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जनसुनवाई में 140 संगठनों ने रखी अपनी बात, मराठा समाज की समस्याओं पर चर्चा

डिजिटल डेस्क, नागपुर। मराठा समाज का सामाजिक, शैक्षणिक व आर्थिक पिछड़ापन जानने के लिए महाराष्ट्र राज्य पिछड़ा वर्ग आयोग ने जनसुनवाई की। इस दौरान मराठा और ओबीसी से संबंधित लगभग 140 संगठनों ने अपना-अपना पक्ष रखा। मराठा समाज के प्रतिनिधियों ने समाज के आर्थिक, शैक्षणिक रूप से पिछड़ने का हवाला देकर आरक्षण देने की मांग की। मराठा समाज ने आर्थिक रूप से गरीब परिवारों की स्थिति रिपोर्ट भी आयोग के सामने पेश की। आर्थिक हालत बयान करने वाली सीडी भी आयोग को सौंपी, जिसमें गांव में गरीबी के हालत दिखाए गए।
ये पहुंचे सुनवाई में
राष्ट्रीय ओबीसी महासंघ, राष्ट्रीय ओबीसी मुक्ति मोर्चा, बहुजन क्रांति मोर्चा, ओबीसी सेवा संघ, भारतीय विद्यार्थी मोर्चा, मराठा समन्वय मंच, मराठा सेवा संघ, महात्मा फुले समता परिषद, अ.भा. सर्व वर्गीय कलार समाज, जाधव कुणबी समाज, जिला माली समाज संगठन, अ.भा. मराठा महासंघ सहित लगभग 140 संगठन व प्रतिनिधि जनसुनवाई में पहुंचे।
सभी पक्षों को आयोग ने सुना
मराठा समाज की ओर से राजे रघुजी भोसले, मराठा समन्वय मंच, मराठा सेवा संघ समेत अनेक संगठन के प्रतिनिधि पहुंचे। वहीं ओबीसी समाज के प्रतिनिधियों ने मराठा समाज को विकसित बताते हुए कहा कि उन्हें मंडल आयोग, केंद्रीय आयोग, खत्री आयोग, बापट आयोग आदि ने पिछड़ा मानने से इनकार किया और कहा कि उन्हें आरक्षण देना है तो हमें आपत्ति नहीं, लेकिन ओबीसी आरक्षण से छेड़छाड़ किए बिना उन्हें आरक्षण दिया जाए। ओबीसी समाज की ओर से राष्ट्रीय ओबीसी महासंघ के अध्यक्ष बबनराव तायवाडे, राष्ट्रीय ओबीसी मुक्ति मोर्चा, ओबीसी सेवा संघ, जनसुनवाई में सभी पक्षों को सुना गया। आयोग के अध्यक्ष सेवानिवृत्त न्यायमूर्ति एम.जी. गायकवाड़ की उपस्थिति में सुनवाई हुई। सुबह 11 से शाम 5 बजे तक यह सुनवाई चली। इस अवसर पर विशेषज्ञ सदस्य डॉ. सर्जेराव निमसे, प्रा. चंद्रशेखर देशपांडे, डॉ. दत्तात्रय बालसराफ, प्रमोद येवले, रोहिदास जाधव, सुधीर ठाकरे, डॉ. सुवर्णा रावल, प्रा. राजाभाऊ करपे, सदस्य सचिव डी.डी. देशमुख उपस्थित थे।
जनसुनवाई पर भी सवाल
पिछड़ा वर्ग आयोग की जनसुनवाई पर भी संगठनों ने सवाल उठाया। राष्ट्रीय ओबीसी मुक्ति मोर्चा के मुख्य संयोजक नितीन चौधरी ने कहा कि सरकार द्वारा 2011 में की गई जनगणना के आंकड़े होने के बावजूद पिछड़ावर्ग आयोग यह व्यक्तिगत जनसुनवाई किस लिए कर रहा है। सरकार 2011 की जनगणना के आंकड़े जब तक जाहिर नहीं करती है, तब तक सभी समाज की सामाजिक स्थिति स्पष्ट नहीं होगी। बेवजह सरकार जनसुनवाई का दिखावा कर रही है। उन्होंने सवाल किया कि राज्य पिछड़ा वर्ग आयोग की यह रिपोर्ट यथायोग्य रहेगी, इसका क्या आधार है।
