14 साल की उम्र में विवाह के बाद बेटी की आत्महत्या

Daughter commits suicide after marriage at the age of 14
14 साल की उम्र में विवाह के बाद बेटी की आत्महत्या
14 साल की उम्र में विवाह के बाद बेटी की आत्महत्या

 डिजिटल डेस्क, मुंबई। केंद्र सरकार ने भारत में लड़कियों के कल्याण लिए ‘बेटी बचाओ-बेटी पढ़ाओ’ नीति लेकर आयी है लेकिन महज 14 साल की उम्र में ब्याहे जाने के दो माह बाद आत्महत्या करनेवाली लड़की के लिए यह नीति महज छलावा बनकर रह गई। बॉम्बे हाईकोर्ट ने नाबालिग लड़की को आत्महत्या के लिए उकसाने के मामले में आरोपी सास के जमानत आवेदन को खारिज करते हुए उपरोक्त बात कही है। 

न्यायमूर्ति भारती डागरे ने बाल विवाह से जुड़े इस मामले के तथ्यों पर गौर करने के बाद पाया कि आरोपी (सास) अपने बेटे की शादी के लिए शिकायतकर्ता (मृतक लड़की की मां) के पास विवाह का प्रस्ताव लेकर गई थी। उस समय शिकायतकर्ता की बेटी कक्षा आठवीं में पढ़ती थी। इसलिए उसने शादी से इंकार कर दिया। इस बीच शिकायतकर्ता की तबीयत बिगड़ गई। आरोपी ने उसके इलाज का खर्च उठाया। इसके बाद आरोपी ने शिकायतकर्ता के पास फिर विवाह का प्रस्ताव रखा। लेकिन शिकायतकर्ता ने इनकार कर दिया।इस पर आरोपी ने उपचार के खर्च के रुप में दिए गए पैसे वापस करने का दबाव बनाया। इस परिस्थिति में शिकायतकर्ता के पास शादी के लिए सहमति देने के अलावा कोई विकल्प नहीं बचा।

कक्षा आठवीं में पढ़ रही शिकायतकर्ता की बेटी की 1 जनवरी 2020 को आरोपी के बेटे के साथ शादी कर दी गई। शादी के बाद कुछ दिनों तक शिकायतकर्ता की बेटी को स्कूल जाने दिया गया किन्तु कुछ समय के बाद सास की प्रताड़ना व यातना के चलते इस बच्ची की पढ़ाई रुक गई। बेटी ने कई बार अपनी मां के पास जाने की इच्छा जताई लेकिन ससुराल वालों ने उसकी बात को नहीं सुना और अंत मे उसने 25 फरवरी 2020 को उसने फांसी लगाकर आत्महत्या कर ली। इस तरह एक लड़की का जीवन महज 14 साल की उम्र में ही खत्म हो गया। 

न्यायमूर्ति ने कहा कि केंद्र सरकार ने लड़कियों के कल्याण व उनको लेकर जागरूकता लाने के लिए ‘बेटी बचाओ-बेटी पढ़ाओ’ जैसी एक सराहनीय नीति की शुरुआत की है। लेकिन इस मामले में यह नीति एक छलावा बनकर रह गई। न्यायमूर्ति ने मामले से जुड़े आरोपपत्र पर गौर करने के बाद कहा कि इस मामले में आरोपी के खिलाफ आत्महत्या के लिए उकसाने से जुड़े अपराध के घटक नजर आते हैं। इसलिए आरोपी के जमानत आवेदन को खारिज किया जाता है। सोलापुर के फौजदार चावड़ी पुलिस स्टेशन में इस मामले को लेकर आरोपी व उसके बेटे के खिलाफ भारतीय दंड संहिता की धाराओं व बाल विवाह प्रतिबंधक कानून की धाराओं के तहत मामला दर्ज किया गया है। 
 

Created On :   7 Aug 2021 5:51 PM IST

Tags

और पढ़ेंकम पढ़ें
Next Story