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नहीं हारी हिम्मत, स्ट्रेचर पर एग्जाम देने पहुंचा छात्र

डिजिटल डेस्क, अमरावती । दसवीं कक्षा की बोर्ड परीक्षा में आम तौर पर छात्रों को पेन-पेंसिल और हॉल टिकट के साथ पहुंचते देखा जाना जहां आम है वहीं अचानक परीक्षा केंद्र पर एम्बुलेंस का पहुंचना और उसमें किसी विद्यार्थी का स्ट्रेचर पर लाया जाना अपने आप में अचंभा भरा पल था। शहर के खापर्डे बगीचा स्थित आदर्श स्कूल में इसी तरह का दृष्य दिखाई दिया जहां दसवीं के इम्तिहान की पर्चा हल करने के लिए एक छात्र अपने सहयोगी राइटर के साथ पहुंचा। परिसर में मौजूद सारे लोगों ने उस छात्र के हिम्मत और लगन की भर भर कर तारीख की और लोहा माना। दरअसल तकरीबन महीना भर पहले दुर्घटना से बच निकले सार्थक अनिल लांडे के लिए दसवीं की परीक्षा में बैठ पाना किसी चुनौती से कम नहीं था। लेकिन जिद और लगन के साथ पालकों के प्रोत्साहन ने उसे परीक्षा से चूकने से बचा लिया।
किए गए विशेष इंतजाम : दुर्घटना के बाद सार्थक के पैर का पारिजात अस्पताल में डॉ. तक्षक देशमुख ने ऑपरेशन किया था। लेकिन ऑपरेशन के बाद रेस्ट न करते हुए सार्थक ने परीक्षा देने की जिद पकड़ ली तो उसके लिए स्कूल में विशेष इंतजाम करने पड़े। उसके पर्चे में उत्तर लिखने के लिए कक्षा नौवीं के छात्र को दिया गया। पहले यह देखा गया कि एम्बुलेंस में पर्चा हल किया जा सकता है क्या, लेकिन गर्मी के चलते ऐसा कर पाना संभव न हुआ। लिहाजा सार्थक को स्कूल के लैब के सामने एक बरांडे में खुली जगह टेबल लगाकर उसमें सार्थक का स्ट्रेचर लगाया गया। उसके बगल में राइटर स्टुडेंट को बिठाया गया। पीने के पानी की व्यवस्था भी की गई। उसे किसी भी तरह की परेशानी न हो इसका ख्याल रखा गया।
इस तरह हुआ दुर्घटना का शिकार : बता दें कि बीते 15 फरवरी को सार्थक ट्यूशन से स्कूल जाते समय प्रवीण नगर के पास एक ट्रक ने उसकी सायकल को टक्कर मार दी और ट्रक का एक चक्का सार्थक के बाएं पैर से गुजर गया। सार्थक के पिता डॉ. अनिल लांडे सुपर स्पेशलिटी अस्पताल में चिकित्सक हैं, लेकिन उपचार डॉ. तक्षक देशमुख ने किया। बताया जाता है कि सार्थक को पूरी तरह से ठीक होने में तकरीबन और चार से पांच महीने का समय लग सकता है। लेकिन सार्थक के ऐसे जज्बे की उपस्थित सभी लोग प्रशंसा करते नहीं थक रहे थे।
Created On :   16 March 2022 1:18 PM IST