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गन्ना दर नियंत्रण समिति की पहली बैठक में बवाल, मिल मालिक और किसान संगठन आमने-सामने

डिजिटल डेस्क, मुंबई। गन्ना दर नियंत्रण समिति की पहली बैठक में ही कीमत को लेकर संगठन के प्रतिनिधियों और कारखाना मालिकों में विवाद हो गया। राज्य के मुख्य सचिव दिनेश कुमार जैन की अध्यक्षता में सोमवार को मंत्रालय में समिति की बैठक हुई। गन्ना दर नियामक मंडल की नियुक्ति के बाद यह पहली बैठक थी।
देर से शुरू हुई इस बैठक में पिछले फसल और आगामी फसल की दर को लेकर अहम फैसला होना था। सूत्रों के मुताबिक बैठक में कोई फैसला नहीं हो सका। कारखाना मालिकों के प्रतिनिधियों ने कहा कि चीनी की कीमतें गिरने के बाद किसानों को उचित एवं लाभकारी मूल्य (FRP) देने में उन्हें परेशानी हो रही है। इसका किसान संगठनों के प्रतिनिधियों ने विरोध शुरू कर दिया। इसके बाद चीनी कारखानों के प्रतिनिधि तानाजी सावंत और किसान संगठन के प्रतिनिधि प्रह्लाद इंगोले के बीच विवाद होने लगा।
किसान संगठन के प्रतिनिधियों ने कहा कि राज्य में गन्ना कानून का उल्लंघन हो रहा है। गन्ने की दर पहले ही तय किए जाने की अपेक्षा होती है लेकिन 2016-17 के सूखे के चलते बंद चीनी कारखानों ने 2017-18 के लिए गन्ने का अंतिम मूल्य नहीं जाहिर किया है। इससे किसानों को नुकसान हुआ है। 70-30 के फार्मूले के मुताबिक साल 2016-17 कि फसल के लिए कई कारखाना मालिकों के पास किसानों का 90 करोड़ रुपए बकाया है। गन्ना दर नियंत्रण समिति में दो सहकारिता चीनी कारखाने, दो निजी चीनी कारखाने और पांच किसानों के प्रतिनिधि शामिल हैं। राज्य के चीनी आयुक्त इसके सदस्य और मुख्य सचिव समिति के अध्यक्ष हैं।
स्वाभिमानी शेतकरी संगठन के प्रतिनिधि प्रह्लाद इंगोले ने कहा कि पिछले कई सालों के किसान आंदोलन के अपने अनुभव और कारखाना मालिकों द्वारा किसानों को ठगने के लिए इस्तेमाल होने वाले तरीकों के अध्ययन का इस्तेमाल वे किसानों को उचित मूल्य दिलाने के लिए करेंगे।
Created On :   17 Sept 2018 9:55 PM IST