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जल स्रोतों के संरक्षण की जिम्मेदारी आपस में तय करें : हाईकोर्ट

डिजिटल डेस्क, नागपुर। शहर के जल स्रोतों के संरक्षण की जिम्मेदारी उठाने को लेकर जारी महाराष्ट्र वॉटर रिसोर्स रेगुलेटरी अथाॅरिटी और नागपुर महानगरपालिका के विवाद पर हाईकोर्ट ने स्पष्ट किया है कि दोनों सरकारी संस्थाओं को यह विवाद आपस में हल करना होगा। हाईकोर्ट ने अथॉरिटी के सचिव और मनपा आयुक्त को आपस में बैठक लेकर इस समस्या का हल निकालने के आदेश दिए हैं। हाईकोर्ट ने दो सप्ताह में शपथ-पत्र प्रस्तुत करने के आदेश दिए हैं। बीती सुनवाई में हाईकोर्ट ने अथॉरिटी के 10 दिसंबर के उस आदेश पर स्थगन लगाया था, जिसमें अथॉरिटी ने मनपा और वीआईडीसी को शहर के अंबाझरी समेत शहर के सभी तालाबों का एक माह के अंदर निरीक्षण करके उनके संरक्षण के लिए कदम उठाने के आदेश दिए थे। अथॉरिटी ने मनपा को तालाबों के आस पास का अतिक्रमण भी हटाने को कहा था।
यह है मामला : नागपुर निवासी प्रवीण महाजन ने महाराष्ट्र वॉटर रिसोर्स रेगुलेटरी अथॉरिटी को पत्र लिखा है। उन्होंने शिकायत की कि शहर के अंबाझरी तालाब की स्थिति दिनों-दिन बुरी होती जा रही है। दरारों के कारण बांध लीक हो रहा हैै। तालाब किसी दिन फूटा तो आस-पास के करीब 10 लाख लोग प्रभावित होंगे। मनपा तालाब के पानी का उपयोग नहीं कर रही है। इससे बांध में पानी क्षमता से अधिक बढ़ रहा है। अथॉरिटी ने इसका संज्ञान लेकर सूमोटो अर्जी दायर कर ली। महाराष्ट्र वॉटर रिसोर्स रेगुलेटरी अथॉरिटी ने प्रवीण महाजन के पत्र का संज्ञान लेकर 10 दिसंबर को मनपा और वीआईडीसी आदेश दिया कि वे एक माह के भीतर शहर के अंबाझरी तालाब समेत सभी तालाबों का निरीक्षण करके उनके संरक्षण के लिए कदम उठाए साथ ही तालाबों के आस पास का अतिक्रमण भी हटाए। इस आदेश के खिलाफ मनपा ने हाईकोर्ट की शरण ली है। मामले में महाजन की ओर से एड.फिरदौस मिर्जा और मनपा की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता सी.एस.कप्तान व एड.सुधीर पुरणिक ने पक्ष रखा।
Created On :   20 Jan 2021 1:35 PM IST