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शालेय पोषण आहार के सिलेंडर मामले की होगी जांच

डिजिटल डेस्क, नागपुर। शालेय पोषण आहार के लिए गैस कनेक्शन खरीदने जिला परिषद को आवंटित की गई निधि खर्च नहीं की गई। इस बात का खुलासा तब हुआ है, जब राज्य सरकार ने सभी विभागों से खर्च नहीं हुई निधि वापस ली। पांच वर्ष पहले राज्य सरकार ने जिला परिषद को 4 करोड़ 75 लाख रुपए आवंटित किए थे। इसमें से मात्र 23 लाख रुपए खर्च होने की जानकारी सामने आई है। शालेय पोषण आहार विभाग की लापरवाही की जांच के आदेश शिक्षण समिति सभापति ने दिए हैं।
विभाग से जानकारी मंगवाई
सिलेंडर की निधि खर्च नहीं होने के मामले की शालेय पोषण आहार विभाग से जानकारी मंगवाई है। कोरोना संक्रमण के चलते केवल 10 प्रतिशत कर्मचारी उपस्थित रहने से थोड़ा विलंब हो रहा है। इस मामले में शिक्षाधिकारी को जांच के आदेश दिए हैं। -भारती पाटील, सभापति, शिक्षण समिति, जिला परिषद
योजना पर गंभीरता से अमल नहीं किया
स्कूलों में पहली से आठवीं कक्षा के विद्यार्थियों को पोषण आहार दिया जाता है। आहार पकाने के लिए लकड़ी का उपयोग किया जाता था। पेड़ों की कटाई रोकने तथा स्कूल को चूल्हा मुक्त करने के लिए गैस सिलेंडर देने की योजना बनाई गई। शैक्षणिक वर्ष 2012-13 में सिलेंडर के लिए जिला परिषद को 4 करोड़, 75 लाख रुपए की निधि आवंटित की गई। तत्कालीन शालेय पोषण आहार विभाग के लेखा अधिकारी ने पंचायत समिति स्तर पर निधि का वितरण किया, लेकिन पोषण आहार अधीक्षक की ओर से इस योजना पर गंभीरता से अमल नहीं किया गया।
नतीजा शहर के गिने-चुने स्कूलों में सिलेंडर खरीदी पर 23 लाख रुपए ही खर्च किए गए। ग्रामीण क्षेत्र में स्कूलों को योजना का लाभ पहुंचाने में विभाग ने लापरवाही बरती। कोरोना संक्रमण के चलते आर्थिक संकट में राज्य सरकार ने सभी विभागों से, जो निधि खर्च नहीं हुई, वह निधि वापस करने के निर्देश दिए। राज्य सरकार को वापस की गई निधि में सिलेंडर की निधि का समावेश रहने से पोषण आहार विभाग की लापरवाही का पर्दाफाश हुआ।
Created On :   11 July 2020 6:17 PM IST