मराठा समाज का अपना पक्ष
*पिछले 30 साल से मराठा समाज को आरक्षण देने की मांग शुरू है, किन्तु जान-बूझकर इससे वंचित रखा गया।
*मराठा समाज को ईएसबीसी अंतर्गत तत्कालीन सरकार ने 16 प्रतिशत आरक्षण नौकरी व शिक्षण में लागू किया था, लेकिन मौजूदा सरकार के *कार्यकाल नवंबर 2014 में मराठा आरक्षण विरोधी याचिका के कारण न्यायालय ने स्थगन दी है।
*कुछ राजनीतिक व चुनिंदा धनाढ्यों के कारण संपूर्ण मराठा समाज को प्रगत नहीं कहा जा सकता है।
*मराठा समाज में अधिकतर आर्थिक रूप से कमजोर हैं। उन्हें महंगी व्यवस्था के कारण शिक्षा से वंचित होने का डर है।
*विदर्भ में अल्पसंख्यक मराठा समाज की अत्यंत विकट स्थिति है।
*वाडी, चांदूर रेलवे, धामणगांव सहित अनेक गांवों के मराठा रोजी-रोटी के लिए स्थानांतरित हो गए हैं। वे आज मजदूरी कर रहे हैं।
*अमरावती, खामगांव, मलकापुर, अकोला, धामणगांव स्थित रेलवे स्टेशन पर कुली और हमाली करने वाला समाज हमालपुरा में रहता है।
*मराठा समाज अब भी पुरानी परंपरा व रुढ़ियों में जीने वाला समाज है। देवधर्म, बुवाबाजी और परंपरा अनुसार शादी तय होते हैं।
*सरकार द्वारा स्नातक तक शिक्षा मुफ्त दिए जाने के कारण किसी तरह शिक्षित हो रहा है, लेकिन शिक्षा के बाद नौकरी नहीं मिल रही है।
*शासकीय सेवा में चतुर्थ श्रेणी व तृतीय श्रेणी में मराठा समाज है, लेकिन वह भी नाममात्र।
*सरकार 50 प्रतिशत आरक्षण हवाला देकर मराठा समाज के लिए स्पीड ब्रेकर खड़े कर रही है।
ओबीसी समाज का तर्क
*मराठा समाज पिछड़ा नहीं प्रगत है। इसलिए मराठा को आबोसी में शामिल न करें।
*मंडल आयोग, केंद्रीय आयोग, खत्री आयोग, बापट आयोग सहित अन्य आयोग ने मराठा समाज को आरक्षण देने से इनकार किया है।
*राणे समिति द्वारा दिया गया आरक्षण न्यायालयीन कसौटी पर खरा नहीं उतरता है।
*देश में पिछड़ापन बड़े पैमाने पर व्यक्ति की जन्मजात जाति से तय होता है। यह कटू सत्य मंडल आयोग की रिपोर्ट में स्पष्ट है।
*आरक्षण प्रतिनिधित्व है, गरीबी हटाओ कार्यक्रम नहीं है। पिछड़े वर्ग को मुख्य प्रवाह में लाने के लिए प्रतिनिधित्व दिया है।
*गरीबी व विषमता दूर करने के लिए सरकार कल्याणकारी योजनाएं चलाएं, जिसमें शिक्षा सहित अनेक योजनाएं शामिल करें।
*सरकार चुनाव को करीब देख वोटों के लिए आरक्षण के मुद्दे सामने कर जनता को गुमराह कर रही है।
*मराठा समाज को ओबीसी प्रवर्ग से आरक्षण देने की मांग से समाज में भय व चिंता का वातावरण है।
*मराठा समाज को आरक्षण देने पर आपत्ति नहीं है, लेकिन अलग से दें। ओबीसी आरक्षण से छेड़छाड़ न हो।
*राजनीति में ग्रामपंचायत से लेकर विधानभवन, संसद में मराठा समाज के अनेक प्रतिनिधि हैं।

Created On :   12 April 2018 10:36 AM IST