आपराधिक मुकदमा एक गंभीर मुद्दा, ठोस सबूत के बिना नहीं चला सकते "मिनी ट्रायल'

Criminal trial is a serious issue, mini trial cannot be run without concrete evidence
आपराधिक मुकदमा एक गंभीर मुद्दा, ठोस सबूत के बिना नहीं चला सकते "मिनी ट्रायल'
आपराधिक मुकदमा एक गंभीर मुद्दा, ठोस सबूत के बिना नहीं चला सकते "मिनी ट्रायल'

डिजिटल डेस्क, नागुपर। बॉम्बे हाईकोर्ट की नागपुर खंडपीठ ने अपने हालिया फैसले में कहा है कि आपराधिक मुकदमा एक गंभीर मुद्दा है। महज शिकायतकर्ता के कहने पर किसी भी व्यक्ति के खिलाफ बगैर ठोस सबूतों और तथ्यों के ट्रायल नहीं चलाया जा सकता। मजिस्ट्रेट का यह कर्तव्य है कि वह पहले प्रकरण के सबूतों और तथ्यों पर गौर करे और फिर तय करे कि आरोपी के खिलाफ मुकदमा चलाया जाए या नहीं। महज शिकायतकर्ता के कहने पर मजिस्ट्रेट "मिनी ट्रायल" नहीं चला सकते। न्या.रोहित देव की खंडपीठ ने अपने हालिया फैसले में निरीक्षण देते हुए शहर के बिनाकी मंगलवारी निवासी एक 65 वर्षीय महिला के खिलाफ निचली अदालत में लंबित मुकदमे को खारिज कर दिया है। 

मामला यह है : दरअसल वर्ष 2013 में महिला के पुत्र का विवाह हुआ था। यह विवाह चल नहीं सका। वर्ष 2015 में मामला तलाक के लिए अदालत तक पहुंचा। वर्ष 2016 में अदालत ने भी तलाक मंजूर कर लिया। इसी फैसले में निचली अदालत ने स्पष्ट किया कि बहू किसी प्रकार के स्त्रीधन के लौटाए जाने के लिए पात्र नहीं है, क्योंकि मुकदमे में ऐसा कोई तथ्य या सबूत सामने नहीं आया, जिससे उसके स्त्रीधन की पुष्टि हो सके। कोर्ट के फैसले के बाद वर्ष 2017 में बहु ने अपने पति और सास के खिलाफ भादवि 405,406 और 34 के तहत आपराधिक मुकदमा दर्ज कराया। संबंिधत मजिस्ट्रेट ने भी मुकदमा शुुरू करने का आदेश दिया। इसी बीच दुर्भाग्य से पति की मृत्यु हो गई। ऐसे में सास ने हाईकोर्ट में अपील दायर की। हाईकोर्ट में भी बहू  अपने स्त्रीधन पर कोई तथ्य साबित नहीं कर सकी। ऐसे में कोर्ट ने उक्त निरीक्षण के साथ निचली अदालत द्वारा शुरू किए गए मुकदमे को खारिज कर दिया। 

Created On :   28 Jun 2021 9:49 AM IST

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