- Home
- /
- 100 नंबर डायल करना महेश के लिए बना...
100 नंबर डायल करना महेश के लिए बना काल,पुलिस की पिटाई से आहत होकर दी जान

डिजिटल डेस्क, नागपुर। न्यू सोमवारीपेठ निवासी महेश राऊत की मौत को लेकर नागरिकों में रोष है। पुलिस के प्रति नफरत उबाल पर है। उनका कहना है कि अब तो पुलिस को फोन करने से डर लगने लगा है। 100 नंबर पर मदद के लिए फोन नहीं करेंगे अब "हम", क्योंकि पुलिस फोन करने वाले के लिए ही बन रही है "यम"। महेश राऊत का कसूर सिर्फ यह था कि उसने एक 62 वर्षीय मतिमंद व्यक्ति की पिटाई किए जाने की खबर दी। इसके बाद पुलिस का फोन नहीं उठाने पर उसे एक अपराधी की तरह घर से घसीटकर सड़क पर पीटा गया। पुलिस का रवैया ठीक नहीं। महेश के साथ जिस तरीके से सलूक दोनों पुलिसकर्मियों ने किया, उसे महेश बर्दाश्त नहीं कर सका और जहरीली दवा खाकर आत्महत्या कर ली। उसके भाई योगेश, शैलेश और महेश का संयुक्त परिवार है।
मतिमंद तक के लिए परेशान रहता था : महेश राऊत की मौत को लेकर सभी लोग हताश और निराश हैं। महेश ने जिस अवि उर्फ अविनाश घिरडे के साथ मारपीट किए जाने की जानकारी पुलिस को दी। उस अवि को लोगों ने भले मौका पाकर मारा, लेकिन उसने किसी को कोई चोट कभी नहीं पहुंचाई। महेश इस बात को लेकर परेशान रहता था कि वह मतिमंद है। यह बात सारी बस्ती को पता है , फिर भी उसके साथ मारपीट क्यों की जाती है?
किसी को तकलीफ नहीं देता अवि : न्यू सोमवारीपेठ निवासी सुनीता खडसे, माधुरी खवास, चंदा खोकर्डे का कहना है कि अविनाश उर्फ अवि को वह कई सालों से जानती है। कभी उसने किसी को कोई चोट नहीं पहुंचाया। जब उसे भूख या प्यास लगती है, तो वह जोर-जोर से बड़बड़ाता है। फिर 10-15 मिनट में खुद शांत हो जाता है। जिस दिन से महेश की मौत हुई है, वह सहमा हुआ है। भीड़ देख घर में दुबक जाता है। महेश बहुत अच्छा लड़का था। वह सभी का चहेता था।
दिलेर था महेश, अकेले उठाया था शव : नरेंद्र कोकोडे सहित अन्य लोगों का कहना है कि महेश बीकॉम और बीएससी की पढ़ाई कर चुका था। वह काफी होनहार था। बस्ती में कोई भी महिला या पुरुष को कोई काम नहीं होने पर उसके पास जाया करते थे। कोरोना संक्रमण की पहली लहर के समय जब लोगों ने एक-दूसरे से दूरियां बना ली थी, तब बस्ती में मायाराम वाकले नामक व्यक्ति की मौत हो गई। कोई उन्हें छूने को तैयार नहीं था, जबकि मायाराम को कोराना नहीं था। ऐसे समय में महेश ने अकेले ही मायाराम को स्नान कराया और उनके शव को शववाहिका के अंदर अकेला डाला था। वह बेहद दिलेर था। महेश ने अवि तक को कोविड का टीका लगवाया था। बचपन के एक दोस्त का कहना है कि उसने स्कूल और कॉलेज में कभी किसी से विवाद नहीं किया।
कोई फेक कॉल नहीं किया : बस्ती के बुजुर्ग दिलीप श्रीवास का कहना है कि महेश ने इसके पहले कोई फेक कॉल नहीं किया। अगर किया करता था तो पुलिस उसके खिलाफ कोई कार्रवाई क्यों नहीं की। उसे चेतावनी देकर छोड़ना चाहिए था। पुलिस यह भी कह रही है कि महेश की पत्नी मायके चली गई थी। पुलिस गुमराह करने के लिए इस तरह की बयानबाजी कर रही है। घटना की रात महेश को उसके भाई योगेश और शैलेश दोपहिया वाहन पर उसे मेडिकल ले गए थे। बाद में प्रणाली और उसकी जेठानी भी मेडिकल गए थे। मेडिकल से दूसरे दिन सुबह 8 बजे प्रणाली घर लौट आई थी। बाद में महेश की मौत की खबर बस्ती में पहुंची ताे भीड़ हुडकेश्वर थाने में पहुंच गई। जब महेश के साथ पुलिस ने मारपीट की तब प्रणाली घर पर ही थी। बस्ती में अवैध-धंधे करने वालों के खिलाफ पुलिस कुछ नहीं करती, एक निहत्थे पर हाथ उठाती है, ऐसे में कौन पुलिस की मदद करेगा।
मायके नहीं गई : महेश की पत्नी प्रणाली का कहना है कि पुलिस उसके मायके जाने की बात कह रही है। वह घटना के समय अपने घर पर थीं। पुलिस चाहे तो उनके मोबाइल फोन का लोकेशन ट्रेस करवा ले और मेडिकल के सीसीटीवी फुटेज खंगालवा ले। सच सामने आ जाएगा। मुझे न्याय चाहिए, जिनकी वजह से मेरे पति की जान गई। उन्हें नौकरी से हटाया जाए, ताकि फिर किसी की जिंदगी न बर्बाद हो।
मासूम का सवाल : ढाई साल के शार्विल और 5 साल का रियांश को पता ही नहीं है कि उसके पिता अब इस दुनिया में नहीं हैं। शार्विल अपने पिता महेश के दोपहिया के पास खड़े होकर उनके आने का इंतजार करता रहता है। इस मासूम को कौन बताए कि उसके पिता अब कभी नहीं आएंगे और उसे दोपहिया पर बैठाकर कभी नहीं घुमाएंगे।
पुलिस का दावा... 100 नंबर पर पुलिस मदद को है तैयार, इसके माध्यम से बुजुर्ग और महिलाओं, बीमार लोगों को विशेष मदद देने की व्यवस्था की गई है।
रहवासियों का डर... जिस न्यू सोमवारीपेठ बस्ती में सूचना देने पर अकाउंटेंट को पीटा अब वहां के लोग डरे हुए हैं, उनका कहना है अब हम पुलिस को कभी कोई सूचना नहीं देंगे।
Created On :   5 Aug 2021 3:10 PM IST