सोचा न था माता-पिता खोने के बाद अभिभावक की भूमिका निभायेगी सरकार!

Didnt think that after losing the parents, the government would play the role of guardian!
सोचा न था माता-पिता खोने के बाद अभिभावक की भूमिका निभायेगी सरकार!
सोचा न था माता-पिता खोने के बाद अभिभावक की भूमिका निभायेगी सरकार!

डिजिटल डेस्क | निवाड़ी चार साल पहले पिता श्री धनसिंह मोरे की सड़क दुर्घटना में और अप्रैल, 2021 में माँ श्रीमती श्यालीबाई की अचानक तबियत खराब होने के बाद मृत्यु ने हम तीनों भाई-बहनों की जिंदगी को हताशा, निराशा और घनघोर संघर्ष से भर दिया। पिता की मृत्यु के बाद माँ मेहनत-मजदूरी करके जैसे-तैसे हम लोगों का भरण-पोषण कर रही थीं, पर उनकी भी कोरोना संक्रमण से अचानक मृत्यु के बाद जैसे हम जेठ की भरी दुपहरी में खुले आसमान के नीचे आ गये हों।

दादाजी श्री रूपाजी मोरे ने किसी तरह सड़क के किनारे एक छोटी-सी किराने की दुकान खुलवाई। ... और यह दुकान भी कोरोना कर्फ्यू में बंद हो गई। अब हालात बद से बदतर हो गये। यह कहना है बड़वानी जिले के ग्राम रेहगुन की 19 वर्षीय कु. पूजा मोरे का। पूजा कहती हैं ऐसे में एक दिन पता चला कि उन्हें मुख्यमंत्री कोविड बाल कल्याण योजना का लाभ मिलेगा। योजना का लाभ मिलने से हम तीनों भाई-बहनों को प्रतिमाह 5-5 हजार रुपये पेंशन, नि:शुल्क शिक्षा और खाद्यान्न मिलने लगा है।

ऐसा लगने लगा है, जैसे सरकार के रूप में हमारे माता-पिता वापस लौट आये हों। अपनी पढ़ाई और आजीविका के साथ ही हम अपने बूढ़े दादा-दादी का भी ख्याल रख सकते हैं। ऐसे वक्त जब हमको भविष्य हर तरफ अंधकार भरा ही दिखता था, शासन की यह मदद एक अच्छी जिंदगी की ओर भरोसा दिला रही है। मुझे आशा है कि मेरे छोटे भाई अशोक और बलराम हमारे माता-पिता द्वारा देखे गये सपने को अब पूरा कर सकेंगे।

Created On :   4 Jun 2021 9:13 AM GMT

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