धान खरीदी मामले में करोड़ों के फर्जीवाड़े की आशंका, एक ही खाते में दर्जनों किसानों ने की खरीदी

Crores of fake documents in the purchase of paddy in katni district
धान खरीदी मामले में करोड़ों के फर्जीवाड़े की आशंका, एक ही खाते में दर्जनों किसानों ने की खरीदी
धान खरीदी मामले में करोड़ों के फर्जीवाड़े की आशंका, एक ही खाते में दर्जनों किसानों ने की खरीदी

डिजिटल डेस्क कटनी। पिछले साल जिले में प्याज घोटाले का मामला शांत भी नहीं हुआ था कि अब धान खरीदी में फर्जीवाड़े की सुगबुगाहट शुरु हो गई है। नागरिक आपूर्ति निगम और सहकारी बैंक की मिलीभगत से किसानों के नाम पर फर्जी खातों के जरिए करोड़ों रुपए वारा-न्यारा करने का मामला प्रकाश में आया है। सहकारी बैंक में किसानों के नाम पर जो खाते खोले गए है वह जिले की किसी भी ब्रांच में नहीं है। इस संबंध में सहकारिता आयुक्त रेणु पंत ने पत्र लिखकर मामले की जांच कराने का निर्देश जारी किया है।
धान खरीदी एक नजर में
-पंजीयन-18470
-खरीदी-15.35 लाख क्विंटल
-सहकारी बैंक की शाखाएं-56
-भुगतान -232 करोड़ रुपए
-शेष -6 करोड़ रुपए
-खरीदी केंद्र-54
इस तरह हुआ खेल
विभागीय अफसरों ने बताया कि धान खरीदी के लिए जिले में 54 केंद्र बनाएं गए थे। खरीदी केंद्रों पर अफसरों की मिलीभगत से प्रभारियों ने जमकर लूट की। जानकारी के मुताबिक सहकारी बैंक उमरिया के कोड नंबर 19 पर दो ऐसे खाते मिले है जो किसी बैंक में खुले ही नहीं है। खाता नंबर  190123456 एवं 1570000000000 जिसका आईएफएससी कोड नंबर-सीबीआईएनओएमपीडीसीएपी में चालीस किसानों की खरीदी दिखाई गई है। जिले में 12 डिजिट के खाता नंबर है जबकि उपरोक्त खाता 13 डिजिट के है। सहकारी बैंकों के सूत्रों ने बताया कि खरीदी के बाद किसान भुगतान के लिए दर-दर भटक रहे है। बैंक प्रबंधन एवं नागरिक आपूर्ति निगम इसके लिए एक-दूसरे पर आरोप प्रत्यारोप मढ़ रहे है।
किसानों को गुमराह किया गया
खरीदी केंद्रों पर किसानों को गुमराह कर उनके धान को खरीदा नहीं गया। बहोरीबंद के सुरेंद्र सिंह एवं राजीव पांडेय, लखेरा सुनील मौर्य, रीठी के प्रदीप पांडेय, बाकल के लाखन पटेल सहित सैकड़ों किसानों के धान को कम तुलाई का आरोप लगाया है। साथ में इन लोगों भुगतान भी कम पाने की शिकायत
दर्ज कराई है। सहकारी बैंकों की जांच प्रारंभ होने से हड़कंप मचा हुआ है। पिछले साल प्याज घोटाले की तरह धान खरीदी में बड़े घोटाले के आसार बताएं जा रहे है।
इनका कहना है
जिले के उमरिया सहकारी बैंक के दो खाते सामने आ रहे है, लेकिन वे खाते बैंक में नहीं है। जब बैंक में खाता ही नहीं है तो लेन-देन कैसे हुआ समझ से परे है।
अरविंद पाठक-शाखा प्रबंधक सहकारी बैंक मर्यादित
धान खरीदी प्रापर तरीके से की गई है। कहीं भी किसी भी प्रकार की गड़बड़ी नही हुई है।
संजय सिंह-प्रबंधक नागरिक आपूर्ति निगम

 

Created On :   22 Feb 2018 2:02 PM IST

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