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बग्घी पर सपत्नीक सवार हुए जिला न्यायाधीश, कर्मचारियों ने दी अनोखी विदाई

डिजिटल डेस्क,सतना। 32 वर्षों के न्यायिक सफर में निर्विवाद रहे सेवानिवृत्त जिला जज धीमन नारायण शुक्ला ने अपने सहयोगियों के दिलों पर स्नेह का ऐसा राज सथापित किया था कि उनके अंतिम कार्य दिवस को लोगों ने यादगार बना दिया। जिला अदालत के कर्मचारियों ने श्रीशुक्ला को सपत्नीक कार्यालय आमंत्रित किया और बग्घी पर उन दोनों को घर के लिए विदा किया गया । हांलाकि इसका श्रेय श्रीशुक्ला ने अपने सहयोगी न्यायिक अधिकारियों और अधिवक्ताओं को दिया। सेवा के अंतिम कार्य दिवस पर न्यायिक कर्मचारियों ने जिला जज को फूलों से सजी बग्घी में सपत्निक कार्यालय से विदा किया।
रीवा से शुरू हुआ न्यायिक सफर सतना में थमा
जिला न्यायाधीश धीमन नारायण शुक्ला के न्यायिक जीवन की शुरुआत विंध्य के रीवा जिले से हुई। उनकी पहली पदस्थापना 25 दिसम्बर 1987 में व्यवहार न्यायाधीश के पद में रीवा में हुई थी। इसके बाद वह अविभाजित मध्यप्रदेश के बिलासपुर में सीजेएम, एडीजे ङ्क्षभड, विशेष न्यायाधीश बैतूल, फोरम अध्यक्ष कटनी व रतलाम में पदस्थ रहे। जबलपुर से पदोन्नति पर सतना में उन्होंने जिला जज के रूप में अपै्रल 2016 को कार्यभार ग्रहण किया था। विंध्य से शुरू हुआ उनका न्यायिक जीवन जिला एवं सत्र न्यायाधीश के पद से व्यावसायिक नगरी सतना मेंसमाप्त हुआ। श्री शुक्ला मूलत: इलाहाबाद मझनपुर के गोपाल मिश्र कापुरा गांव के निवासी हैं। कानूनी शिक्षा के साथ ही वे आचार्य भी हैं।इसका श्रेय श्रीशुक्ला ने अपने सहयोगी न्यायिक अधिकारियों और अधिवक्ताओं को दिया।
बग्घी में पहुंचे घर-32 वर्षों के न्यायिक सफर में निर्विवाद रहे
कार्यकाल के अंतिम दिन जिला न्यायालय से श्री शुक्ला अपनी पत्नी मुन्नी शुक्ला के साथ बग्घी से घर आए। न्यायिक कर्मचारी संघ ने विदाई समारोह के बाद सेवानिवृत्त जज शुक्ला को विदाई देते हुए बग्घी से घर छोड़ा। इस दौरान न्यायाधीश समेत न्यायिक कर्मचारी संघ अध्यक्ष अखिलेश सिंह परिहार, केदारनाथ झा, समीम, न्यायालय अधीक्षक-उपाधीक्षक समेत न्यायालय के कर्मचारी मौजूद रहे।
Created On :   4 Feb 2019 2:11 PM IST