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सबसे ज्यादा पैसे खर्च करने के बावजूद शिक्षा के मामले में 14वें स्थान पर है महाराष्ट्र

डिजिटल डेस्क, मुंबई। विधान परिषद में स्कूलों के शिक्षकों के वेतन को लेकर आक्रामक नजर आने वाले शिक्षक विधायकों पर प्रदेश के स्कूली शिक्षा मंत्री दीपक केसरकर ने गुरुवार को जमकर कटाक्ष किया। केसरकर ने कहा कि हम कई सालों से शिक्षकों की समस्याओं में फंस कर रह गए हैं। महाराष्ट्र सरकार शिक्षा पर प्रचंड पैसा खर्च करती है। भारत का सबसे बड़ा शिक्षा विभाग महाराष्ट्र का है। इसके बावजूद देश में महाराष्ट्र शिक्षा क्षेत्र में 14 वें स्थान पर हैं।
मंत्री ने कहा कि प्रदेश में सरकारी कर्मचारियों के वेतन पर हर साल 1 लाख 44 हजार करोड़ रुपए खर्च होते हैं। जिसमें से स्कूली शिक्षा विभाग शिक्षकों के वेतन पर 62 हजार करोड़ रुपए खर्च करता है। इतनी बड़ी राशि खर्च करने के बावजूद महाराष्ट्र का 14 वें स्थान पर अटके रहना उचित नहीं है। गुरुवार को प्रश्नकाल में भाजपा समर्थित सदस्य नागारोव गाणार ने नाइट स्कूलों के लिए नीति बनाने के संबंध में सवाल पूछा था। इसके जवाब के दौरान केसरकर ने कहा कि हम कई सालों से शिक्षकों की समस्याओं को सुलझाने में लगे हुए हैं। शिक्षकों की समस्याओं को सुलझाने के लिए एक नीति तैयार की जाएगी। पर अब हमें विद्यार्थियों के बारे में भी विचार करना पड़ेगा। राज्य में शिक्षा का दर्जा बढ़ाने के लिए आमूलचूल परिवर्तन करना पड़ेगा। राज्य में बच्चों के स्कूल छोड़ने की संख्या काफी अधिक है। स्कूल शिक्षकों के वेतन के लिए सरकार से अनुदान मांगते हैं। मगर स्कूल छोड़ने वाले बच्चों को पढ़ाई के लिए आकर्षित करने की जिम्मेदारी स्कूलों की है। इस बीच केसरकर ने कहा कि सरकार नाईट स्कूलों के लिए दो महीने में व्यापक नीति बनाएगी। नाईट स्कूलों के विद्यार्थियों के लिए अलग से पाठ्यक्रम तैयार किया जाएगा। उन्होंने कहा कि नाईट स्कूलों के अतिरिक्त शिक्षकों को मुंबई मनपा के स्कूलों को देने का फैसला लिया गया है। नाइट स्कूलों के शिक्षकों को मुंबई मनपा के स्कूलों में पढ़ाने के लिए प्रशिक्षण दिया जाएगा।
Created On :   25 Aug 2022 7:17 PM IST