साइबर ठगी की शिकायतों के लिए नहीं हो सकी हेल्पलाइन शुरू

Cyber ​​​​cheatingHelpline could not be started for complaints
साइबर ठगी की शिकायतों के लिए नहीं हो सकी हेल्पलाइन शुरू
साइबर ठगी की शिकायतों के लिए नहीं हो सकी हेल्पलाइन शुरू

डिजिटल डेस्क, मुंबई। ऑनलाइन ठगी के शिकार हुए लोगों की रकम ठगों तक जाने से बचाने के लिए कॉलसेंटर और शिकायत के लिए एक नंबर बेहद अहम हो सकते हैं। इससे हर साल लोगों के करोड़ों रुपए बच सकते हैं और साइबर अपराध पर शिकंजा कसा जा सकता है लेकिन राज्य सरकार की सुस्ती के चलते यह नहीं हो पा रहा है। मध्यप्रदेश, गुजरात, दिल्ली, राजस्थान, कर्नाटक जैसे आठ राज्यों ने कॉलसेंटर शुरू कर दिए हैं जिससे वे ठगों पर नकेल कस पा रहे हैं लेकिन देश की सबसे तेज पुलिस होने का दावा करने वाली मुंबई और महाराष्ट्र की पुलिस अब भी अगले कदम के लिए सरकार की ओर देख रही है। 

दरअसल तकनीक के विकास के साथ वित्तीय सेवाएं भी ऑनलाइन हो गईं हैं। लेकिन इसके साथ ही ऐसे ठगों की भी भरमार हो गई है जो जरा सी असावधानी होने पर आपके खाते में जमा पूरी रकम साफ कर देते हैं। महाराष्ट्र में पिछले एक साल में बैंकों से जुड़े ऑनलाइन ठगी की 58 हजार से ज्यादा शिकायतें सामने आई हैं। लेकिन सिर्फ 600 मामलों में एफआईआर हुई और ऐसे मामले तो बेहद कम हैं जिनमें लोगों को उनकी ठगी गई रकम वापस मिल पाई है। दरअसल ऑनलाइन ठगी के मामले में भी ‘गोल्डन ऑवर’ बेहद अहम होते हैं। अगर शिकायत पर पुलिस तुरंत हरकत में आकर ठगी के लिए इस्तेमाल हुए खाते की रकम फ्रीज कर दे तो लोगों के पैसे बच सकते हैं लेकिन इसके लिए एक कॉल सेंटर की जरूरत होगी। कई राज्यों ने इसकी शुरूआत कर दी है लेकिन बड़ी संख्या में ऑनलाइन ठगी के बावजूद महाराष्ट्र सरकार इसे लेकर सुस्त है। 

सरकार की नीति में खामी
साइबर अपराध विशेषज्ञ प्रशांत माली कहते हैं कि महाराष्ट्र सरकार की साइबर पुलिसिंग की नीति ही गलत हैं। साइबर अपराध के बाद लोगों को पता ही नहीं चलता कि वे कहां शिकायत करें। नजदीकी पुलिस स्टेशन, साइबर पुलिस स्टेशन के बीच झूल रहे लोग अपनी शिकायत दर्ज करने के लिए मारे-मारे फिरते हैं और अपराधी उनकी जमापूंजी आसानी से हजम कर जाते हैं। सरकार ने साइबर पुलिस स्टेशन तो बना दिए हैं लेकिन वहां आम लोग जाते हैं तो उन्हें बताया जाता है कि वे 10 लाख के कम की ठगी के मामलों की जांच नहीं करते। माली कहते हैं कि कॉलसेंटर ही इसका सबसे बेहतर विकल्प है।

एक नंबर पर लोग आसानी से और जल्द शिकायत कर सकते हैं जिसके बाद कम से कम ठगी की रकम जिस खाते में गई है उसे तुरंत फ्रीज कर दिया जाएगा। इसके बाद आगे की कानूनी प्रक्रिया आराम से पूरी की जा सकती है। लेकिन राज्य सरकार, महाराष्ट्र पुलिस या मुंबई पुलिस कोई इसे लेकर उत्साह नहीं दिखा रहा है। एक कॉलसेंटर बनाकर उसमें कुछ पुलिसवालों को तैनात करना इतना मुश्किल काम भी नहीं है कि न किया जा सके। महाराष्ट्र साइबर के पूर्व आईजी ब्रिजेश सिंह ने बताया कि अभी तक महाराष्ट्र में शिकायतों के लिए कोई नंबर नहीं है और कॉलसेंटर नहीं बनाया गया है लेकिन वित्तीय ठगी के मामलों में तुरंत कार्रवाई के लिए राष्ट्रीय हेल्पलाइन नंबर 155260 पर शिकायत की जा सकती हैं। 

कैसे काम करता है पोर्टल
ठगों पर शिकंजा कसने के लिए केंद्र सरकार ने ‘नेशनल साइबर क्राइम रिपोर्टिंग पोर्टल’ (https://cybercrime.gov.in/) बनाया है। इससे विभिन्न राज्य और केंद्र शासित प्रदेश जुड़ते हैं। केंद्रीय रिजर्व बैंक भी इस इससे जुड़ी है। हेल्पलाइन पर शिकायत के बाद इससे जुड़ी जानकारी संबंधित बैंकों को दी जाती है। जिसके बाद ठगी के लिए इस्तेमाल खाते तुरंत फ्रीज कर दिए जाते हैं। अगर पैसे ठग ने किसी और खाते में भेज दिए तो उसे भी सूचित किया जाता है। बाद में 24 घंटे के भीतर शिकायतकर्ता एफआईआर दर्ज करा उससे जुड़ी जानकारी राष्ट्रीय साइबर क्राइम रिपोर्टिंग पोर्टल पर भरनी होती है।        
 

Created On :   5 Aug 2021 7:46 PM IST

Tags

और पढ़ेंकम पढ़ें
Next Story