अघोषित लोडशेडिंग से फसलों पर मंडराया संकट 

Crops in crisis due to undeclared loadshedding
अघोषित लोडशेडिंग से फसलों पर मंडराया संकट 
अमरावती अघोषित लोडशेडिंग से फसलों पर मंडराया संकट 

डिजिटल डेस्क, अमरावती। पिछले कुछ दिनों से कोयले की किल्लत द्वारा अन्य कारणों से बिजली का संकट रहने की बात कर महावितरण कंपनी द्वारा लोडशेडिंग शुरू की गई है। अमरावती विभाग में घरेलू ग्राहकों के साथ लोडशेडिंग की मार किसानों को भी बैठ रही है। अमरावती विभाग में ग्रीष्मकालीन फसलों का औसतन क्षेत्र 30 हजार हेक्टेयर रहा तो भी पिछले दो वर्षो में बारिश समाधानकारक होने से और उपलब्ध जलसंग्रह के कारण यह क्षेत्र दोगुना बढा है। कृषि क्षेत्र के सप्ताह में 3 अथवा 4 दिन आठ घंटे बिजली दी जाती है। शेष 16 घंटे का लोडशेडिंग पिछले दो साल से लगातार जारी है। ऐसे में पिछले चार दिनों से जिले के अधिकांश इलाकों से कृषि क्षेत्र के लिए आठ घंटे मिलनेवाली बिजली आपूर्ति में भी लोडशेडिंग बढ़ाई गई है। इसके अलावा कुछ तकनीकि दूविधा बताकर बार-बार बिजली  आपूर्ति खंडित की जाती है। इस कारण ग्रीष्मकाल में फसलों को कैसे बचाए रखना यह प्रश्न किसानों के सामने निर्माण हो गया है। 

कड़ी धूप में फसलों को सिंचन की आवश्यकता रहते बिजली के संकट के कारण लोडशेडिंग में वृध्दि हुई है। ऐसे समय संतरा अथवा अन्य फलबाग तथा ग्रीष्मकालीन फसलों को िजंदा रखने के लिए किसानों को  काफी पसीना बहाना पड रहा है। अमरावती विभाग में सर्वोधिक क्षेत्र यह ग्रीष्मकालीन मूंगफली का है। इस बार विभाग में हुए, तालाबों में पानी भरपूर है। इसका लाभ लेते हुए ग्रीष्मकालीन फसलों की बुआई हुई है। वर्तमान में इन फसलों को पानी देने के लिए किसानों के हाल हो रहे है। मध्यरात्रि के बाद बिजली आपूर्ति शुरु होती रहने से उस समय किसानों को खेत में उपस्थित रहना पड रहा है। 
मूंगफली की फसल वर्तमान में अच्छी अवस्था में है। पानी की मांग बढ़ी है। अनेक इलाकों में रात 1 बजे होनेवाली बिजली आपूर्ति कभी कभी तड़के 5 बजे तक शुरु नहीं होती। किसानों को रात 1 बजे से तड़के 5 बजे तक कृषिपंप के बोर्ड की तरफ आंख लगाए बैठे रहना पड़ता है। लोडशेडिंग बाबत किसान द्वारा पूछताछ किए जाने पर समाधानकारक जवाब नहीं मिलता ऐसी किसानों की िशकायतें है। लोडशेडिंग के कारण फसलों को समय पर पानी देते नहीं आ सकता। ऐसे समय फसलों को सही समय पर पानी न मिलने से हाथ में आनेवाली फसल का उत्पादन कम होने की संभावना है। यह नुकसान भरपाई कौन अदा करेंगा ऐसा  प्रश्न भी किसानों के सामने है। 
 

Created On :   18 April 2022 3:39 PM IST

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