता क्रांति एलसी के माध्यम से दायर याचिका में कहा गया है कि महापारेषण ने 170 लोगों की नियुक्ति के लिए विज्ञापन जारी किया है। विज्ञापन में नियुक्ति के लिए जातिगत आरक्षण,महिला व दिव्यांगों के लिए आरक्षण का उल्लेख है। लेकिन ट्रांसपर्सन के आरक्षण को लेकर कोई जिक्र नहीं किया गया है। हालांकि महापारेषण ने तृतियपंथी को नौकरी के लिए आवेदन करने की छूट दी है लेकिन उनके लिए किसी आरक्षण का प्रावधान नहीं किया है। जबकि सुप्रीम कोर्ट ने अपने फैसले में तृतितपंथियों को समाज की मुख्यधारा से जोड़ने के लिए नौकरी में आरक्षण का देने की बात कही है। इसके बावजूद तृतियपंथियों को आरक्षण नहीं दिया गया है। यह पूरी तरह से सुप्रीम कोर्ट के फैसले के खिलाफ है।
याचिका के मुताबिक तृतियपंथियों को नौकरी में आरक्षण न दिया जाना उनके जीविका अर्जित करने के मौलिक अधिकार का हनन करता है। याचिका में कहा गया है कि यह संविधान के अनुच्छेद 19 का उल्लंघन है। याचिका पर संक्षिप्त सुनवाई के दौरान खंडपीठ ने सरकारी वकील से पूछा कि तृतियपंथियों को नौकरी में आरक्षण क्यों नहीं प्रदान किया गया है। इस पर सरकारी वकील ने कहा कि उन्हें इस बारे में निर्देश लेने के लिए समय दिया जाए। इसके बाद खंडपीठ ने राज्य सरकार व महापारेषण को जवाब देने को कहा। खंडपीठ ने अब इस याचिका पर सुनवाई दो सप्ताह के बाद रखी है।
Created On :   21 Jun 2022 7:40 PM IST