शक के कारण पिता के स्नेह से वंचित रही बेटी

Daughter deprived of fathers affection due to doubt
शक के कारण पिता के स्नेह से वंचित रही बेटी
कोर्ट ने कहा शक के कारण पिता के स्नेह से वंचित रही बेटी

डिजिटल डेस्क, नागपुर। अपनी पत्नी के चरित्र पर शक करने वाले एक पति को बॉम्बे हाई कोर्ट की नागपुर खंडपीठ ने झटका लगा है। बेटी को अपना मानने से इनकार करने वाले पिता को न केवल बेटी को अपना नाम देना पड़ा, बल्कि उसे 10 हजार रुपए प्रतिमाह मेंटेनेंस भी देने का आदेश दिया गया है। इसी तरह पत्नी को भी हाई कोर्ट ने 10 हजार रुपए मेंटेनेंस का पात्र माना। हाई कोर्ट ने कहा कि पिता के शक करने के स्वभाव के कारण बेटी हमेशा के लिए पिता के स्नेह से वंचित रह गई। 

बेटी को देना होगा 10 हजार रुपए प्रतिमाह मेंटेनेंस 
यह है मामला : दरअसल नागपुर निवासी दर्शना (परिवर्तित नाम) का विवाह  14 दिसंबर 1997 को मध्य प्रदेश के सिंगरौली निवासी मंगेश के साथ हुआ था। लेकिन विवाह के तीन महीने के भीतर ही पत्नी को लैक्टेशन (दूध आना) होने लगा। इससे  पति को शक हुआ कि पत्नी ने विवाह के पूर्व गर्भपात कराया है। इस बात से दोनों के बीच िववाद होने लगा। पति की जिद पर पत्नी ने जबलपुर के सरकारी अस्पताल में स्वास्थ्य की जांच कराई। पत्नी का दावा है कि उसे हाई परप्रोलैक्टिमिया नामक हार्मोन संबंधी बीमारी होने के कारण यह स्थिति उत्पन्न हुई। वहीं पति की दलील थी कि चिकित्सकों ने उसे बताया है कि पत्नी के गर्भपात के कारण उसे लैक्टेशन हो रहा है। पति को शक था कि पत्नी और उसके मौसेरे भाई के बीच शारीरिक संबंध थे। इससे बात इतनी बढ़ी की पत्नी को ससुराल छोड़ कर मायके लौटना पड़ा। लेकिन इस दौरान वह गर्भवति हो गई थी। मायके में ही उसने 12 फरवरी 1999 को एक बेटी को जन्म दिया। पति ने बेटी को अपना मानने से ही इनकार कर दिया। आखिरकार पति पत्नी ने तलाक ले लिया। 

बाद में बेटी को अपना बताया
तलाक के बाद बात मेंटेनेंस की आई। पति ने यह कह कर मेंटेनेंस देने से इनकार किया कि पत्नी स्वयं ही उसे छोड़ कर गई है और इस वक्त नौकरी भी कर रही है। वहीं बेटी भी उसकी नहीं है। इसलिए वह दोनों को मेंटेनेंस नहीं देगा। लेकिन विविध न्यायिक स्तरों पर मुकदमे बाजी के बाद नागपुर पारिवारिक न्यायालय ने पत्नी को 3000 रुपए  प्रतिमाह और बेटी को 1500 रुपए प्रतिमाह मेंटेनेंस का हकदार माना। बाद में इसे बढ़ाकर 10-10 हजार रुपए कर दिया गया।  जिसके खिलाफ पति ने हाई कोर्ट की शरण ली। हालांकि हाई कोर्ट मंे सुनवाई के दौरान पति ने स्वीकार कर लिया कि बेटी उसकी ही है। मामले में सभी पक्षों को सुनकर हाई कोर्ट ने मां-बेटी के लिए 10-10 हजार रुपए प्रतिमाह मेंटेनेंस तय करके पति की याचिका खारिज कर दी। 
 

Created On :   8 April 2023 3:35 PM IST

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