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बैन के बावजूद धड़ल्ले हो रहा रेत खनन, माफिया हो रहे मालामाल

डिजिटल डेस्क, नागपुर। रोक के बावजूद जिले में अवैध खनन चरम पर है। दिखावे की कुछ कार्रवाई को छोड़ दें तो पूरा खेल पुलिस और प्रशासन की मिलीभगत से चल रहा है। गाहे-बगाहे कुछ ट्रकों के खिलाफ कार्रवाई कर पुलिस व प्रशासन के अधिकारी भले ही अपनी पीठ थपथपा लें, पर हकीकत यही है कि इस अवैध धंधों का संचालन इनके शह पर हो रहा है। बिना मिलीभगत इतने बड़े पैमाने पर शहर में रेत की आपूर्ति हो ही नहीं सकती।
दूसरी ओर, रोक के बाद भी रेत उपलब्ध कराने की बात कहकर मुंहमांगी कीमत पर कारोबार धड़ल्ले से चल रहा है। इस पर किसी का जोर नहीं चल रहा। खास बात है कि जिसकी पुलिस और प्रशासन से सेटिंग नहीं हो पा रही है, वह मैजिक पेन और जीपीएस में छेड़छाड़ कर अवैध धंधे को अंजाम दे रहा है। कहा जा रहा है कि रेत लादने के बाद जीपीएस सिस्टम बंद कर दिया जाता है। इतना ही नहीं, मैजिक पेन का उपयोग करते हैं ताकि कुछ ही देर बाद लिखावट मिट जाए। इसके बाद रॉयल्टी का कई बार उपयोग हो रहा है। इससे सीधे तौर पर राजस्व का बड़ा नुकसान हो रहा है।
अवैध खनन : पिछले कई वर्षों से सावनेर तहसील अंतर्गत आने वाले कन्हान रेत घाटों से अब तक करोड़ों रुपए की रेत चोरी हो चुकी है। जो आज भी पुलिस, राजस्व विभाग के लिए पहेली बनी हुई है। मध्य प्रदेश व महाराष्ट्र की सीमा पर मध्य प्रदेश का मालेगांव घाट, जो कि महाराष्ट्र की सीमा से लगभग 500 मीटर की दूरी पर कन्हान नदी पर स्थित है। नदी के एक छोर पर जिसमें करोड़ों ब्रास रेत मौजूद है। जिसकी नीलामी मध्य प्रदेश सरकार करती है। दूसरे छोर पर महाराष्ट्र की सीमा पर रायवाड़ी घाट है। एक घाट से दूसरे घाट तक पहुंचने के लिए रेत माफिया ने बाकायदा कन्हान नदी की धारा में पक्की सड़क बना ली है। इसी रास्ते रेत चोरी का गोरखधंधा पिछले कई दिनों से फल-फूल रहा है।
मैजिक... लिखने के कुछ देर बाद ही मिट जाती है लिखावट : रेत माफिया रॉयल्टी पर मैजिक पेन का इस्तेमाल कर प्रशासन को करोड़ों का चूना लगा चुके हैं। मैजिक पेन से लिखी हुई लाइन कुछ देर में मिट जाती है। इसके बाद दोबारा उससे राॅयल्टी पेपर पर लिखकर रेत उठाई जाती है।
यह है पूरा खेल : एक रॉयल्टी हासिल करने के बाद यही रेत माफिया महाराष्ट्र की सीमा के अंदर आने वाले रायवाड़ी, खापा, टेमबुरडोह, वाकोडी, करजघाट, गोसेवाड़ी, रामडोंगरी, बावन गांव घाटों से रेत चोरी कर लाखों रुपए में बेच देते हैं। वाहन पकड़ने पर मध्य प्रदेश की रॉयल्टी को दिखा दिया जाता है, जबकि रेत 100 प्रतिशत महाराष्ट्र की सीमा के घाटों से उठाई जाती है।
नदी से सुरक्षित स्थान पर डंप की जाती है रेत : कन्हान नदी से ट्रैक्टर से रेत निकालने के बाद उसे सुरक्षित स्थान पर डंप किया जाता है। फिर वहां से बड़े वाहनों में भर कर पुलिस व राजस्व विभाग से बचते हुए गंतव्य स्थान तक पहुंचा दिया जाता है। वाहन ओहरलोड होने पर छिपे स्थान पर अंडरलोड किया जाता है। छिपे स्थान में दहेगांव, खापा, सावनेर आदि शामिल हैं। उसी एक रॉयल्टी पर नागपुर में एंट्री होती है।
एक रॉयल्टी से दिनभर ढुलाई : प्रशासन द्वारा रेत ले जा रहे ट्रक तथा रॉयल्टी का हिसाब रखने के लिए ट्रक पर जीपीएस सिस्टम लगाना अनिवार्य किया गया है। इसके चलते वाहनों का लोकेशन ट्रेस किया जाता है। रेत माफिया जीपीएस से निजात पाने के लिए एक बार माल भरने के बाद जीपीएस सिस्टम को बंद कर देते हैं। एक रॉयल्टी मिलने पर वही वाहन उसी घाट से दिनभर रेत की ढुलाई करता है। इसका प्रशासन के पास कोई रिकॉर्ड नहीं होता, जिससे प्रशासन को लाखों रुपए की चपत लग जाती है। इसके बावजूद प्रशासन वाहनों के लोकेशन जीपीएस की गंभीरता को नहीं समझता। यही वजह है कि माफिया मालामाल हो रहे हैं।
Created On :   1 Feb 2021 1:44 PM IST