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गांधीजी की बसाई गई बस्ती और कुएं के अस्तित्व पर संकट

डिजिटल डेस्क, नागपुर। स्वतंत्रता संग्राम के दौरान गांधीजी ने सामाजिक सुधारों को लेकर पहल की थी। समाज से छुआछूत, जाति व्यवस्था को समाप्त करने के लिए बहिष्कृत समाजों को मुख्यधारा में लाने का प्रयास किया। ऐसा ही प्रयास जाटतरोड़ी में भंगी सहकारी सोसायटी इलाके में खुद गांधीजी ने किया था। 8 अगस्त 1933 को महात्मा गांधी ने मेहतरों के लिए सार्वजनिक कुएं की नींव रखी थी। गांधीजी की पहल पर मनपा ने 1954 में 30 साल के लिए 4.58 एकड़ जमीन आवंटित की, जिस पर भंगी सहकारी सोसायटी के नाम से 74 मकान बनाकर नागरिकों को मुहैया कराया गया। आज मनपा के नए प्रस्ताव से उस सोसाइटी और कुएं के अस्तित्व पर संकट छा गया है।
मनपा ने लीज का नूतनीकरण करने से इनकार कर दिया है।
इन स्थानों पर की थी व्यवस्था : गांधीजी के प्रयासों से उपराजधानी में 5 स्थानों पर सफाई कर्मियों और भंगी समाज के लिए निवास की व्यवस्था की गई। मनपा प्रशासन ने पांच दशक पहले लालगंज, पांचपावली ठक्करग्राम, गंगाबाई घाट और भारत सिग्नल भाऊराव बोरकर सोसायटी के लिए जमीन दी। इस जमीन पर भंगी समाज के लोगों ने अपने निवास बना लिए हैं। अब अचानक प्रशासन ने जमीन को वापस लेकर झोपड़पट्टी के रूप में भाऊराव बोरकर नगर यानी भंगी सहकारी सोसायटी को तब्दील करने का निर्णय लिया है, जिसका भंगी समाज के लोगों ने विरोध किया है। उनका आरोप है कि जमीन के महंगे दामों के चलते प्रशासन ऐतिहासिक बस्ती को समाप्त करना चाहती है।
सफाई कर्मचारी अब भी संघर्षरत
गांधीजी की घोषणा के अनुरूप कांग्रेस कार्यकर्ता जंगलू बघेल ने आवंटित जमीन पर 5000 रुपए की लागत से 76 क्वार्टरों को तैयार कर भंगी समाज के सदस्यों को दिया था। नागरिकों ने अपने-अपने क्वार्टरों को सिटी सर्वे रिकाॅर्ड में दर्ज करा लिया है। नियमित रूप से जल एवं अन्य कर का भुगतान भी कर रहे हैं। नए दौर में सफाई के तरीकों में भले ही बदलाव हो गया हो, लेकिन सफाईकर्मी अब भी संघर्ष कर रहे हैं।
लीज का किया जाना चाहिए नवीनीकरण
भंगी सहकारी सोसायटी के नागरिकों को डर है कि मनपा अब पट्टा वितरण के जरिये सोसायटी को अनधिकृत न कर दे। इसके बाद दस्तावेजों में मूल मालिक के रूप में मनपा का पंजीयन कर नए सिरे से स्लम के रूप में पट्टों का वितरण होगा। पट्टे वितरण के बजाय नागरिकों की मांग है कि 1 रुपए प्रति वर्ष के शुल्क पर लीज का नवीनीकरण हो। नागरिकों ने अपनी व्यथा महापौर दयाशंकर तिवारी को भी सुनाई है।
भारी-रकम भुगतान से मिलेगी निजात
मनपा के मुताबिक अब लीज की जमीनों का बाजार दाम अथवा रेडीरेकनर का 8 फीसदी रकम का भुगतान करना होगा। जमीन के लीज की अवधि 3 मार्च 1986 को समाप्त हो गई है। सोसायटी ने लीज का नूतनीकरण नहीं कराया है। सर्वेक्षण में 76 के बजाय 91 घर मिले हैं। अब 60 सालों का लीज नूतनीकरण कराने में सोसायटी को लाखों खर्च करने पड़ेंगे। ऐसे में पट्टा वितरण कर 1 रुपए प्रतिवर्ष की मामूली रकम पर आवंटन का प्रस्ताव बनाया गया है। प्रस्ताव को 4 अक्टूबर की आमसभा में चर्चा के लिए रखा गया है।
वर्षों बाद भी न्याय नहीं
अब तक करीब तीन पीढ़ियों ने इसी जगह पर अपना जीवन गुजारा है। मनपा के निर्णय से सालों से रहनेवालों के साथ न्याय कैसे होगा। महंगे दामों के चलते बस्ती की जमीन को हथिया कर बेचने की कोशिश हो रही है।
शैलेश बढ़ेल, नागरिक, भंगी सहकारी सोसायटी
प्रस्ताव नागरिकों के अनुरूप है
नगर विकास मंत्रालय की अधिसूचना में बाजार दाम के अनुपात में 8 फीसदी दर को लागू किया गया है। लीज के नूतनीकरण में 108 वर्ग मीटर प्रति प्लाट के अनुपात में करीब 40 लाख से अधिक दाम निर्धारित होते हैं। इस रकम का 8 फीसदी करीब प्रतिवर्ष 2.50 लाख रुपए होता है, जबकि पट्टेधारक के रूप में 1 रुपए प्रतिवर्ष शुल्क का भुगतान करने की सुविधा है। इस लिहाज से प्रस्ताव बस्ती के नागरिकों की सुविधा के अनुरूप है।
विजय देशमुख, उपायुक्त, एसआरए, मनपा
Created On :   2 Oct 2021 4:01 PM IST