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हाईकोर्ट ने कहा- विभागीय आयुक्त करें अवैध बंगलों की जांच, पुलिस वसूली मामले में सरकार से पूछा सवाल

डिजिटल डेस्क, मुंबई। बांबे हाईकोर्ट ने अलीबाग के समुद्री किनारे पर बने पीएनबी घोटाले के भगौडे़ आरोपी नीरव मोदी सहित अन्य लोगों के अवैध बंगलों के खिलाफ रायगढ के विभागीय आयुक्त को जांच के आदेश दिए हैं। सोमवार को जस्टिस अभय ओक व जस्टिस रियाज छागला की बेंच ने एक जनहित याचिका पर सुनवाई के बाद यह निर्देश दिया है। बेंच ने विभागीय आयुक्त को 8 सप्ताह में अपनी जांच रिपोर्ट राजस्व व वन विभाग के प्रधान सचिव को सौपने कहा है। मामले को लेकर पिछली सुनवाई के दौरान रायगढ के जिला अधिकारी की ओर से दायर हलफनामे पर गौर करने के बाद असंतोष व्यक्त किया था और जांच के संकेत दिए थे।
बेंच ने यह निर्देश रायगढ़ निवासी सुरेंद्र धवले की ओर से दायर जनहित याचिका पर सुनवाई के बाद दिया है। याचिका में मांग की गई है कि अलीबाग के हाई व लो टाइड क्षेत्र के दायरे में आनेवाले सभी अवैध बगलों के खिलाफ कार्रवाई का निर्देश दिया जाए। याचिका में दावा किया गया है कि बगलों का निर्माण नियमों के विपरीत किया गया है।
हाईकोर्ट ने पूछा, क्या पुलिस वाले वसूली अधिकारी हैं? राज्य सरकार से मांगा जवाब
दूसरे मामले में बांबे हाईकोर्ट ने राज्य सरकार से पूछा है कि क्या पुलिस वाले वसूली अधिकारी है? सोमवार को बांबे हाईकोर्ट ने शमीना एन मुंब्रावाला की ओर से दायर याचिका पर सुनवाई के दौरान यह सवाल किया। याचिका में मुंब्रावाला ने दावा किया था कि पुलिस ने फ्लैट की खरीदारी को लेकर हुए विवाद की शिकायत के आधार पर मेरे माता-पिता के खिलाफ फरवरी 2011 में धोखाधड़ी का मामला दर्ज किया था। इस मामले में आरोपत्र दायर करने के बाद पुलिस ने शमीना को जून 2016 में गिरफ्तार किया था। जबकि पुलिस ने जो एफआईआर दर्ज की थी उसमे शमीना के खिलाफ कोई आरोप नहीं थे।
याचिकाकर्ता के अनुसार गिरफ्तारी के बाद पुलिस ने मेरे माता-पिता से दो लाख रुपए का पे आर्डर व दो-दो लाख रुपए के पांच साइन चेक लिए। पुलिस ने मेरे माता-पिता से कहा था कि यदि वे समझौते के लिए राजी होकर चेक नहीं देंगे तो वे मेरी जमानत में अवरोध पैदा करेंगे और मुझे लंबे समय तक हिरासत में रहना पड़ेगा। याचिका में मुंब्रवाला ने अब खुद के खिलाफ दर्ज मामले को रद्द करने की मांग की है। साथ ही कहा है कि गिरफ्तारी के चलते हुई यातना के लिए जांच अधिकारी को पांच लाख रुपए मुआवजे के रुप में देने का निर्देश दिया जाए। याचिका में इस मामले की जांच से जुड़े अधिकारी के खिलाफ भी कार्रवाई का निर्देश देने का अनुरोध किया गया है।
जस्टिस आरवी मोरे व जस्टिस भारती डागरे की बेंच ने याचिका पर गौर करने के बाद हैरानी जाहिर की और सरकारी वकील से पूछा क्या पुलिस वाले वसूली अधिकारी हैं? यह बेहद गंभीर मामला है हम इस मामले में सरकार का जवाब जानना चाहते हैं। वहीं याचिकाकर्ता की वकील ने बेंच के सामने कहा कि पुलिस ने दुर्भावना के तहत उनके मुवक्किल के खिलाफ कार्रवाई की है। उनके मुवक्किल की इस मामले में कोई भूमिका नहीं है।
Created On :   17 Sept 2018 10:12 PM IST